अबतक सामन्ती गिरोह की हिमाकत चुनी सरकार को धन के आसरे गिराने व सरकारी संस्थानों के दुरूपयोग के रूप में था. लेकिन, अब वह अध्यादेश के आसरे लोकतंत्र के बुनियाद पर हमला करने की हिमाकत कर रहे हैं .
रांची : सामन्ती सोच पर आधारित राजतंत्र पर लोकतंत्र की स्थापना जन अधिकार की जीत मानी जाती है. लोकतंत्र स्थापित करने के लिए मानवता को न केवल बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, इसे कायम रखने हेतु हर ऱोज संघर्ष करना भी पड़ता है. भारत में स्वंत्रता आन्दोलन का संघर्ष व केन्द्रीय शासन में मौजूदा परिस्थिति तथ्य के स्पष्ट उदाहरण हो सकते हैं. भरता एक लोकतांत्रिक देश है और इसके बुनियाद को ध्वस्त करने के अक्स में संघी गिरोह व उसके नीतियों को क्यों नहीं देश में सामन्ती अवशेष की मौजूदगी के रूप में देखा जा सकता है?
संघी गिरोह की कुनीतियों से आज न भारत का कोई वर्ग अछूता है और ना ही कोई गैर भाजपा शासित राज्य. अबतक संघी गिरोह की हिमाकत चुनी सरकार को धन बल के आसरे गिराने व सरकारी संस्थानों के दुरूपयोग के रूप में देख जा रहा था. लेकिन, अब वह लोकतंत्र के आधार पर भी हमला से नहीं चूक रहे. सामन्ती गिरोह ने इस दफा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा परिभाषित दिल्ली सरकार के शक्तियों को रात के अँधेरे में अध्यादेश के आसरे कुचलने का कुप्रयास हुआ. क्यों नहीं ऐसे हिमाकत को संविधान के आत्मा पर सुनियोजित हमला माना जाना चाहिए?
संविधान के आधार पर हमला लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं
लेकिन भारत के लोकतंत्र के नायकों में चुनी सरकार को गिराने व सरकारी संस्थानों के दुरूपयोग पर जो एकजुटता देखी गई ठीक वैसे ही केंद्र सरकार द्वारा लाये गए इस काले अध्यादेश के खिलाफ भी सभी लोकनायक एकजुट होते देखे जाने लगे हैं. इस संदर्भ में आज दिल्ली सीएम अन्विंद केजरीवाल, पंजाब सीएम भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह समेत अन्य नेता व मंत्री झारखण्ड पहुंचे. और उनके द्वारा इस काले अध्यादेश को लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए सीएम हेमन्त सोरेन को मुहीम में सहभागी बनने हेतु आमंत्रित किया गया.
चूँकि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा एक आन्दोलन से निकली पार्टी है. और राज्य व देश में इस पार्टी की पहचान लोकतंत्र के प्रहरी के रूप है. मसलन, सीएम हेमन्त सोरेन इस केन्द्रीय प्रयास को संघीय ढांचे पर प्रहार करार देते हुए, पार्टी फोरम में गहन चिंतन-मंथन करने की बात कही. सीएम सोरेन ने कहा कि बीजेपी और केंद्र सरकार के द्वारा संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर गैर-भाजपा शासित राज्यों के विकास को बाधित करने का प्रयास हो रहा है. जो लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. और सभी राज्यों के करोड़ो लोगों का अपमान है.