सीएम हेमंत सोरेन के प्रयास की हाईकोर्ट तक ने की सराहना, आखिर बीजेपी नेता मोदी भक्ति से उठ कब करेंगे देश की चिंता

जहाँ हेमंत सोरेन के प्रयास की हाईकोर्ट ने सराहना की, वहीं मोदी सरकार के प्रबंधन व नीतियों की आलोचना मद्रास हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व मेडिकल रिसर्च जर्नल ‘द लैंसेट’ तक कर चुके हैं. केवल राष्ट्रभक्त संस्था स्वयं सेवक संघ व भाजपा नेताओं को नहीं दिखती अनियमितता 

सीएम हेमंत सोरेन के प्रयास  – 

  • पहली लहर – भूखे नहीं रहे लोग 
  • दूसरी लहर – कोविड सर्किट, संजीवनी वाहन, अमृत वाहिनी पोर्टल जैसी योजनाओं से से दे जनता को राहत 

रांची: कोरोना महामारी की दूसरी लहर केंद्र की विचित्र नीतियों का सच लिए है. जीवन रक्षा के मद्देनजर केंद्र अपने जिम्मे केवल चुनाव लड़ना और सरकार गिराना-बनाना रखा. और बिना संसाधन मुहैया कराये कठोर कदम उठाने का सारा जिम्मा राज्यों पर उसके भरोसे छोड़ दिया. और राज्यों के भाजपा नेताओं को मॉनिटरिंग का जिम्मा दिया कि कोई प्रधान सेवक की महिमा पर भूल से भी सवाल न उठाए. और कोई राज्य बेहतर कार्य करे तो आईटी सेल के माध्यम से उसकी गति तत्काल धीमी करें. ज्ञात हो महामारी रोक-थाम के मद्देनजर विशेषकर गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए संक्रमण से लड़ना ठीक वैसा ही है जैसे बिना हथियार व ढाल के युद्ध मैदान में निहत्ता खड़ा होना. 

हालांकि, भाजपा शासित राज्यों में जहाँ संक्रमित लाशें गंगा-यमुना में बह रही है. वहीं झारखंड जैसे गैर भाजपा शासित राज्य में अल्प संसाधन में भी सोच से बढ़ कर कार्य हो रहे है. झारखंड में संक्रमण का प्रसार थमे, इसके लिए सीएम हेमंत सोरेन जनहित में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह जैसे तमाम कठोर कदम को लागू किया है. राहत के मातहत हर सुबह कई युक्तिसंगत निर्णय का सच लिए आता है. संकट के इस दौर में मुख्यमंत्री ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दिया है. केन्द्र के सौतेले व्यवहार व विपक्ष के लगातार हमले के बावजूद, राज्यवासियों की स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति बिना विचलित हुए, धीरज के साथ, वह जान बचाने में सफल हो रहे हैं. यकीनन रघुवर काल होता तो सच है कि झारखंड में गंगा भी नहीं है. 

तमाम सांसद व भाजपा नेता घर बैठे केवल बजा रही है गाल

मसलन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की साहसिक कार्यों को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट नेमा सराहना कर राज्य के मुखिया का हिम्मत बढ़ाया. लेकिन, प्रदेश बीजेपी नेताओं की मानसिक अपंगता ही हो सकती है कि हेमंत सरकार की पुरुषार्थ उसे नहीं दिखती. उनके तमाम सांसदों के मुंह बंद होने के बावजूद, वह घर बैठ केवल गाल बजा रही है. काश यह गाल वह केंद्र की मोदी सरकार के समक्ष बजाते, तो राज्य की तस्वीर अलग होती. ऐसे में बड़ा सवाल है कि देश के हर न्यायालय व अंतरराष्ट्रीय संस्था से कड़ी फटकार मिलने के बावजूद भी आखिर बीजेपी नेता मोदी भक्ति से ऊपर उठकर देश की चिंता कब करेंगे? 

सराहना का श्रेय हेमंत सरकार व विशेष कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इच्छाशक्ति का फल है

हाईकोर्ट द्वारा हेमंत सरकार के कार्यों की सराहना किया जाना, निश्चित रूप से दर्शाता है कि कोरोना संकट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दृढ इच्छाशक्ति के साथ जनता के सुख-दुःख के साथ खड़े हैं. ज्ञात हो, बीते वर्ष 2020 में जब कोरोना संक्रमण की पहल लहर राज्य में आयी थी, तो मुख्यमंत्री का ही प्रयास था कि कोई भी व्यक्ति राज्य में भूखा नहीं रहा. दीदी किचन, थानों में कम्युनिटी किचन, हाईवे किचन जैसे योजनाओं के माध्यम से जनता की त्रासदी में रक्षा की थी. तमाम प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की सूत्रधार देश भर में बने थे. 

आज जब झारखंड कोरोना के दूसरे विनाशकारी लहर से जूझ रहा है, तो मुख्यमंत्री राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था के दायरे को निरंतर बढ़ने में प्रयासरत हैं.  न केवल हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन युक्त बेड और वेंटिलेंटर निरतंर बढ़ हैं बल्कि भाजपा शासित समेत कई राज्यों को झारखंड ऑक्सीजन दे मदद भी कर रहा है. 1 माह पहले शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 943 ऑक्सीजन युक्त बेड थे, मौजूदा दौर में अब वह बढ़ कर 2360 हो चुके है। ICU बेड की संख्या 338 से बढ़कर 810 हो गयी है. खेलगांव में 200 और सदर अस्पताल में 100 ऑक्सीजन बेड बढ़ाने की तैयारी अपने गति पर है.

बेहतर रणनीति के तहत शुरू हुई योजनाएं संक्रमितों को पहुंचा रहा है राहत

ज्ञात हो, कोरोना संक्रमितों को बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री लगातार कई योजनाएं शुरू की है. 

  • होम आइसोलेशन में रहने वाले करीब 43,000 संक्रमितों को कोविड मेडिकल किट उपलब्ध कराया जा चुका है. 
  • कोविड सर्किट के माध्यम से 800 से ज्यादा संक्रमितों को ऑक्सीजन युक्त बेड उपलब्ध कराया गया है.
  • संजीवनी वाहन के माध्यम से हॉस्पिटलों के लिए इमरजेंसी में 24 घंटे ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है. 
  • निजी हॉस्पिटलों में कोविड मरीजों के लिए 70 प्रतिशत बेडों को आरक्षित करने का निर्देश दिया गया है. 
  • अमृत वाहिनी पोर्टल पर अभी तक कुल 23,575 लोगों ने विजिट किया है. पोर्टल के द्वारा 356 मरीजों ने अस्पतालों में बेड की बुकिंग करायी है. 
  • चैट बॉक्स पर 37,375 लोगों ने चैट के जरिए जरूरी जानकारियां हासिल की है. मरीजों ने कोविड से संबंधित चिकित्सीय परामर्श, प्लाज्मा दान, आहार चार्ट से संबंधित जानकारी प्राप्त की है. 

ऐसे में अगर झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सरकार के कार्यों की सराहना की है, तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री की बेहतर रणनीति के सच को स्वीकार किया जाना चाहिए.

मोदी सरकार की असंवेदनशील नीतियां, लचर प्रबंधन व मनुवादी विचारधारा की कार्यशैली ने संक्रमण को बढ़ाया है. हो रही आलोचना जायज 

ज्ञात हो कि मोदी सरकार की असंवेदनशील नीतियां, लचर प्रबंधन व मनुवादी विचारधारा की कार्यशैली को सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्था आलोचना का सामना करना पद रहा है. 

  • 30 अप्रैल : मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के बीच महामारी पर नियंत्रण को लेकर ठोस योजना नहीं बनाने के लिए गुरुवार को केंद्र को जमकर फटकार लगायी थी. कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार पिछले 14 महीने तक क्या करती रही जबकि अब कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर है. हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था, क्योंकि चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के बाद भी चुनावी रैलियों को नहीं रोका. कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग ही कोरोना की दूसरी वेव का जिम्मेदार है. ऐसे में चुनाव आयोग के अधिकारियों पर अगर मर्डर चार्ज लगाया जाए तो गलत नहीं होगा.
  • 7 मई :  सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई नहीं करने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि केंद्र हमें कड़े फैसले के लिए मजबूर न करें. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा था कि आदेश के बावजूद हर दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित नहीं हो पा रही है.
  • 8 मई : अंतरराष्ट्रीय पत्रिका मेडिकल रिसर्च जर्नल ‘द लैंसेट’ ने अपने एक संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर तल्ख टिप्पणी की. जर्नल ने लिखा है कि कोरोना के सुपर स्प्रेडर के नुकसान के बारे में चेतावनी के बावजूद मोदी सरकार ने धार्मिक आयोजनों को अनुमति दी. कई राज्यों में चुनावी रैलियां कीं. इसका हश्र यह हुआ कि आज संक्रमण की दूसरी लहर में रोजाना हजारों जानें जा रही है. यह गलती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माफी लायक नहीं हैं. अगर स्थिति यही रही, तो देश में इस साल 1 अगस्त तक कोरोना महामारी से 10 लाख लोगों की मौत हो जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार इस राष्ट्रीय तबाही के लिए जिम्मेदार होगी.

Leave a Comment