क्या झारखंड के संस्थानों में बैठी संघी मानसिकता के आसरे भाजपा कर रही है राजनीति?

क्या झारखंड के संस्थानों में बैठी संघी मानसिकता के आसरे भाजपा कर रही है राजनीति? शायद इसके अलावा भाजपा के पास जन मुद्दा शेष नहीं

भाजपा विचारधारा की राजनीति में जो दिखता है महत्वपूर्ण नहीं होता, जो नहीं दिखता वह ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. जो अदृश्य रह जाता है उद्देश्य वहीं छुपा होता है. उदाहरण के तौर पर पढ़े-लिखे मंत्रियों की परिषद बनाने निकले नरेंद्र मोदी उन चार काफ़ी पढ़े-लिखे मंत्रियों का बलि देते है, जिनकी किताब का लोकार्पण अटल बिहारी वाजपेयी ने भरोसे के साथ किया था. मसलन, नाम बदलने भर से फील गुड का सपना दिखाने वाली मानसिकता, अब मंत्रिमंडल में चेहरे बदल कर तमाम पाप धो लेना भर चाहती है. 

झारखंड में भाजपा की पिछली रघुवर सरकार, केन्द्रीय लाभ के मंशे को समर्पित रही. झारखंड राज्य के तमाम संस्थानों में संघी मानसिकता को भर, उसे लगभर चिर निद्रा में सुला दिया. जिनकी उबासी हेमंत सरकार में भी नहीं खुल रही है. खुले भी कैसे प्रदेश भाजपा उनके आसरे राजनीति जो करती है. जिसके अक्स में प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश जैसे नेता राज्य सरकार के खिलाफ बयान दे राजनीति की दुकान को खुला रख सकती है. कि हेमंत सरकार फैसले तो लेती है, लेकिन नियमों के अनुपालन के लिए न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ता है. विडंबना है कि संघी बीमार विचारधारा से ग्रसित  दीपक प्रकाश की मानसिकता सच से परे केवल राजनीतिक पोटली पर केन्द्रित है. 

हेमंत सरकार न्यायालय के समक्ष भाजपा सरकार की भांति झूठ नहीं रखती 

ब्लैक फंगस से पीड़ित गिरिडीह जिले की उषा देवी का ऑपरेशन रिम्स में न्यायालय की पहल पर हुआ. जागरूक होना अच्छी बात है लेकिन, सरकार के समक्ष मामला आने से पहले सब कुछ आनन-फानन में हो जाना, बीजेपी के राजनीतिक नेटवर्क पर सवाल खड़े कर सकते हैं! हेमंत सरकार ने बीमार के इलाज को प्राथमिकता दी. भाजपा सरकार की भांति गलत या झूठ न्यायालय के समक्ष नहीं रखा! यह अपने आप में, राज्य में स्वस्थ मानसिकता का सुखद अनुभव हो सकता है. और सत्ता के लोभ में तमाम हथकंडे अपनाने वाली मानसिकता के लिए गंभीर सीख, कि पद, प्रतिष्ठा, कुर्सी की चिंता से परे, जनता की समस्या का निराकरण हेमंत सत्ता में महत्वपूर्ण है.

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