रघुवर ने राँची में फूंके 190 करोड़, चहेते रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 113 करोड़ और डूबोया

रघुवर की डबल इंजन सरकार ने भ्रष्टाचार कर राँची में बर्बाद कर डाले 190 करोड़, उसके चहेते रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने वर्तमान में और डूबोने को तैयार है राज्य सरकार का 113 करोड़

  • डबल इंजन सरकार की भ्रष्टाचार की परतें परत-दर परत अब खुलने लगी है।
  • रघुवर ने हरमू नदी सौंदर्यीकरण योजना को ड्रीम प्रोजेक्ट बता फूंके 84 करोड़ रूपये।
  • सीवरेज ड्रैनेज सिस्टम को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया था रघुवर ने, 106 करोड रूपये फूंकने के बावजूद ढाक के तीन पात।

हाईकोर्ट, विधानसभा भवन निर्माण पर NGT का 113 करोड़ रूपये का जुर्माना

राँची :  झारखंड राज्य की पिछली रघुवर सरकार में भ्रष्टाचार किस कदर हावी था, उसकी परतें अब परत-दर-परत खुलने लगी है। डबल इंजन की रघुवर सरकार में विकास के दावे हमेशा होती रही। लेकिन, उस सरकार ने केवल रांची में ही दो योजनाओं से फूंक दिए 190 करोड़ रूपये। 

  1. हरमू नदी की सौंदर्यीकरण में फूंके गए 84 करोड़ रुपए।  
  2. सीवरेज ड्रैनेज सिस्टम के अधूरे काम पर 85 करोड़ और डीपीआर पर 21 करोड़ रुपए फूंके गए। 
चहेते रामकृपाल कंस्ट्रक्शन

ये दोनों योजनाएं आज तक धरातल पर नहीं उतर पायी है। इसके बावजूद रघुवर दास ने अगले योजने के लिए कदम बढ़ाया। और अपने चहेते रामकृपाल कंस्ट्रक्शन काम दिया। जिसके भ्रष्टाचारयुक्त कार्यशैली वर्तमान में राज्य सरकार का 113 करोड़ नुकसान करती दिख रही है।

रघुवर के ड्रीम प्रोजेक्ट ने दूबोये राज्य का  84 करोड़ रूपये

पूर्व सीएम रघुवर दास का ड्रीम प्रोजेक्ट हरमू नदी का सौंदर्यीकरण बेहतर सोच के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के कारण चर्चित रहा है। इस योजना के अंतर्गत रघुवर काल के राँची विधायक सह नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने 84 करोड़ रूपये खर्च कर दिये। फिर भी हरमू नाला कभी नदी न बन सका। सूत्रों का दावा है कि उस 84 करोड़ के राशि का बंदरबांट विकास के दावे करने वाली बीजेपी नेताओं के बीच खुले आम हुई।

अधूरे पड़े सीवरेज ड्रैनेज से राज्य सरकार को हुआ 106 करोड़ का नुकसान

रांची ड्रेनेज सिस्टम
रांची ड्रेनेज सिस्टम

ज्ञात हो कि 2006, में रघुवर दास ने नगर विकास मंत्री रहते राँची सीवरेज ड्रैनेज सिस्टम को दुरुस्त करने का बीड़ा उठाया था। लेकिन, योजना का हश्र देख कर प्रतीत होता है कि रघुवर दास का यह खेल केवल जेब भरने के लिए खेला था। सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को योजना के डीपीआर बनाने का ज़िम्मा दिया गया। और केवल डीपीआर में 21 करोड़ रुपए फूंक दिये गये। 

आगे राँची को चार जोन में बांट कर काम शुरू हुए। और ज्योति बिल्टेक कंपनी को काम दिया गया। कंपनी भी रघुवर दास की तरह लापरवाह और सुस्त निकली। कंपनी ने 12 वर्षों में केवल जोन-1 (राजधानी के कुल 9 वार्ड) के क्षेत्रों में ही काम कर पायी। वह भी अधूरा है।

पूरे मामले में दिलचस्प कड़ी यह है कि कंपनी ने केवल 113 किमी के काम में 85 करोड़ रूपये फूंक डाली। कंपनी पर कार्यवाही करने के बजाय दिसंबर 2018 को केवल टर्मिनेट कर छोड़ दिया गया। फिर उस अधूरे काम को पूरा करने के नाम पर निगम द्वारा दो बार टेंडर निकाले गए। लेकिन, सच्चाई यह है कि आज भी राजधानी की जनता राँची सीवरेज ड्रैनेज सिस्टम से परेशान ही है। 

रामकृपाल ने रघुवर को तो खुश किया, लेकिन राजस्व को नुकसान पहुंचाने के एवज में

इतने भ्रष्टाचार से भी रघुवर सरकार और उनकी पार्टी का पेट नहीं भरा था। लालच के अंधे हवस में उस सरकार ने न्याय का मंदिर हाईकोर्ट और लोकतंत्र का मंदिर विधानसभा भवनों को भी नहीं बख्शा। उसके निर्माण के आड़ में भ्रष्टाचार के खेल हुए। इस बार रघुवर दास ने अपने चहेते रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को काम सौंपा। कंपनी ने गलत तरीके से रघुवर को खुश करकाम शुरू किया। 

दोनों नवनिर्मित भवनों के निर्माण से पहले रामकृपाल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूल (एनजीटी) से पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली। लेकिन, भाजपा सत्ता के तानाशाह रवैये में नियम के इस उलंघन पर तब किसी को कुछ बोलने की हिम्मत थी। लेकिन, आज उसी पर्यावरण स्वीकृति नहीं लिए जाने के कारण, उसी एनजीटी ने राज्य सरकार पर 113 करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया है। मसलन, पूरे मामले से यह स्पष्ट होता है कि रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने रघुवर दास को तो खुश कर दिया, लेकिन राज्य के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने के एवज में। 

रघुवर

शुरुआत से ही विधानसभा भवन निर्माण विवादों से घिरा रहा है 

राजधानी में 465 करोड़ की लागत से बने भव्य विधानसभा भवन शुरू से ही विवादित रहा है। स्वंय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस भवन के निर्माण में खर्चे गए राशि पर आपत्ति जता चुके हैं। करोड़ो रूपये खर्च से बनने के बावजूद इस भवन में शॉट सर्किट से आग लगने और सीलिंग गिरने तक की घटना घट चुकी है। जो भ्रष्टाचार के खेल को उजागर करने के लिए खाफी है। लेकिन, फिर भी इस साल बजट सत्र चलने के लिए भवन निर्माण करने वाली कंपनी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने भवन निर्माण विभाग को एक उपयोगिता प्रमाण पत्र भी दे दिया। 

अनियमितता बरतने के साथ अतिरिक्त कार्य की आड़ में बढ़ाया गया हाईकोर्ट का लागत

ज्ञात हो कि नवनिर्मित हाईकोर्ट में चल रहे भ्रष्टाचार को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी। याचिका राजीव कुमार नाम के एक वकील ने बीते साल 7 सितंबर में की थी। उनका दलील था कि हाईकोर्ट भवन के निर्माण में अनियमितता बरती गयी है। सरकार पर बिना टेंडर निकाले ही अतिरिक्त कार्य ठेकेदार को देने का आरोप उनके द्वारा लगाया गया था। उनका दावा है कि गलत तरीके से अतिरिक्त कार्य की आड़ में भवन की लागत बढ़ गई।

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