झारखण्ड के महान विभूतियों-महापुरुषों, शहीदों व उनके आश्रितों को हेमन्त सरकार मिलने लगा सम्मान. उन्हें आजीविका के साधनों से किया जा रहा है आच्छादित. कोने गांव के बहुरने लगे दिन…
झारखण्ड का सबसे बड़ा गौरव है कि इस मिट्टी में अनेक महान विभूतियों-महापुरुषों ने जन्म लिया है. जो देखने में तो सरल व मधुर रहे, लेकिन जनकल्याण के मद्देनजर उनका शख्सियत, दूरदर्शी दृष्टा, शक्तियों व उर्जा से भरपूर व्यक्तित्व चमत्कारी थे. जिसने झारखण्ड के इतिहास की धारा को प्रभावित किया. ईमानदारी की कसौटी पर जब भी झारखण्ड की उपेक्षित धरती व शोषितों के अक्स में इतिहास का संकलन होगा. पीढ़ियां इन महान विभूतियों को, कर्मयोद्धाओं को, विचारकों को अपनाना चाहेगी. इन महान शहीदों व आन्दोलनकारियों को आदरांजलि अर्पण करना चाहेगी. और इनकी प्रेरणा झारखण्ड के युवाओं के विचारों का रूपांतरण करता रहेगा.
उदाहरण के तौर पर वर्तमान इन महापुरुषों के प्रेरणा का असर मौजूदा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन में झारखण्ड महसूस कर सकता है. जिनके व्यक्तित्व व सरकार की नीतियों के आइने में झारखण्ड के महापुरुषों का सोच आधुनिकता रूप लिए झलकता है. ज्ञात हो, अलग झारखण्ड के इतिहास में अब तक झारखण्ड के जिन महापुरुषों व उनके सोच को पूर्व के सत्ता में ज़मीन में गाड़ने के प्रयास हुए. मौजूदा झारखंडी मानसिकता के मुख्यमंत्री ने फिर से उन महापुरुषों को उनके सोच के साथ झारखण्ड के धरातल पर स्थापित कर रहे हैं.
झारखण्ड अपने विभूतियों-महापुरुषों को सम्मान देना जानता है
हेमन्त सरकार ने राज्य को पहली बार बताय है कि झारखण्ड अपने बुजुर्ग-महापुरुषों को सम्मान देना जानता है. वर्षों से क्षितिज में कायम अँधेरा छटा और नई भोर हुई. नई किरण के रूप ने हेमन्त सरकार द्वारा इस दिशा में नयी नीति लाई गयी. जिसके अक्स में न केवल आन्दोलनकारियों को, बल्कि मुफलिसी में जी रहे उनके परिवारों की भी सूध ली गयी है. जहाँ आन्दोलनकारियों व परिवारों को पहली बार महसूस हुआ कि उनके संघर्ष बे मायने नहीं थे. उनके अरमान-सपने सधे क़दमों के साथ आगे बढ़ रहे है. और यह अभिमान वीर शहीद नीलाम्बर पीताम्बर के प्रपौत्र के शब्दों में झालके तो झारखंडी सरकार समेत हेमन्त सरकार के लिए इतराने वाले पल हो सकते है.
इससे पहले हमें इतना सम्मान नहीं मिला : कोमल सिंह खेरवार वीर शहीद नीलाम्बर पीताम्बर के प्रपौत्र
ज्ञात हो, लातेहार के कोने गांव के निवासी, कोमल सिंह खेरवार, जो वीर शहीद नीलाम्बर पीताम्बर के प्रपौत्र हैं. 29 नवंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ आपके अधिकार -आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मंच साझा किया. वह कहते हैं – इससे पहले हमें इतना सम्मान का एहसास नहीं हुआ. हमलोग तो भूल ही गए थे कि हमें कोई कभी याद भी करेगा. लेकिन ये भ्रांति दूर हो गई. अब लगता है हेमन्त सरकार में यहां के जल, जंगल, जमीन, यहां की परंपरा-संस्कृति के लिए प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों के आश्रितों की सुध सही मायने लिया जा रहा है.
झारखण्ड के शहीदों के गांवों तक पहुंच के लिए बनने लगे है पथ
कोने गांव में आयोजित कार्यक्रम के दौरान शहीद नीलाम्बर पीताम्बर के वंशजों ने सड़क निर्माण की मांग मुख्यमंत्री से की थी. मुख्यमंत्री द्वारा उपायुक्त लातेहार को अविलंब सड़क निर्माण करने का निदेश दिया गया था. इसके उपरांत महज पांच दिन के अंदर मुख्य सड़क से गांव के पथ को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. साथ ही, सरना स्थल का सुंदरीकरण कार्य भी कोने गांव में प्रारंभ किया गया है.
शहीदों के आश्रितों को मिली छत, नलकूप और व्यवसाय के भी हुए प्रबंध
आपके अधिकार आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा शहीद के प्रपौत्र रामानंद सिंह और कोमल सिंह खेरवार की समस्याओं से अवगत हुए. इसके तुरंत बाद ही शहीद के परिजनों के लिए पक्का मकान एवं सिंचाई के लिए नलकूप का निर्माण शुरू हो गया है. उन्हें आजीविका से जोड़ने हेतु मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना से आच्छादित किया गया है. अभी शेड निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद कोमल सिंह खेरवार को दुधारू गाय उपलब्ध कराया जाएगा. ताकि विभूतियों-महापुरुषों व शहीदों परिवार को आर्थिक संकट से उबारा जा सके.