पेयजल व स्वच्छता विभाग लंबे समय तक एनडीए सहयोगी आजसू के पास रहा, फिर भी हेमंत सरकार विजनलेस क्यों?

पिछली सरकार में पेयजल व स्वच्छता विभाग एनडीए सहयोगी आजसू के पास लंबे समय तक रहा है, ऐसे में हेमंत सरकार विजन लेस कैसे?

लंबे शासन के अंतराल में भाजपा ने महज 11 फीसद ग्रामीण आबादी तक ही पहुंचाया नल से जल, जबकि हेमंत की प्राथमिकता में 54 लाख घऱों तक पहुंचाने का है टारगेट

अश्लील काम के वायरल वीडियो से चर्चित हुए मुख्य सचेतक, विधायक बिरंची नारायण अब थक-हार के हेमंत सरकार पर लगा रहे आरोप

राँची। बीजेपी के झारखंड इकाई के नेता झारखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए हर हथकड़े अपना रहे है। बौखलाहट में बीजेपी के मुख्य सचेतक सह बोकारो विधायक, बिरंची नारायण ने आनन-फानन में जनता को भरमाने के लिए, महज एक वर्ष के कार्यकाल में ही हेमंत सरकार को पेयजल व स्वच्छता के क्षेत्र में विजन लेस करार दे दिया है। ज्ञात हो कि बिंरची नारायण वही विधायक है, जो विधानसभा चुनाव के ठीक पहले एक वायरल वीडियो में अश्लील काम करते हुए चर्चित हुए थे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हुए हमले के मद्देनजर, पार्टी के हुए धूमिल छवि से जनता के ध्यान हटाने के लिए आनन-फानन में बिना आंकड़ों पर गौर कियर हेमंत सरकार पर विफलता का आरोप लगा दिया है। बिंरची नारायण की तरह जनता का यादास्त कमजोर नहीं है कि जिस विभाग को लेकर माननीय हेमंत सरकार पर हमलावर है, वह विभाग लंबे समय तक भाजपा के सहयोगी आजसू के कोटे मेंरही  है। और उस दौरान पेयजल व स्वच्छता विभाग में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। नतीजतन, राज्य के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों को पेयजल व स्वच्छता योजना के मातहत विकास के लिए तरसना पड़ा।

जबकि, मौजूदा झारखंड सरकार में कोरोना महामारी से संभलने के क्रम में ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसले से अच्छी पहल हुई है। उनके द्वारा लिए गए फैसले में 54 लाख घरों तक पेयजल सुविधा पहुंचाने का टारगेट है। जाहिर है बोकारो विधायक को आरोप लगाते वक़्त ज़रुर अभिज्ञ नहीं हो सकते बल्कि किसी अन्य राजनीतिक कारण वस किया ऐसा होगा। 

भाजपा-आजसू गठबंधन सरकार 5 वर्ष के कार्काल में महज 11 फीसदी ग्रामीणों तक ही पहुंचा पेयजल सुविधा

झारखंड जैसे उच्च कोटि के सांस्कृतिक राज्य में भाजपा के 14 वर्षों के शासन यदि राज्य में यह समस्याएं व्याप्त है तो भाजपा जैसे पार्टी को मीडिया के समक्ष बयान देने लाज आनी चाहिए। यदि लाज नहीं आती तो जाहिरा तौर पर उसके विचारधारा में खोट है। अगर पार्टी का नियत ईमानदार होती तो क्या अबतक राज्य के इतन्र कम इलाकों में ही पेयजल की सुविधा पहुंचती। भाजपा के खोखले दावे का ही परिणाम है कि आज राज्य के 24 जिलों में से 14 जिलों में नल जल का कवरेज 10 फीसद या उससे कम है। 

जबकि, 13 जिलों का कवरेज एरिया भी 11-25 फीसद के दायरे से अधिक नहीं है। केवल राजधानी रांची में कवरेज 25 फीसद के दायरे को पार करता है। हर घर नल कनेक्शन के मामले में पूरे राज्य का औसत महज 10.35 फीसद है। जिसका अर्थ है कि 54.08 लाख ग्रामीण परिवारों में महज 5.59 लाख परिवारों के पास ही नल जल की सुविधा है। 

योजना के अंतर्गत महज 11 फीसदी को जल पहुंचाना उस ढपोरशंखी सरकार का धोखा तो नहीं तो और क्या?

यह स्थिति तब है जब 15 जुलाई 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रामगढ़ से “हर-घर-नल-हर-घर-जल” योजना की शुरुआत किया था। कार्यक्रम में उपस्थित तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री (आजसू कोटे) से चंद्रप्रकाश चौधरी भी मौजूद थे। उस दौरान विज्ञापन में करोड़ों फूक कर दावा किया गया था कि योजना के अंतर्गत नदियों से पानी ट्रीटमेंट कर घर-घर तक पाइपलाइन से आपूर्ति किया जाएगा। 

यह उस सरकार की नाकामी नहीं तो और क्या था कि विधानसभा चुनाव 2019 के ठीक पहले योजना के ढाई साल पूरे होने के बावजूद न पानी की आपूर्ति हुई और न वादा ही वह सरकार अपनी वादा निभा सकी। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की हालत तो काफी खराब रही। ग्रामीण इलाकों में महज 11 फीसद पेयजल आपूर्ति होना उस पिछली सरकार का राज्य के जनता के साथ धोखा नहीं तो और क्या है।

54 लाख घऱों तक सुविधा पहुंचाने के टारगेट को पूरा करने के लिए समय पर काम ख़त्म करने का हेमंत का निर्देश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो योजना में तेजी से विस्तार करते हुए घर-घर नल सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभागीय अधिकारियों को कड़े निर्देश दिया है। बीते दिनों पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की संपन्न हुए समीक्षा बैठकके दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को नल जल की सुविधा मुहैया कराई जाए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 54 लाख से अधिक घरों को इस योजना से जोड़ना है। इसके लिए समयबद्ध तरीके से कार्य पूर्ण करें, जिससे ग्रामीणों को नल से शुद्ध जल उपलब्ध हो सके। हेमंत की यह सोच काफी सराहनीय है कि अगर समयबद्ध तरीके से कार्य पूर्ण हुए तो कई परिवार योजना के लाभ से वंचित रह जाएंगे। योजना के समय एवं गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देते हुए कार्य की गति को बढायें।

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