जनजातीय समाज की उम्मीदों पर खरा उतरते मुख्यमंत्री, सोरेन के प्रयासों से होगा उत्थान

सीएम द्वारा लिए गए निर्णयों से जनजातीय समाज के विकास का मार्ग हुआ है प्रशस्त, 374.80 करोड़ के विकास योजनाओं से जनजाति समाज का होगा उत्थान

हेमंत सरकार में पहली बार ट्राइबल फिलोसॉफी पर आधातित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ सफल आयोजन

राँची। झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य के जनजातीय समेत एससी व ओबीसी समाज के उम्मीदों के मद्देनजर लगातार काम करते दीखते हैं। श्री सोरेन द्वारा समाज के हित में लिये गए कई निर्णय उनकी विकासमूलक दृष्टि को स्पष्ट दर्शाता है। लंबे समय से आदिवासी समाज की सरना धर्म कोड की मांग के प्रस्ताव को सहमति जताना, केवल संकेत भर नहीं हो सकता है। साथ ही  कोरोना काल से लेकर मौजूदा वक़्त तक जिस प्रकार इन वर्गों के हित में हेमंत सोरेन द्वारा विशेष निर्णय लिये गए, निश्चित रूप से इन समाजों में हेमंत सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है। 

374.80 करोड़ के विकास योजनाओं से होगा जनजातीय व बहुजन समाज का उत्थान

राँची। बीते दिनों हुई एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के जनजातीय समाज के विकास के मातहत कई योजनाओं पर अपनी सहमति जताई है। इसमें संविधान की धारा 275 (1) के तहत जनजाति हितों के लिए संचालित योजनाएं, अनुसूचित जनजाति उपयोजना, कंजर्वेशन कम डेवलमेंट के तहत आने वाली योजनाओं और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय को आगे जारी रखना प्रमुखता से शामिल है।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के तहत संचालित होने वाली इन योजनाओं के लिए सीएम ने 374.80 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं के प्रस्ताव पर अपनी सहमति दी है। इसके अलावा हेमंत द्वारा जिस प्रकार नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत अन्य जनजाति भाषाओं का पिछड़ते देख केंद्र के समक्ष सवाल उठाए गए। साथ ही जनजातीय धर्मों को संरक्षण के पक्ष में खड़ा दिखना। कहा जा सकता है कि समाज के बचाव व विकास की के लिए कमर कासी जा चुकी है।  

96 करोड़ खर्च कर हेमंत सरकार करेगी जनजाति युवा-युवतियों का विकास

374.80 करोड़ रुपये की राशि से जनजातीय समाज के ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण एवं विकास, सरायकेला में बिरसा स्टेडियम के उन्नयन, अनुसूचित क्षेत्रों में पीसीसी पथ, कलवर्ट व पुल निर्माण, अनुसूचित क्षेत्रों में चल रहे मेसो हॉस्पिटल, जीएनएम हॉस्टल के जीर्णोद्वार, आवासीय एवं एकलव्य विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर आदि का काम किया जाएगा। 

साथ ही इसी राशि के 96 करोड़ रूपये से अनुसूचित जनजाति उपयोजना के तहत तालाब निर्माण, डीप बोरिंग, लिफ्ट एरिगेशन, अनुसूचित जनजाति के युवाओं के उद्यमिता विकास, सिंचाई,  अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के बीच सिलाई मशीन का वितरण, मधुमक्खी पालन समेत अन्य योजनाओं को संपन्न किया जाएगा।  

सरना धर्म कोड के प्रस्ताव को केंद्र भेजने पर सहमति

मुख्यमंत्री ने मानसून सत्र के अंतिम दिन घोषणा की कि उनकी सरकार अगले सत्र से पहले ही सरना धर्म कोड का प्रस्ताव केंद्र को भेजेगी। एक लंबे समय से जनजातीय समाज सरना धर्म कोड की मांग करता रहा है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि लंबे समय से आदिवासी समाज के सरना धर्म कोड की मांग पूरी करने के लिए उनकी सरकार पूरी तरह तैयार है। 

आदिवासी समुदाय की खोती पहचान पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जताई है चिंता

हेमंत सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य में पहली बार “ट्राइबल फिलोसॉफी पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन” का सफल आयोजन संभव हुआ। सम्मेलन में सीएम ने आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और परंपरा पर विशेष जोर देते हुए चिंता व्यक्त किया कि विकास की अंधी दौड़ में आदिवासी समुदाय अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। आदिवासी समाज के गिरते जीवन स्तर पर चिंता जताते हुए हेमंत ने  कहा इन्हें संरक्षण देने की जरुरत है। 

जनजातीय भाषाओं और टाना समुदाय के बच्चों का उत्थान एक सराहनीय कदम

जनजातीय समाज के उत्थान के मातहत कई निर्णय लिया जाना हेमंत के ईमानदार प्रयास को स्पष्ट करता है। इसमें मुंडारी, हो व कुडूख भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने के साथ संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजना शामिल है। इसके अलावा हेमंत सोरेन द्वारा स्वयं आंदोलनरत टाना भगत समुदाय को भरोसा दिलाया जाना कि सरकार उनके लिए मुख्यमंत्री पशुधन योजना की शुरुआत कर उनके विकास मार्ग को प्रशस्त करेगी। और उनके वैसे बच्चे जो रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय से पास आउट हुए हैं,  सरकार रोज़गार दिलाने का काम करेगी। इसी तथ्य को मज़बूती देती है।

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