गले में सांप लटका कर घुमने वाले पूर्व डीजीपी और घमंडी भाजपा सरकार की हकीक़त बताता बकोरिया कांड

जिस बकोरिया कांड का श्रेय ले वाहवाही बटोरी गयी थी, सीबीआई जांच में पता चला है कि उसे जेजेएमपी ने दिया था अंजाम

राँची। कभी झारखंड की राजनीति में भूचाल मचाने वाली बकोरिया कांड घटना का पिछले दिनों एक बड़ा व अचंभित करने वाला सच सामने आया है। ज्ञात हो कि रघुवर सरकार ने पलामू के बहुचर्चित बकोरिया मुठभेड़ कांड में 12 निर्दोष लोगों को नक्सली बता मुठभेड़ में मारे जाने की बात कही गयी थी। और तत्कालीन डीजीपी डी.के.पांडेय और घमंडी भाजपा सरकार ने इसके लिए पुलिस व खुद की पीठ थपथपायी थी। लेकिन, सीबीआई जांच में यह सच सामने आया है कि इस घटने को अंजाम रघुवर पुलिस ने नहीं, बल्कि प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जेजेएमपी (झारखंड जन मुक्ति परिषद) के उग्रवादियों ने दिया था। 

जब रघुवर के पुलिस ने इस घटने को अंजाम दिया ही नहीं तो जाहिर है 8 जून 2015 को पलामू जिले के सतबरवा ओपी क्षेत्र के बकोरिया में पांच नाबालिगों सहित 12 निर्दोष लोगों की हत्या उग्रवादियों ने की थी। ऐसे में इस घटना की जांच कर असली उग्रवादियों को पकड़ने के बजाय, रघुवर की पुलिस ने मृत लोगों को ही नक्सली बता श्रेय लिया और वाहवाही बटोरी। यहाँ तक कि गले में सांप लटका कर चर्चे में रहे तत्कालीन डीजीपी ने उन तथाकथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को सम्मानित भी किया था। मसलन, पूरे प्रकरण में साज़िश के बू से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि, झारखंड सरकार का तंत्र इतनी निक्कमी नहीं हो सकती कि उसे इस झूठ का भान न हो। 

गृह मंत्री होने के नाते रघुवर दास भी है कठघरे में

निस्संदेह, इस फ़र्ज़ी मुठभेड़ के लिए बीजेपी के तत्कालीन सीएम रघुवर दास को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। पहला गृह मंत्री के पद पर होने के नाते वह अपनी ज़िम्मेदारी से भाग नहीं सकते। और दूसरा इस चर्चित कांड की जांच तत्कालीन एडीजी (वर्तमान में डीजीपी) एमवी राव कर रहे थे। जिनका तबादला रघुवर सरकार द्वारा आनन फानन में कर दिया जाना भी पूरे मामले को संदिग्ध बनाता है। 

बताया जाता है कि एमवी राव ने कांड को लेकर तत्कालीन डीजीपी डीके पांडेय को कठघरे में खड़ा करते हुए बाकायदा पत्र लिख कर गृह सचिव से शिकायत भी की थी। फिर भी मुख्यमंत्री रघुवर दास का अनसुना करना सवाल खड़े करते हैं। ऐसे में गंभीर सवाल यह है कि रघुवर दास को डीके पांडेय व उसके पुलिसिया व्यवस्था पर इतना विश्वास क्यों था कि उन्होंने बिना पड़ताल किये केवल तत्कालीन डीजीपी के बातों पर ही झारखंड पुलिस को बधाई संदेश भेज दिया। 

बकोरिया कांड से भी मन नहीं भरा! सांप लटकाने वाले डीजीपी बाबा ने लगाये रघुवर सरकार के नारे

बकोरिया कांड जैसे फ़र्ज़ी मुठभेड़ का श्रेय लेने के बावजूद भी जब पूर्व डीजीपी डीके पांडेय का मन नहीं भरा, तो उन्होंने राज्य पुलिस के सबसे प्रमुख पद की गरिमा को तार-तार करते हुए रघुवर सरकार के समर्थन में नारे भी लगाने से नहीं चूके। उन्होंने कहा था, “सबका साथ, सबकी सुरक्षा, सबका विकास, यही है रघुवर सरकार”। 

ज्ञात हो कि जिस वक्त डीके पांडेय रघुवर भजन गा रहे थे, उस दौरान वह कई आला अधिकारियों के बीच बैठे थे, इसका भी उसे भान नहीं था। इस घटना के बाद बाबा डीजीपी सोशल मीडिया पर छा गये थे! एक से बढ़कर एक कमेंट की बाढ़ आ गयी थी। जनता ने तो ट्रोल करते हुए उन्हें सीएम रघुवर दास का प्रवक्ता तक करार दे दिया था। तत्कालीन प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन ने उन्हें भाजपा के नए प्रवक्ता बताया था। 

पूर्व में भी कई विवादों से नाता रहा है डीके पांडेय का

दरअसल, पूर्व डीजीपी डीके पांडेय का नाता विवादों से चोली-दामन का रहा है। जिससे कई बार उनकी किरकिरी भी हुई है। 

  • डीजीपी डीके पांडेय जब चतरा जिले के इटखोरी में मां भद्रकाली की पूजा-अर्चना करने गये थे, तो वहां पर उन्होंने गले पर सांप लटका लिया था। उनकी वह तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी। और उन्हें ट्रोल का सामना भी करना पड़ा था। 
  • खूंटी में पांच महिलाओं के साथ हुई गैंग रेप मामले में डीजीपी डीके पांडेय खूंटी दौरे पर गये थे। वहां पर सर्किट हाउस में मीडियाकर्मियों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में उनके द्वारा कहना कि ज्यादा चिंतित होने की बात नहीं, चाय पीयो और बिस्कुट खाओ। उनकी मानसिकता दर्शाता है। 
  • डीके पांडेय पर राँची के कांके अंचल के चामा मौजा में पत्नी पूनम पांडेय के नाम पर 50.9 डिसमिल गैर मजरुआ जमीन खरीदने और उसपर मकान बनाने का भी आरोप है। साथ ही गैर मजरुआ जमीन को अवैध तरीके से जमाबंदी करवाने का भी। तत्कालीन राँची डीसी रहे राय महिमापत रे के आदेश पर हुई एलआरडीसी व अंचलाधिकारी की संयुक्त जांच रिपोर्ट में इसका खुलाशा हुआ था।

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