सीएजी ने रिपोर्ट में जतायी है रघुवर सरकार के महाघोटाले की आशंका

झारखंड पर 85,000 करोड़ का कर्ज थोपने वाले भाजपा पर अब लगा है 53,000 करोड़ के महाघोटाले का आरोप

विकास के दावे करने वाली सदाचारी भाजपा ने तो विकास अनुदान के 20,223 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं कर सकी

झारखंड को रघुवर सरकार के पापों से मुक्त कराने की हर संभव कोशिश में दिख रहे हैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

रांची। पिछली रघुवर सत्ता ने अपने पांच साल के कार्यकाल में झारखंड जैसे गरीब राज्य पर तकरीबन 85,000 करोड़ रूपये का कर्ज लाद दिया है। जो चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में बढ़कर 92,864 करोड़ रूपये हो जाएगा। हेमंत सरकार द्वारा जारी श्वेत पत्र में इसका जिक्र प्रमुखता से किया गया है। इस 85,000 करोड़ रूपये में तत्कालीन रघुवर सरकार ने अपने पांच सालों में विकास योजनाओं व अन्य मदों के लिए 47640.14 करोड़ रूपये कर्ज लिये थे।

झारखंड को इतने गहरे संकट में डालकर जाने वाली भाजपा की एक और महाघोटाले की परतें  नियंत्रक और महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में उधड़ी है। मानसून सत्र के दौरान विधानसभा पटल पर रखे गये यह रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2019 के लिए है। जिसमे बताया गया है कि तत्कालीन डबल इंजन सरकार के विभिन्न विभाग 53,379 करोड़ रूपये का हिसाब नहीं दे पायी है। सीएजी ने इस प्रकरण में धोखाधड़ी की आशंका जतायी है। 

रघुवर ने जब सत्ता संभाली थी, तो कर्ज था 37593 करोड़, बढ़कर हुआ 85,000 करोड़ 

ऐसा प्रतीत होता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सत्ता के समक्ष कर्ज की इतनी बड़ी चुनौती छोड़ना शायद भाजपा की एक सोची-समझी राजनीति का हिस्सा है। क्योंकि, एक तरफ केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के करीब 42,500 करोड़ रूपये (2500 करोड़ रूपये जीएसटी और 40,000 करोड़ कोल इंडिया पर जमीन का मुआवजा) देने में आनाकानी किया जा रहा है। और दूसरी तरफ रघुवर सत्ता की गलत नीतियों व थाठशाही के कारण झारखंड सरकार पर 85,234 करोड़ का कर्ज होना, क्या यही नहीं दर्शाता है? 

2014 में जब रघुवर दास ने कुर्सी संभाली थी तब राज्य पर 37,593 करोड़ रुपए का कर्ज था। मगर रघुवर सरकार के गलत नीतियों व थाठशाही के कारण कर्ज में गुणात्मक वृद्धि हुई। जिसका अर्थ यह है कि 14 वर्षो की सरकारों ने जितना कर्ज लिया उससे कहीं ज्यादा रघुवर सरकार ने केवल 5 वर्षों के कार्यकाल में अकेले लिया। हालांकि, इस कर्ज से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन में किसी प्रकार का घबराहट देखने को नहीं मिली है। लेकिन, निस्संदेह रघुवर सरकार के पापों का बोझ ढोते हुए राज्य के विकास की पहिये को गति देना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं हो सकता है।  

रघुवर पाप का एक और बड़ा खुलासा, डकार गये 53,379 करोड़ रघुवर के मंत्री और अधिकारी

जिस तरह से सीएजी की रिपोर्ट में रघुवर सरकार के महाघोटाले का खुलासा हुआ है, वह आर्थिक संकट के बीच झारखंड को काफी परेशान करने वाला है। विभिन्न विभागों के कुल 53,379 करोड़ रूपये शायद रघुवर के मंत्री और अधिकारियों ने डकार लिए हैं। सीएजी ने रिपोर्ट पेश कर हेमंत सरकार को कहा है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा न करने वाले विभागों और निकायों का अनुदान रोक दें। 

विकास का नारा खोखला, विकास का 20,223 करोड़ रुपए नहीं खर्च सकी रघुवर सरकार

भाजपा के “घऱ-घर रघुवर” और “सबका साथ-सबका विकास” के चुनावी वादे पूरी तरह से खोखली साबित हुई है। सीएजी की रिपोर्ट ने इसे स्पष्टता से साबित कर दिया है। रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि राज्य सरकार के सभी विभाग मिलकर भी 2018-19 में विकास मद में मिले अनुदानों का 20,223 करोड़ रूपये खर्च नहीं कर सकी। नतीजतन कल्याणकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं में संरचनात्मक प्रबंधन का महत्वपूर्ण लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका। ऐसे विभागों में पशु पालन, सहकारिता, नागरिक उड्डयन शामिल है, जो कि रोज़गार और संरचनात्मक विकास से पूरी तरह संबंधित है।

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