हेमंत सरकार में पहली बार कृषि आधारित उद्योग लगाने पर कम ब्याज पर 2 करोड़ तक का ऋण

झारखंड में केवल 4 प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि आधारित उद्योग ऋण की सुविधा, भुगतान अवधि भी 7 साल तक.

रांची: कोरोना महामारी के चुनौतीपूर्ण माहौल में भी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नीतियों की लकीर बिल्कुल स्पष्ट है. उनकी खींची रेखा आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक अपनी पहुंच बनाती है. जिसे एक सशक्त व समृद्ध राज्य के ठोस बुनियाद की सच का हिस्सा माना जा सकता है. ज्ञात हो कि कोरोना संक्रमण के पहले मुख्यमंत्री का प्रयास था कि राज्य में कृषि आधारित उद्योग लगे. मुख्यमंत्री ने उद्योग लगाने की मंशा रखने वाले उद्योगपतियों को खुला निमंत्रण दिया था. इस दिशा में मुख्यमंत्री एक कदम आगे बढ़ाते हुए बड़ी पहल की है. जहाँ नीतियों के मद्देनजर, उद्योगपतियों को कम ब्याज दर पर 2 करोड़ रुपये तक का ऋण देने की पेशकश की है.

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने 16 माह के कार्यकाल में, कृषि को राज्य के विकास में महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए प्राथमिकता में रखा है. हेमंत सोरेन कृषि क्षेत्र को को विशेष टारगेट करते हुए कई महत्वपूर्ण पहल पूर्व में ही कर चुके है. इसमें किसानों का ऋण माफी प्रमुखता से शामिल है. इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से रूचि लाह की खेती में रूचि दिखाते हुए, उसे उद्योग का दर्जा दिया था. उद्योगपतियों को सहूलियत देने के मद्देनजर इंडस्ट्रियल पार्क, निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम, सब्सिडी देने जैसे के नीतियों का ऐलान उनके द्वारा पूर्व में ही किया गया था. 

केवल 4 प्रतिशत ब्याज पर 2 करोड़ का ऋण और 7 साल का भुगतान अवधि, त्रासदी के दौर में किसी राहत से कम नहीं 

राज्य में कृषि आधारित उद्योग लगाने के लिए 4 प्रतिशत ब्याज पर 2 करोड़ का ऋण, त्रासदी काल में राहत वाली पहल हो सकती है. और दूसरी सुकून देने वाली तथ्य हो सकते हैं कि ऋण लेने वालों को ऋण भुगतान की अवधि 7 साल तक के लिए रखी गयी है. योजना का लाभ देने के लिए सरकार ने पात्रता भी तय कर दिया है. किसान सहित किसान उत्पादक संगठन, को-ऑपरेटिव सोसाइटी, जॉइंट लाइब्रेलिटी ग्रुप, लोकल बॉडीज हेमंत सरकार की इस पहल का लाभ ले सकते हैं.

एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग, लाह उद्योग जैसी अन्य कृषि आधारित उद्योगों के लिए इस ऋण योजना का लाभ मिलेगा. योजनाओं का क्रियान्वयन कृषि पशुपालन व सहकारिता विभाग के माध्यम से किया जाएगा.

16 माह की अवधि में साबित हो चुका है, हेमंत सत्ता पूरी तरह से किसान हितैषी हैं 

झारखंड राज्य एक ग्रामीण बहुल इलाका है. करीब 75 फीसदी जनसंख्या गांव में निवास करती है. जहाँ अधिकांश लोग कृषि व उनसे जुड़े रोजगार पर आश्रित हैं. ऐसे में 16 माह की अवधि काल में मुख्यमंत्री का जोर किसानी पर होना, राज्य को अर्थ देता है. और इस दिशा में उनके द्वारा उठाये  कदम उनकी सरकार को कृषि हितैषी साबित करती है. पहले ही बजट में 2000 करोड़ रुपये की कृषि ऋण माफी का प्रावधान किया जाना. कृषि उत्पादों के संरक्षण के मद्देनजर राज्य में लगभग 500 नए गोदाम और 224 फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनाने की कवायद. इसकी पुष्टि करती है. सीएम का व्यक्तिगत इच्छाशक्ति है कि 2020 में लक्ष्य से 30 प्रतिशत ज्यादा धान की खरीदारी की जा सकी .

लाह की खेती को कृषि का दर्जा, नयी औद्योगिक पॉलिसी से भी मिलेगा बढ़ावा

कृषि आधारित उद्योगों की दिशा में सीएम की इच्छाशक्ति का भान इससे भी हो सकता है कि पहली बार झारखंड की शान लाह को खेती को कृषि का दर्जा मिलने जा रहा है. यहां तक कि लाह की खेती का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय किया जाएगा. मुख्यमंत्री पशुधन योजना से भी कृषकों को काफी लाभ मिला है. राज्य की नयी औद्योगिक पॉलिसी लाने का उद्देश्य भी कृषि क्षेत्र को मजबूती देने का पक्षधर है. हालांकि कोरोना महामारी के कारण गति जरूर थोड़ी धीमी हुई लगी है. लेकिन महामारी निपटते ही झारखंड में ऐसे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा.

नयी पॉलिसी के मद्देनजर सरकार ने पर्यटन और उद्योगपतियों को सहूलियत देने के लिए रांची में आईटी पार्क और फूड पार्क, धनबाद में लेदर पार्क, बहरागोड़ा में लॉजिस्टिक्स और वेयर हाउस पार्क, रांची में फार्मास्यूटिकल पार्क और देवघर में प्लास्टिक पार्क का निर्माण किया है. निवेशकों को राज्य में उद्योग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के साथ-साथ सब्सिडी देने का भी ऐलान किया गया है.

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