झारखण्ड राज्य में पहली बार हेमन्त शासन में मिला ‘अधिकार’ शब्द को शाब्दिक अर्थ 

झारखण्ड : हेमन्त सत्ता का बाबा साहेब के संवैधानिक लकीर पर चलने के कारण राज्यवासियों विभिन्न प्रकार के अधिकार प्राप्त हुए है. झारखण्ड के पूर्ण इतिहास में पहला मौक़ा है जब ‘अधिकार’ शब्द को उसका शाब्दिक अर्थ मिला है.

राँची : आज़ादी के बाद बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित ‘संविधान’ से देशवासियों को, विशेष कर बहुजन-गरीब वर्ग को हज़ार वर्ष बाद कई अधिकार प्राप्त हुए हैं. और इस अधिकार से ही  भारत की भव्यता, एकता और अखंडता परिभाषित हुआ है. जिसमें देश के सभी वर्गों की बराबरी, सम्मान, मूल भूत अधिकार जैसी लकीरें महत्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन, मूल भूत अधिकार के मामले में  पर झारखण्ड का 21 वर्ष का शासन काल उदासीन रहा है.

झारखण्ड की मूल बहुजन जनता के अधिकारों का हनन हुआ है. लेकिन, मौजूदा हेमन्त सत्ता का बाबा साहेब के संवैधानिक लकीर पर चलने के कारण राज्यवासियों विभिन्न प्रकार के अधिकार प्राप्त हुए है. झारखण्ड के पूर्ण इतिहास में पहला मौक़ा है जब किसी सरकार द्वारा  ‘अधिकार’ शब्द को उसका शाब्दिक अर्थ मिला है. मसला, झारखण्ड राज्य की जनता, श्रमिक, अधिकारी-कर्मचारी को ‘शहरी रोजगार’, ‘जीवन जीने’, पेंशन, राशन’, वस्त्र, सहायक शिक्षक, क्षतिपूर्ति अवकास जैसे अधिकार प्राप्त हुए हैं. 

हेमन्त ने कहा, झारखंडी सरकार देगी हर गरीब-गुरुबा को पेंशन और राशन का अधिकार 

सर्वजन पेंशन योजना के तहत आयोजित पेंशन वितरण सह जागरूकता कार्यक्रम जैसे माध्यमों से सीएम हेमन्त सोरेन ने राज्य में अधिकार शब्द को व्यापक बनाया है. उन्होंने स्पष्ट कहा हैं – झारखण्ड की सरकार राज्य के हर गरीब-गुरुबा को पेंशन और राशन का अधिकार देगी. इस अधिकार से कोई नहीं अछूता नहीं रहेगा. उन्होंने अधिकारियों को इस सन्दर्भ में निर्देश दिया है कि वे हर माह की पांच तारीख तक योग्य लाभुकों को पेंशन देना सुनिश्चित करें. नहीं तो जिम्मेवार अधिकारी दंडित होंगे. उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा. 

“सहाय योजना” से मिला राज्य के भटके युवाओं को सम्मान से ‘जीने का अधिकार’ 

राज्य सरकार द्वारा भटके युवाओं को सम्मान से जीने का अधिकार देने की कवायद शुरू हुई है. मुख्यमंत्री का मानना है कि पूर्व की सरकारों की नीतियों के कारण, मुख्यधारा से भटके युवा वापस सामान्य जीवन लौट आएं. ऐसे युवाओं को सरकार सम्मान के साथ जीने का अधिकार व रोजगार उपलब्ध करवाएगी. इसके लिए राज्य सरकार ने सहाय यानी Sports Action toward Harnessing Aspiration of Youth (SAHAY) योजना की शुरूआत की है. 

यह योजना नक्सलवाद पर अंकुश लगाने हेतु शुरू की गई है, ज्ञात हो राज्य का 24 में से 19 जिला नक्सलवाद से प्रभावित है. योजना के तहत गांव से लेकर वार्ड स्तर तक के 14-19 आयु वर्ग के लड़के-लड़कियों का पंजीकरण होता है उन्हें बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी और एथलेटिक्स जैसे खेल प्रितिस्पर्धा में अपना कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है.

हेमन्त सरकार में शहरी क्षेत्र में रोजगार मिंलने की गारंटी बना अधिकार

झारखंड के शहरी इलाकों के श्रमिकों को रोजगार की गारंटी देने से यह अधिकार के रूप में सुनिश्चित हुआ है. दरअसल, मुख्यमंत्री शहरी योजना के तहत शहरी निकाय क्षेत्र के मजदूरों को राज्य सरकार 100 दिन का रोजगार दे रही है. योजना के तहत शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले वयस्क और कुशल श्रमिकों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार के गारंटी के सरकार उपलब्ध करा रही है. इसमें रोजगार न मिंलने पर बेरोजगारी भत्ता का भी प्रावधान है.

Leave a Comment