संपत्ति बढ़ाने और आपसी विवाद के लिए ही झारखंड की राजनीति में चर्चा में रहते हैं भाजपा नेता।

भाजपा के सारठ विधायक रणधीर सिंह ने दुमका सांसद सुनील सोरेन को दी नसीहत, कहा ” शिबू सोरेन से सीखें ”।

रांची। झारखंड के 20 सालों के इतिहास में सत्तासीन रही भाजपा सरकार हमेशा भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों को लेकर चर्चा में रही है। हालांकि इन सबसे से अलग भाजपा नेताओं की चर्चा उनके संपत्ति के कई गुणा बढ़ने और उनके आपस में विवाद के कारण भी होती रही है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की नीतियों के कारण उनके ही मंत्री कई बार नाराजगी जता चुके हैं। हाल ही में संथाल परगना में भाजपा सांसद सुनील सोरेन और विधायक रणधीर सिंह के बीच का विवाद भी खुल कर दिखने लगा है। विवाद इतना बढ़ा कि भाजपा विधायक ने अपने ही पार्टी सांसद को जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन से सीखने की नसीहत तक दे दी।

गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे सुनील सोरेन, शिबू सोरेन से सीखने की दी नसीहत,संथाल में दोनों भाजपा नेताओं के बीच की लड़ाई शिलापट्ट पर सांसद के नाम पहले लिखे जाने को लेकर हुई है। हालाकिं विधायक रणधीर सिंह के मुताबिक हकीकत कुछ और ही है। विधायक का कहना है कि दुमका सांसद पार्टी में गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना है कि सांसद का चुनाव लड़ रहे थे तो सुनील सोरेन पल-पल उन्हें फोन करते थे। सांसद बन गए तो सारठ आने पर विधायक होने के नाते उन्हें एक फोन तक नहीं करते। वे सारठ विधानसभा क्षेत्र में गुटबाजी कर रहे हैं। रणधीर सिंह ने तो दुमका सांसद को जेएमएम सुप्रीम शिबू सोरेन से सीखने की नसीहत तक दे दी। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन जब दुमका के सांसद थे तो विधायकों को शिलान्यास या उदघाटन करने के लिए कहते थे। शिबू सोरेन कहते थे कि अपना नाम लिखवा लेना। सुनील सोरेन को शिबू सोरेन से कुछ सीखना चाहिए।

भाजपा नेताओं के बीच लड़ाई या मनमुटाव कोई आम बात नहीं

भाजपा नेताओं के बीच आपसी लड़ाई या मनमुटाव कोई नई बात नहीं है। राज्य गठन के बाद कई बार ऐसी स्थिति देखी गयी है।
• पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी भाजपा नेताओं पर गुटबाजी करने का आरोप लगाकर अलग होकर खुद की पार्टी बनायी। करीब 12 साल तक वे झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के नेता बने। हालांकि इस दौरान उन्होंने केवल दिखावे के लिए झारखंडी जनता के हितों की बात की। जब देखा की उनका हित पूरा नहीं हो पा रहा है, तो वे फिर वे भाजपा में शामिल हो गये।


• भाजपा नेता रघुवर दास से उनके ही कई मंत्री खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। इसी नाराजगी का नतीजा है कि घमंड में रहने वाले रघुवर दास को उनके ही मंत्री सरयू ने चुनाव में करारी शिकस्त दी। कभी भाजपा के कट्टर समर्थक माने जाने वाले सरयू राय ने रघुवर दास के खिलाफ ही निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसका केवल एक कारण रघुवर दास से सरयू राय की नाराजगी थी।


• राजधानी के कई सड़कों के कट को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद करने के रघुवर दास के निर्देश पर रांची विधायक व पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने खुलकर उनपर निशाना साधा था। उनका कहना था कि उनके विधानसभा में कोई भी निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री उनसे कोई परामर्श नहीं करते है।

रघुवर सरकार के 5 मंत्रियों के बढ़ती संपत्ति को लेकर हाईकोर्ट में हो चुका है पीआईएल

आपसी विवादों के साथ ही सत्ता में रहते अपनी संपत्ति को गलत तरीके से बढ़ाने के कारनामे को लेकर भी भाजपा नेता चर्चा में रहे हैं। रघुवर सरकार के 5 मंत्रियों रणधीर सिंह, लुईस मरांडी, अमर बाउरी, नीरा यादव और नीलकंठ सिंह मुंडा पर संपत्ति बढ़ाने का आरोप भी लग चुका है। आय से ज्यादा संपत्ति मामले को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी थी। पीआईएल में बताया गया था कि केवल पांच सालों में ही इनकी संपत्ति कई % बढ़ी है। जैसे..

  • अमर बाउरी की संपत्ति 2014 में 7.33 लाख थी। जो कि 2019 तक 82.07 लाख (करीब 1118 %) बढ़कर 89.41 लाख हो गयी।
  • रणधीर कुमार सिंह की संपत्ति 2014 में 78.92 लाख थी। जो कि 2019 तक 4.27 करोड़ (करीब 541 %) बढ़कर 5.06 करोड़ हो गयी।
  • नीरा यादव की संपत्ति 2014 में 80.59 लाख थी। जो कि 2019 तक 2.85 करोड़ (करीब गुणा 353 %) बढ़कर 3.65 करोड़ हो गयी।
  • लुइस मरांडी की संपत्ति 2014 में 2.25 करोड़ थी। जो कि 2019 तक 6.81 करोड़ (करीब 303 %) बढ़कर 9.06 करोड़ हो गयी।
  • नीलकंठ सिंह मुंडा की संपत्ति 2014 में 1.46 करोड़ थी। जो कि 2019 तक 2.89 करोड़ (करीब 198 %) बढ़कर हो 4.35 करोड़ गयी।

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