kota students: झारखण्ड के साथ अन्याय क्यों? -Hemant Soren

kota students: लॉकडाउन में केवल उत्तर प्रदेश के छात्रों को ही लाया गया! 

kota students: उत्तरप्रदेश सरकार ने  252 बसों से कोटा में फंसे छात्रों को वापस ले आई है। जिसे लेकर झारखण्ड के मुख्यमंत्री Hemant Soren ने सवाल किया,” झारखण्ड के साथ अन्याय क्यों”?

राजस्थान के कोटा में अब तक 92 से अधिक संक्रमित मामलों की पुष्टि हो चुकी है। भरतपुर में एक covid-19 संक्रमित मिला है, जो कि कोटा में रहकर तैयारी करने वाला छात्र है। 13 अप्रैल को अपने बास स्थान भरतपुर आया था।

ऐसे  में यहाँ से नाकाबंदी के दौरान लोगों का स्थानांतरण देश में खतरे को बढ़ा सकता है। इसलिए, (So,) उत्तर प्रदेश में छात्रों का हस्तांतरण सवालों के घेरे में है।

उत्तरप्रदेश सरकार ने  252 बसों से कोटा में फंसे छात्रों को वापस ले आई है। सूत्र के अनुसार, “बसें कम पड़ने पर कोटा प्रशासन द्वारा सौ और बसों का इंतज़ाम किया गया”। कई अखबारों व रिपोर्टों ने इसकी पुष्टि की है। 

यदि यह सुविधा केवल भाजपा शासित राज्यों के लिए है तो गंभीर सवाल छोड़ता है। प्रतीत तो होता है कि मामला पक्षपात है। जो इस संकट के माहौल में ओछी राजनीति का प्रदर्शन है।  

केंद्र ने बढ़ाई दूसरे राज्यों की बढ़ी मुश्किलें

इससे अब दूसरे राज्यों की जनता अपने मुख्यमंत्रियों पर प्रेशर बनाएगी। जिससे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के समक्ष उलझने खड़ी होगी। और उन्हें केंद्र के शर्तों पर समझौता करने पर बाध्य करेगी। और लॉकडाउन का अर्थ बदल जाएगा। 

उदाहरण के लिए, (For instance,) झारखंड जैसे राज्यों में भी इसका असर दिख भी रहा है। प्रवासी मज़दूर से लेकर विद्याथियों तक ने सवाल उठाये हैं, “जब उत्तरप्रदेश को यह सुविधा हासिल हो सकती है तो झारखण्ड क्यों नहीं?

Hemant Soren का ट्विट वायरल 

हेमंत सोरेन (Hemant) ने केंद्र को ट्विट कर सवाल पूछा है, “जब उत्तरप्रदेश के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकती है।तो फिर, झारखण्ड के प्रवासियों और बच्चों के लिए वही व्यवस्था क्यों नहीं करती। झारखण्ड के साथ अन्याय क्यों?

दूसरे शब्दों में, (In other words) सवाल जायज़ है कि, “गैर-भाजपा राज्यों के साथ केंद्र की दोहरी नीति क्यूँ?

केंद्र ने केवल यूपी को ही छात्रों को वापस लाने की अनुमति क्यों दी? 

नीतीश कुमार का मानना

टाइम्स ऑफ इंडिया के एक सूत्र के मुताबिक, नीतीश कुमार का मानना है कि केंद्र कोटा छात्रों के मामले में पक्षपाती है। सरकारों को ऐसा नहीं करना चाहिए…

एक तरफ सभी राज्यों के प्रवासी कामगारों के लिए नीति बनाई जाती है कि वे जहां बंद हैं वहीं रहें! तो दूसरी तरफ वह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के लिए मान्य नहीं होता …  एक छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है।

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kota students: छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल की पीड़ा 

छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल ने कोटा से छात्रों की वापसी पर भी सवाल उठाया है। वे कहते हैं, “छत्तीसगढ़ के लगभग 1,000 छात्र कोटा में फंसे हुए हैं। मुझ पर इन छात्रों को वापस लाने का दबाव है क्योंकि यूपी सरकार ने ऐसा किया है।

हालांकि, (However,) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल का कहना है, “अगर छात्र यहाँ रहना चाहते हैं तो उन्हें स्वास्थ्य व सुरक्षा संबंधित तमाम सुविधा मुहैया करवाई जाएगी”।

Hemant Soren के ट्वीट प्रदेश भाजपा इकाईयों की बेतुकी सफाई 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ट्वीट के जवाब में bjp4jharkhand का बेतुकी ट्वीटआया है। जो मुख्यमंत्री पर राजनीति करने का आरोप लगाती है। ऐसे में झारखण्ड की जनता को तय करना चाहिए, “क्या झारखण्ड भाजपा अपना दामन बचाना चाहती है?” 

जबकि अपने ट्विट में एक बार भी जिक्र नहीं है कि आखिर केंद्र ने ऐसा क्यों किया। जोकि, साफ़ दर्शाता है कि बेतुकी बयान से केंद्र का बचाव किया जा रहा है।

बहरहाल, (However,) केंद्र की सत्ता को यह समझना होगा कि उसके ऐसे कदम देश में फूट को जन्म देगा। और भविष्य में भारत जैसे देश की अखंडता में खतरा उत्पन्न करेगी। इसलिए, देश के गृहमंत्री को इस मामले में जनता को जवाब देना चाहिए। 

जिससे वे समझ सके कि केवल उत्तरप्रदेश के यदि वे ऐसा नहीं करते तो, यह जनता के साथ वादा खिलाफी होगी। अंत में इसे देश को तोड़ने वाला एक गन्दी राजनीति माना जाएगा।   

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