मईया सम्मान यात्रा: नारी राजनितिक सशक्तिकरण में ऐतिहासिक पहल

झारखण्ड : मईया सम्मान यात्रा – नारी राजनितिक सशक्तिकरण में हेमन्त सरकार का एक और ऐतिहासिक ठोस पहल. जिसके अक्स आधी आबादी स्वयं कर रही अपनी स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन.

रांची : सुकिती देव, शाक्य मुनि बुद्ध का महत्वपूर्ण शिक्षा- ‘अपना दीपक स्वयं बनो’ जिसका सीधा सम्बन्ध ज्ञान से है. जहाँ जन जीवन समस्याओं से बाहर निकलने में स्वयं अपना मार्गदर्शक होता है. ज्ञात हो जहाँ राज्य में विपक्ष अपना पाँव साप्रदायिक और भ्रम जैसे मुद्दों के आसरे ज़माना चाह रहा है वहीँ सीएम हेमन्त सोरेन अपने भारतीय विश्वगुरु बुद्ध की शिक्षा को अपने शासन प्रणाली में शामिल कर राज्य विकास के मद्देनजर सामाजिक-राजनितिक लड़ाई और तेज करते दिख चले है.

मईया सम्मान यात्रा

‘मईया सम्मान यात्रा’ कार्यक्रम स्पष्ट उदाहरण हो सकता है. जहां राज्य की राजनीति में महिलाओं को पृथक बराबरी के मंच मुहैया कराने का संविधानिक प्रयास हुआ है, जिसे ऐतिहासिक परिवर्तन से कमतर नहीं आंका जा सकता है. इस यात्रा के पहले ही कार्यक्रम में महिलाओं में झलके उत्साह से स्पष्ट हो चला है कि राज्य की आधी आबादी को राज्य विकास में खुद को साबित करने की कितनी चाह थी. महिलायें स्वयं अपनी एतिहासिक और पूर्व-वर्तमान स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करती दिखी हैं.

हेमन्त सरकार इस क्रांतिकारी रणनीति के अक्स में राज्य की आधी आबादी राज्य के सामाजिक – राजनितिक विकास में स्व-जागरूकता, प्रेरणा, आत्मविश्वास, सीखने का अवसर, सामाजिक परिवर्तन, सशक्तिकरण, सामाजिक एकता, नीति निर्माण जैसे पहलुओं पर स्वयं अध्ययन कर रहीं हैं. सीएम हेमन्त सोरेन के इस दाव से जहाँ विपक्ष के सभी पूंजीपरस्त एजेंडे धाराशाही हो चले हैं तो वहीं राज्य की आधी आबादी एक शक्ति के रूप में राज्य संरक्षण में मजबूती से खड़ी हो चली है.

महिला मंत्री की योजना. महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण. महिलाओं की यात्रा -विपक्ष बेबस 

हेमन्त सोरेन जैसे आदिवासी सीएम के कुशल नेतृत्व और रणनीति ने विपक्ष को समाजिक चक्रव्यूह में बुरी तरफ फांस लिया है. जिसके अक्स में चाह के भी वह बाहर निकलता नहीं दिख रहा है. और विपक्ष की बेबसी झारखण्ड की राजनितिक दरिया में कभी घुसपेठिया, गड्ढा, इन्टरनेट, हिन्दू-मुस्लिम, उतावलेपन, जांच एजेंसी, नेता-विधायक खरीद-फरोख्त जैसे खुद के ही लहरों में थपेड़े खाती दिख चली है. और उसकी नैया किसी किनारे किसी छोर पर उतरती नहीं दिखती है.

इनकार नहीं किया जा सकता कि सीएम हेमन्त ने झारखंडी परम्परा, जहाँ महिलायें सशक्त योद्धा है, जिसे मनुपरस्त पुरुषवाद में तुच्छ का दर्जा प्राप्त है. उस नारी शक्ति में किसी सामाजिक सेनापति के भांति आत्मविश्वास भरा है, नतीजतन वह नारी शक्ति बतौर योद्धा विपक्ष के समक्ष मजबूती से आ खड़ी हुई है. अब विपक्ष समझ नहीं पा रहा है कि वह एसटी सीएम से लड़े या झारखंडी वीरांगनाओं से. जो कहीं सावित्री, तो कहीं सावित्रीबाई फूले, कहीं लक्ष्मीबाई, तो कहीं फूलो-झानों बन खड़ी है.

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