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रघुवर दास अपने कार्यकाल में डीवीसी बकाए का हिसाब दिए होते, बवाल नहीं होता

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डीवीसी बकाए का हिसाब

रघुवर दास अपने कार्यकाल में डीवीसी बकाए का हिसाब दिए होते, बवाल नहीं होता

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केवल 2020 के डीवीसी बकाए की बात करना दर्शाता है कि भाजपा केन्द्रीय ताकत का दरुपयोग कर मौजूदा हेमंत सरकार को टारगेट कर रही है

पहली बार हेमंत सरकार ने केंद्र से बड़े बकायदारों को नोटिस भेज वसूल कर रही है राशि

रांची। डीवीसी बकाए राशि को लेकर उठे विवाद की पूरी जड़ बीजेपी की पिछली रघुवर सरकार की गलत नीतियां रही है। आज भ्रम फैलाते हुए वही पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं कि हेमंत सरकार डीवीसी के शर्तों को पूरा नहीं कर रही है। लेकिन, इस धूम चौकड़ी में वह यह बता छुपा लिए कि उनके कार्यकाल में डीवीसी पर कितना बकाया था। अगर उस बीजेपी सरकार में रघुवर दास नियमित तौर तौर पर प्रति माह डीवीसी बकाया का भुगतान करती, तो शायद आज इतना बड़ा विवाद खड़ा न होता। 

रघुवर सरकार में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने, न तो डीवीसी से खऱीदी बिजली के एवज में न तो नियमित रूप से बकाए राशि का भुगतान किया और न ही उन केंद्रीय उपक्रम जिनपर जेबीवीएनएल का करोड़ो बकाया है, वसूलना जरूरी समझा। नतीजतन, राज्य की जनता को बिजली का संकट झेलना पड़ रहा हैं। सत्ता में आने के बाद मौजूदा हेमंत सरकार उन तमाम बकायेदारों से राशि वसूलने की पहल शुरू की है, जो राज्य को इस संकट के भँवर से बाहर निकलने में सहायक साबित होगा।  

कार्यशैली दर्शाता है कि भाजपा के इशाऱे पर डीवीसी बकाए का मुद्दा बना हेमंत सरकार को कर रही है टारगेट 

बिजली समस्या व डीवीसी से बकाया भुगतान को लेकर शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की   मुलाकात केंद्रीय बिजली राज्य मंत्री आरके सिंह से नई दिल्ली में हुई थी। रघुवर दास ने ट्वीट कर जानकारी साझा की कि “केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार डीवीसी के साथ करार की शर्तों को पूरा नहीं कर रही है। सरकार को मासिक बिल का भुगतान करना था, लेकिन इस वर्ष अप्रैल से अब तक के मसिक बकाये 1323.90 करोड़ की तुलना में केवल 440.72 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस कारण बिजली की कटौती की जा रही है।

लेकिन, रघुवर दास ने उस ट्विट में भी यह बताने की हिम्मत नहीं कि उनके 5 साल के कार्यकाल समाप्त होने तक डीवीसी का राज्य पर कितना बकाया था। ऐसा नहीं है कि भाजपा सरकार के पिछले पांच साल का बकाया छुपने का काम केवल रघुवर दास ने ही किया है। स्वंय डीवीसी भी यही काम करती आयी है। दोनों ने कमोवेश अपने निर्देश में सिर्फ अप्रैल 2020 से नवंबर 2020 तक के बकाया का जिक्र किया है, उससे पहले का नहीं। ऐसे में प्रतीत तो यही होता है कि डीवीसी भाजपा के इशारे पर हेमंत सरकार पर टारगेट कर रही है।

कम से कम केंद्रीय उपक्रम से बकाये भी वसूलते रघुवर दास, तो शायद राज्य को यह दिन नहीं देखने पड़ते 

पूर्व की रघुवर दास सरकार केवल डीवीसी के बकाये भुगतान में ही असफल नहीं रही है, राज्य में केंद्र सरकार के उपक्रमों पर करोड़ो बकाया वसूलने की भी इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। ऐसा अपने आकाओं को खुश करने के लिए हो सकता है। अगर रघुवर सरकार राज्य हित में  इच्छाशक्ति दिखाती तो शायद राज्य आज कर्जमुक्त होता। और राज्य की जनता को यह दिन देखना नहीं पड़ता।

मौजूदा दौर में हेमंत सरकार द्वारा केंद्र सरकार के उपक्रमों समेत तमाम बकायेदारों को वसूली हेतु नोटिस भेजने की पहल, निश्चित रूप से राज्य की आर्थिक हालत को सुदृढ़ करने में मदद करेगा। जेबीवीएनएल द्वारा जिन बकायादार केंद्रीय संस्थानों की सूची तैयार की गयी है, उनपर करीब 1295 करोड़ रूपए का बकाया है। 


केंद्र सरकार के उपक्रमों में यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसिल) और केंद्रीय उपक्रम एचइसी (रांची) प्रमुखता से शामिल है। रघुवर सरकार की नाकामी ऐसे भी आंकी जा सकती है कि पिछले पांच साल में जेबीवीएनएल अपने ही राजस्व को वसूलने में काफी पीछे रहा है। वहीं हेमंत सरकार के दौरान पहली बार जेबीवीएनएल ने अपने इतिहास में सर्वाधिक 403 करोड़ रूपए राजस्व की वसूली की है।

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