मोमेंटम झारखंड का होगा स्पेशल ऑडिट

‘मोमेंटम झारखंड’ वह तीन लाख करोड़ निवेश का सपना था, जो पिछली रघुवर सरकार ने झारखंड की जनता को दिखाया था। लेकिन यकीनन यह योजना झारखण्ड के पेशानी पर एक घोटालेनुमा दाग बन कर उभरा है और यहाँ के युवाओं के सपनों को तार-तार करने के दृष्टिकोण से उस सरकार को कटघरे में भी खड़ा करती है। पहले से ही कई मामलों में रघुवर सरकार द्वारा रची गयी यह पटकथा संदेह के घेरे में रही है। जैसे सरकार ने बिना जाँच के कई ऐसे कंपनियों के साथ एमओयू साईन किया केवल एमओयू साईन करने के लिए ही अस्तित्व में आयी थी।

इस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेशकों से तकरीबन 3.10 लाख करोड़ के 210 एमओयू हुए थे। जिसमे इंडस्ट्री और माइंस सेक्टर में सबसे अधिक प्रस्ताव मिले थे और अर्बन डवलपमेंट निवेशकों की दूसरी पसंदीदा सेक्टर रहा था। झारखंड को एक नए औद्योगिक राज्य के रूप में उभारने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री जी करोड़ों फूके थे। उस सरकार ने झारखण्ड की ज़मीने तो लूटा दी गयी लेकिन एक भी एमओयू ज़मीन पर नहीं उतरा। केवल 55 कंपनियों का काम चल रहा था, उसका भी कुछ पता नहीं है। सरकार बनते ही मुख्यमंत्री द्वारा मोमेंटम झारखंड मोमेंटम झारखंड की फाइल मंगायी गयी थी।

फाइलों को देखने के बाद मोमेंटम झारखंड कार्यक्रम में हुए तमाम ख़र्चों पर ऐतराज जताते हुए सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पेशल ऑडिट कराने का आदेश दिया है। हालांकि इस मामले की जांच एसीबी भी कर रही है जिसमे आयोजन पर 100 करोड़ खर्च होने का आरोप लगाया था। इस आदेश के बाद उद्योग विभाग ने महालेखाकार को स्पेशल ऑडिट कराने की अनुशंसा पत्र भेज दी है। 

असल में कॉरपोरेट के खेल में वह सरकार इतनी छोटी हो गयी थी कि उसके आगे झुकते हुए पूँजी निवेश के तमाम नियमों की धज्जियाँ उड़ा दी। कॉरपोरेट हितों को साधने के लिए उनका यह खेल बिचौलियों के माध्यम से लाइसेंस से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये जमीन कब्ज़े तक थी, यह भी जांच के दायरे में है। 

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