प्री-प्राइमरी – भाजपा की केंद्र सरकार की उलटी वाणी बरसे कम्बल भीगे पानी !

केंद्र सरकार की प्री-प्राइमरी की व्यवस्था से कार्यरत आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के शोषण में होगी बढ़ोत्तरी 

केन्द्र की मोदी सरकार ने नयी शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी के बच्चों की आँगनवाड़ी में अनिवार्य पढ़ाई के निर्देश दिये हैं। नयी शिक्षा नीति के तहत आने वाले दिनों में जल्द ही पूरी शिक्षा व्यवस्था की नयी रूपरेखा तैयार की जायेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि हर बच्चे के लिए आवश्यक प्री-प्राइमरी की पढ़ाई आँगनवाड़ी कर्मियों के ज़िम्मे होगी। इस नयी ज़िम्मेदारी के लिए आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की योग्यता कम से कम 12वीं पास होनी चाहिए। पहले से कार्यरत महिला कर्मियों में से जिनके पास यह योग्यता नहीं होगी, उनके लिए अलग से एक साल इसका प्रशिक्षण लेना अनिवार्य होगा।

अब ध्यान देने की बात यह कि आँगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत अधिकतर महिलाएँ 8वीं या 10वीं पास हैं जो कि सरकार के प्री-स्कूल के लिए ज़रूरी मापदण्डों पर खरी नहीं उतरेंगी। ज़ाहिरा तौर पर ऐसे लोगों की बड़े पैमाने पर छँटनी होगी और नयी भर्तियों के द्वार खोले जायेंगे या फिर यूँ कहें कि नयी भर्तियों के ज़रिये होने वाले भ्रष्टाचार के लिए द्वार खुल जायेंगे।

हमारे लिए दूसरी ग़ौर करने वाली बात यह है कि प्री-स्कूल की यह व्यवस्था लागू होने से आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के शोषण में भी बढ़ोत्तरी होगी। सरकार द्वारा ‘स्वयंसेविका’ की संज्ञा से नवाज़ी गयी आँगनवाड़ी महिलाओं से एक कर्मचारी जितना काम कराया जाता है। पहले ही उनसे आँगनवाड़ी के कामों के अतिरित्त सर्वे व अन्य काम कराये जाते हैं। अब इन महिलाओं के सस्ते श्रम का फ़ायदा उठाकर उनकी मेहनत की लूट को खुलेआम अंजाम दिया जायेगा। 

केन्द्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी के दौर में आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के मानदेय भी वक़्त पर नहीं आया 

जिस केन्द्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी के दौर में मानदेय भी वक़्त पर नहीं आया और जिस केन्द्र सरकार को मामूली से बढ़ा हुआ मानदेय देने में 1 साल से ऊपर का वक़्त लग गया, उनके पास आँगनवाड़ीकर्मियों के लिए देने को कर्मचारी का दर्जा नहीं, ज़िम्मेदारी का भार है!

इस नयी नीति की बानगी दिल्ली सरकार के महिला और बाल-विकास द्वारा हाल में ही जारी एक नोटिस में देखी जा सकती है जिसमें आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के काम के घण्टे बढ़ाये जाने का फ़रमान है और साथ ही कई आँगनवाड़ियों को जोड़कर हब केन्द्र बनाने का आदेश है।

सरकार प्री-प्राइमरी की ज़िम्मेदारी सौपने के पहले केंद्र आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों को पहले कर्मचारी का दर्जा तो दे

आँगनवाड़ी केन्द्रों की गुणवत्ता में बेशक सुधार किया जाये। हमें काम की ज़िम्मेदारी से भी कोई गुरेज़ नहीं है। लेकिन सरकार सिर्फ़ जिम्मेदारी का बोझा लादना चाहती है! बेशक सरकार प्री-प्राइमरी की ज़िम्मेदारी सौपे, लेकिन पहले इन्हें कर्मचारी का दर्जा तो दे। सभी श्रम-क़ानूनों को इनके लिए लागू करे। इसके इतर यह सुनिश्चित करे कि पहले से ही कार्यरत आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों को इस नयी शैक्षणिक योग्यता के नाम पर बर्ख़ास्त नहीं किया जायेगा। 

मसलन, नयी शिक्षा नीति न सिर्फ़ आँगनवाड़ी कर्मियों के शोषण को बढ़ावा देगी, बल्कि यह शिक्षा के अधिकार के भी ख़िलाफ़ है। 

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