झारखण्ड : हेमन्त शासन में पहली बार आरक्षण को मिला वास्तिक अर्थ. शहीदों के आश्रितों को 5% आरक्षण, निजी क्षेत्र में 75% और प्रतियोगिता परीक्षाओं में आरक्षणधारियों को मिला आरक्षण का लाभ…
रांची : भारत के संविधान में आरक्षण के प्रावधान जिस उद्देश्य से जोड़े गए थे, आजादी के 75 वर्ष बाद तक शायद ही झारखण्ड व देश के उन तबके को उसका लाभ मिल पाया है. झारखण्ड राज्य गठन के करीब 17 सालों तक भाजपा सत्ता में बनी रही. अंकलन के उपरान्त भाजपा द्वारा आरक्षण के नाम पर झारखण्डियों को केवल छलने का सच ही सामने विद्यमान है. लेकिन मौजूदा हेमन्त सरकार राज्य में आरक्षण के प्रावधानों को ईमानदारी के साथ लागू करने की दिशा में जरुर बढ़ी है. जो पूर्व की सताओं की तुलनातमक अध्ययन का स्रोत के रूप में भी सामने हो सकता है.
हेमन्त सरकार में जहाँ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के बच्चों को आरक्षण का लाभ मिला है, वहीं पहली बार झारखण्ड आन्दोलन के शहीदों, वृद्ध आन्दोलनकारियों व उनके आश्रितों को भी आरक्षण लाभ मिला है. साथ ही निजी क्षेत्रों की नियुक्तियों में स्थानियों को आरक्षण देने का फैसला आना, वंचित, दमित व गरीबों के अधिकारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता व संकल्प को परिभाषित करता है. इन महत्वपूर्ण फैसलों ने जहां राज्य की एक बड़ी आबादी के अधिकार को सुनिश्चित किया है, वहीं, हेमन्त सरकार मनुवादी सोच से ग्रसित भाजपा नेताओं को फिर से राजनीतिक पाठ पढ़ने को विवश भी किया है.
शहीदों को पेंशन और उसके आश्रितों को 5% आरक्षण का लाभ
हेमन्त सरकार द्वारा फैसला लिया गया कि राज्य में शहीदों का दर्जा प्राप्त आन्दोलनकारियों के आश्रितों को सरकार 5% आरक्षण का लाभ देगी. 1 जनवरी को सरायकेला-खरसावां स्थित खरसावां गोलीकांड के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले शहीदों की पहचान करेगी, फिर शहीदों के आश्रितों को पेंशन देगी. सीएम ने कहा कि खरसावां गोलीकांड के शहीद आश्रितों को भी नौकरी में 5% क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला सरकार ने किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हेमन्त सरकार में राज्य के शहीदों को उनका पूरा हक और अधिकार मिलेगा.
निजी क्षेत्र में स्थानीय को रोजगार मिले, इसलिए 75% रिजर्वेशन का प्रावधान
झारखण्ड में निजी क्षेत्र में होनेवाली नियुक्तियों में अब स्थानीय लोगों को 75% रिजर्वेशन का लाभ मिलेगा. विधानसभा के मानसून सत्र 2021 में पारित इस विधेयक को राज्यपाल रमेश बैस ने अनुमति मिल चुकी है. ‘झारखण्ड राज्य निजी क्षेत्र स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक 2021 को मंजूरी मिलने के बाद यह अधिनियम राज्य में लागू हो गया है. इस विधेयक के आने से झारखण्डियों को कई तरह के लाभ मिलेंगे.
निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू होने के बाद राज्य के निजी क्षेत्र के प्रत्येक नियोजकों (मालिकों) के लिए 40 हजार रुपये तक के वेतन व मजदूरी वाले पदों पर 75 % स्थानीय उम्मीदवारों को बहाल करना अनिवार्य होगा. नियुक्ति में कंपनियों, संगठनों व प्रतिष्ठानों को स्थानीय लोगों व परियोजना के कारण विस्थापित हुए लोगों को नियुक्ति में उच्च प्राथमिकता देनी होगी. नियुक्ति में सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखा जाएगा. और विधेयक में ऐसा नहीं करने वाले कंपनियों पर कड़े दंड का भी प्रावधान रखा गया है.
पहली बार जेपीएससी पीटी परीक्षा में आरक्षण का मिला लाभ
हेमन्त राज में बने जेपीएससी नियमावली के तहत हुए सातवीं से दसवीं सिविल सेवा से पीटी परीक्षा में आरक्षण का लाभ एससी, एसटी व ओबीसी वर्ग के बच्चों को मिला है. पहली बार जेपीएससी पीटी में बड़े पैमाने पर आदिवासी, दलित और पिछड़े छात्र सफल हुए हैं. लेकिन इसके बाद भी पीटी परीक्षा में कथित धांधली का आरोप लगाकर भाजपा नेताओं ने शीतकालीन सत्र में हंगामा किया. जिसपर मुख्यमंत्री को बयान देना पड़ा कि आज जब दलित, एसटी-एससी वर्ग के बच्चे पास हो रहे हैं, तो मनुवादियों के पेट में दर्द हो रहा है. ऐसे ही लोग आंदोलन को हवा दे रहे हैं.