झारखण्ड : सीएम हेमन्त के नेतृत्व में राज्य की आधी आबादी एनडीए के इंपोर्टेड और दलबदलू माननीयों को अपने ताल पर झूमर नृत्य करा रहीं है. उन्हें अभी झारखंडियों का युगलबंदी भी देखना है.
रांची : झूठ के पाँव नहीं होते. जो बोओगे वही काटोगे. मातृभूमि से सभी को मोहब्बत होता है. सभी कहावतें वर्तमान में झारखण्ड बीजेपी की राजनितिक परिस्थिति को परिभाषित कर रहे हैं. ज्ञात हो झारखण्ड में कांग्रेस दलबदलू असम के मुख्यमंत्री का पदार्पण हुआ तो उनके साथ घुसपैंठ मुद्दा झारखण्ड आया. लेकिन झारखंडी महिलाओं ने इस मूदे के साथ केंद्र को जोड़ उसकी हवा निकाल दी. मध्यप्रदेश से केन्द्रीय मंत्री आए तो उनके साथ भ्रष्टाचार मुद्दा आया. तो राज्य की महिलाओं ने उसका जोड़-घटाव व्यापम से कर दिया. और केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ बकाये को मुद्दा बना दिया.

केन्द्र के इशारे पर असम के माननीय द्वारा राज्य में नेताओं के खरीद-फरोख्त का दौर शुरू हुआ. और उन दलबदलू नेताओं को बीजेपी के मूल नेताओं के सर पर भी बिठा दिया गया. नतीजतन, बाहरी नेताओं ने अधिकांश टिकटों का बंदरबांट कर लिया. पहले ही केन्द्रीय नीतियों से दुखी मूल बीजेपी नेता-कार्यकर्ता को इस परिदृश्य ने भीतर से दुखी कर दिया. आरएसएस के सक्रीय थिंकटैंकों ने भी अपनी महत्ता को अपमानित होता पाया. नतीजतन, झारखण्ड बीजेपी में भारी विद्रोह दिखा. बड़े मूल नेताओं ने दल बदल लिया. अब बीजेपी में अधिकांश बाहरी और दलबदलू ही बच गए हैं. मसलन, केन्द्रीय और असमी माननीय परेशान-अशांत दिख रहे हैं
मतदान बूथों पर झारखंडी युगलबंदी का मजेदार दृश्य दिखना बाकी
झारखण्ड बीजेपी में भले ही केन्द्रीय वर्चस्व अधिक रहता है, लेकिन उसके आदिवासी-मूलवासी नेता-कार्यकर्ताओं में झारखण्ड के प्रति समर्पण दिखता है. इसलिए झारखण्ड बीजेपी में भीतरी-बाहरी और दलबदलू नेता अंदर खाने आमने-सामने आ खड़े हुए हैं. खबर तो यह भी है कि इनका संपर्क राज्य की प्रभावी महिला नेत्रियों से है. दूसरी तरफ मुख्य ओपोजिशन दल के कार्यकर्ताओं में आत्मविश्वास और जुझारूपन देखा जा रहा है. जिसका मजेदार सच मतदान के दिन बोथों पर बतौर झारखंडी कार्यकर्ताओं के रूप में इनकायुगलबंदी देखा जा सकेगा.