मधुपुर उपचुनाव – उधार या हाईजैक उम्मीदवार के भरोसे भाजपा और आजसू !

मधुपुर उपचुनाव में अदला-बदली के खेल के बीच झारखंड की गठबंधन सत्ता ने झामुमो से आंदोलनकारी के खून हफीजुल अंसारी को आगे कर, झारखंड की भावना से जुडी मानसिकता के रूप में ठोस विकल्प दिया है।

मधुपुर : लोकतंत्र में चुनाव के मायने उस भरोसे से हो। जहाँ पार्टियाँ उम्मीदवार को खड़ा कर खुद की विचारधारा को जनता के भरोसे से जोड़े। और झारखंड के मधुपुर उपचुनाव में भाजपा व आजसू का सच अपने मूल उम्मीदवारों पर भरोसा ही न होने का उभरे। तो जनता भविष्य के मद्देनजर अपने उम्मीद को कैसे उस उम्मीदवार से जोड़ सकती है। मधुपुर उपचुनाव में जहां भाजपा हाईजैक या उधार के उम्मीदवार गंगा नारायण सिंह के भरोसे मैदान में हो। तो वहीं आजसू व राज पलिवार भी अपने अपमान का बदला लेने के मकसद से मैदान में उतरने को आतुर हो। तो दोनों दलों के वैचारिक मंशे अक्स में जनता के पीसते अरमानों का सच साफ समझा जा सकता है। 

उपचुनाव में अदला-बदली के खेल के बीच झारखंड की गठबंधन सत्ता ने झामुमो के दल से, आंदोलनकारी के खून हफीजुल अंसारी को आगे कर, आज नॉमिनेशन करते हुए मधुपुर विधानसभा की जनता को झारखंड की भावना से जुडी मानसिकता के रूप में ठोस विकल्प दे। तो वहीं भाजपा और आजसू जिसे अपने मूल सिपाही पर भरोसा न हो। और एक दूसरे के उम्मीदवारों पर दांव खेलने पर आतुर हो। जहाँ या तो दोनों पार्टियां में अपने अस्तित्व को लेकर उलझन या फिर विचारधारा का स्पष्ट उदाहरण पेश करे। तो ऐसे में रघुवर सरकार के उस सहयोगी काले सच के अक्स में जनता का जुड़ाव इन दोनों दलों के साथ होना मुश्किल व असंभव प्रतीत होता है। 

आजसू अपनी अस्तीव के मद्देनजर तो राज पलिवार अपनी खोती विरासत के मद्देनजर एक दूसरे के साथ खड़ा होने को तैयार

ज्ञात हो 2019 विधानसभा चुनाव, झामुमो के दिवंगत नेता पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी से राज पलिवार 23,069 वोटों से हारे थे। और आजसू नेता गंगा नारायण सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। मौजूदा दौर में भाजपा ने आजसू के अस्तित्व पर भीतरघात करते हुए गंगा नारायण सिंह को अपने दल में शामिल कर उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में जहां आजसू अपने अस्तीव के मद्देनजर तो राज पलिवार अपनी खोती विरासत के मद्देनजर एक दूसरे के साथ खड़ा होने को तैयार हैं। जिसके अक्स में भीतरघात का खेल की रणनीति साफ़ तौर पर नजर आ सकती है। 

मसलन, तमाम परिस्थियाँ मधुपुर उपचुनाव में झामुमो को एक मजबूत स्थिति ला खड़ा करती है। साथ ही दिसुम गुरु शिबू की शाख व हेमंत सोरेन की समझ भाजपा की राह में पहाड़ बन खड़ा है। और दिवंगत आंदोलनकारी हाजी हुसैन अंसारी के विचार की ढाल के साथ भी खड़ा हफीजुल हसन की परिस्थित भी उसी मजबूती को दर्शात है। ऐसे में भाजपा के लिए इस उपचुनाव में कुछ भी शेष बचता नहीं दिखता। और झामुमो की पकड़ बरकरार दिखती है। मधुपुर के चौक चौराहों पर झामुमो की जीत की चर्चा अभी से ही आम हो चली है। जहाँ जनता का साफ़ कहना है कि वह गोयठे में घी नहीं सुखाएगी। 

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