झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल 2020 : सरकार की इस पहल से लगेगी सीएनटी एक्ट के उल्लंघन पर रोक व मिलेगी आम लोगों को राहत

सीएनटी एक्ट के अंतर्गत आने वाली जनजाति जमीनों की रक्षा में मील का पत्थर साबित होगा सीएम की यह पहल

रांची :  हेमंत कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला लिया गया। फैसला में झारखंड लैंड म्यूटेशन बिल-2020 के प्रस्ताव पर सहमति बनी। बिल के विधानसभा से पास होने के बाद राज्य के आदिवासी और गरीब तबके के लोगों को काफी फायदा मिलेगा।

इस प्रावधान के तहत अब सरकार अवैध जमाबंदी को रद्द कर सकेगी। राज्य गठन के बाद से ही ऐसा कोई विधेयक नहीं था, जिसमें जमाबंदी रद्द करने का कोई प्रावधान था। हेमंत सरकार के इस बिल का सीधा फायदा राज्य के दबे-कुचले आदिवासी समाज के लोगों को मिलेगा। 

दरअसल झारखंड गठन के बाद ही सीएनटी एक्ट का उल्लंघन आम बात हो गयी है। सीएनटी एक्ट की धज्जियां उड़ाकर आदिवासी रैयतों की जमीनों को दूसरे नाम पर करना आम बात हो गयी है। लेकिन, इस बिल के आने से म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। इससे सीएनटी एक्ट के उल्लंघन पर पूरी तरह से रोक लग सकेगी। साथ ही राज्य के एक गरीब जनता को अब जमीन खरीदने में कोई परेशानी नहीं होगी। 

क्या होगा इस बिल के पास होने से

कैबिनेट में पारित लैंड म्यूटेशन बिल-2020 के प्रस्ताव में यह स्पष्ट कहा गया है कि अब जमीन की दाखिल-खारिज के लिए ऑनलाइन आवेदन देना होगा। वहीं अवैध जमाबंदी कायम होने या एक ही जमीन की दो जमाबंदी होने पर पूरी प्रक्रिया ही रद्द हो जायेगी। पहले ये प्रावधान नहीं थे। बिल के विधानसभा से पारित होते ही म्यूटेशन प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इससे जुड़े राजस्व कर्मचारी से लेकर अंचल अधिकारी और उपरी अधिकारियों की ज़िम्मेदारी भी तय हो जाएगी।

सीएटी एक्ट की धज्जियाँ उड़ा लूटी जा रहा है आदिवासी जमीने

पिछले दिनों मीडिया में यह खबर आयी थी कि जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार करने में कई अंचल अधिकारियों सहित दलालों का गिरोह सक्रिय है। सीएटी एक्ट की धज्जियां उड़ाकर आदिवासियों की जमीनों को लूटा जा रहा है। फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के सहारे दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) किये जा रहे है। सक्रिय भू-माफियों की न केवल सीएनटी से जुड़ी जमीनों पर ही नजर नहीं है, बल्कि सरकारी व गैर-मजरूआ जमीनों की भी फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। 

आम हो चुकी आदिवासी जमीनों की लूट-खसोट को रोकने में, मील का पत्थर साबित होगा यह बिल

  • ज्ञात हो कि राज्य में आदिवासी जमीनों की फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर बेचने की घटना हमेशा मीडिया में सुर्खियाँ बटोरती रही है। ऐसे में हेमंत सरकार द्वारा लाया लैंड म्यूटेशन बिल-2020 जनजाति समाज की जमीनों को बचाने में मील का पत्थर साबित होगा। 
  • 2017 में साहिबगंज जिले में संताल व पहाड़िया समुदाय की रैयती जमीनों को भूमि माफिया और दलालों द्वारा धड़ल्ले से बेचे जाने की बात सामने आयी थी। तत्कालीन भूमि-सुधार और भू-राजस्व मंत्री अमर बाउरी ने भी यह स्वीकारा था कि साहिबगंज के जिलेबिया घाटी में संतालों की जमीन पर कुछ लोगों ने क़ब्ज़ा किया है।
  • इसी प्रकार राज्य के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय पर भी गैर मजरूआ जमीन पर आवास बनाने का आरोप लगा था। बीते वर्ष 2019 को इस बात की पुष्टि जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में हुई है। उसके बाद प्रशासन ने गलत तरीके से की गई जमीन की जमाबंदी रद करने की कार्रवाई भी शुरू की थी।

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