भाजपा के डबल इंजन सरकार से इतर हेमन्त सरकार हाथी उड़ा कर नहीं बल्कि नीतियों के आसरे हाथी जैसे वन्यजीव दिखा कर, वाइल्डलाइफ से पर्यटकों को झारखण्ड में आकर्षित करना चाहती है. ताकि स्थानीय जनता को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप में रोज़गार मिले…
रांची : डबल इंजन सरकार में नीतियों के आसरे झारखण्ड में हाथी जैसे वनजीव को विकास से जोड़ कर अप्राकृतिक रूप से नयी रेखा खिंची गयी. करोड़ों खर्च के बावजूद वह हाथी बेरोजगारों को रोजगार ना दे पाया. पूरी योजना घोटाले का ऐतिहासिक सच लिए सामने आया और बेजुबान हाथी की बदनामी हुई. वहीं तमाम उलट परिस्थितियों के बीच मौजूदा हेमन्त सत्ता में राज्य के वन्यजीव और पर्यावरण को पर्यटन के अभिन्न अंग मानते हुए राज्य के विकास को नई दिशा ले जाने का प्रयास हो रहा है.
पहली बार किसी सत्ता द्वारा झारखण्ड के विकास को प्राकृत सच के साथ जोड़ने का प्रयास हुआ है. राज्य में पहली बार संघ-भाजपा के विचारधारा के अक्स में पनपी खनन लूट से इतर पर्यटन के क्षेत्र में संभावनाए तलासे जा रहे हैं. इस दिशा में मौजूदा हेमन्त सत्ता द्वारा नई पर्यटन नीति लायी गई है. जिसके अक्स में सरकार स्थानीय गरीबों के रोजगार से जुड़ते हुए झारखण्ड को स्थापित करने का सच है.
वाइल्डलाइफ के माध्यम से पर्यटकों को आकर्षित करेगा झारखण्ड
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य वन्यजीव बोर्ड की 14वीं बैठक में कहा कि कई राज्य अपने जंगल और वन्यजीव के विकास में कार्य कर रहे हैं. झारखण्ड में भी वन विभाग उस मॉडल को अपनाएं. बेहतर सुविधा व प्राकृत वातावरण दिया जाएगा तो प्रयटक अवश्य आएंगे. साथ ही पलामू टाइगर रिज़र्व, लावालौंग वन्यप्राणी आश्रयणी, गौतम बुद्ध वन्यप्राणी आश्रयणी समेत वनभूमि से गुजरने वाली सड़कों के चौड़ीकरण, पुल निर्माण में आ रही अड़चनों को जल्द दूर करने के आदेश दिए गए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्यजीव और पर्यावरण पर्यटन के अभिन्न अंग हैं. झारखण्ड प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण है. प्रदेश में असीमित वन आवरण है जो विविध वनस्पतियों व जीव-जंतुओं से संपन्न है. राज्य में कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य हैं, जिनका उपयोग पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाए तो हम लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ सकते है. पर्यटन नीति के तहत हम वाइल्डलाइफ के जरिये पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं. साथ ही झारखण्ड को विश्व पटल पर लाने के लक्ष्य को भी पूरा कर सकते हैं.
पर्यटकों के लिए झारखण्ड के सघन जंगलों में लगेंगे कैंप
ग्यात हो, वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के प्रावधानों के अनुपालन में पर्यावरण के अनुकूल विभिन्न उपयुक्त स्थानों पर शिविर लगाने का प्रावधान पर्यटन नीति के तहत किया गया है. इसके लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है. पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए वन्यजीव पार्कों/चिड़ियाघरों, बर्ड वाच टावर और अन्य उपयोगी सेवाओं के विकास और सुधार के लिए वन और पर्यावरण विभाग एक साथ कार्य करेंगे. वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान पर्यटन के अभिन्न अंग के रूप में एकीकृत होंगे.
झारखण्ड में फॉसिल पार्क का भी हो रहा निर्माण
राज्य के साहेबगंज में फॉसिल पार्क निर्माणाधीन है. 95 प्रतिशत निर्माण पूर्ण हो चुका है. इस निर्माण के बाद पर्यटक सैकड़ों वर्ष पूर्व के जीवाश्म देख सकेंगे. इसके निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा भी विशेष निर्देश वन विभाग को दिया गया है. वन विभाग राजमहल की पहाड़ियों समेत अन्य कई स्थानों पर फॉसिल पार्क की संभावनाओं को तलाशने में जुटी है.