झारखंड को औद्योगिक हब बनाने की दिशा में बढ़ चली है हेमन्त सरकार. मुख्यमंत्री ने कहा, “औद्योगिक घरानों को सरकार देगी जमीन, उद्योग स्थापित करने में करें उपयोग”
रांची : झारखंड को औद्योगिक हब बनाने की दिशा में लंबे समय से (पिछले 21 वर्षों) प्रयास हो रहा है. राज्य की सत्ता पर बैठने वाले लगभग सभी मुख्यमंत्रियों ने राज्य में निवेश करने का प्रयास किया. सैकड़ों एमओयू हुआ. लेकिन उस समय अस्थिर सरकार के कारण यह संभव नहीं हो पया. पहली बार पूर्ण बहुमत में आयी रघुवर सरकार ने झारखंड मोमेंट का आयोजन कर करोड़ो रुपये खर्च किए लेकिन जितने उद्योग लगाने की बात कही गयी थी, वो कागजों पर ही सिमटकर रह गयी. राज्य में निवेश करने के नाम पर तत्कालीन सरकार ने विदेश दौरे बड़े-बड़े जुमलेबाजी के अलावा कुछ नहीं किया.
समझौते के महज 100 दिनों बाद ही राज्य मे सीमेंट उद्योग लगाने की पहल.
2019 में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखंड को औद्योगिक हब बनाने की दिशा में काम शुरू किया. हालांकि शुरूआती चरणों में महामारी के कारण परेशानी जरूर आयी. लेकिन जब स्थिति में सुधार हुआ, तो प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए मार्च और अगस्त 2021 में दिल्ली में उद्योगपतियों के साथ बैठक कर कई तरह के समझौते किये. इसी समझौते में अगस्त 2021 में हुए इन्वेस्टर्स समिट में डालमिया कंपनी द्वारा प्रदेश सरकार के साथ बोकारो में नए सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट स्थापित करना शामिल हैं. समझौते के महज 100 दिन में ही सीमेंट उद्योग की नींव रख दी गयी है.
सीएम ने स्पष्ट किया,’गरीबों, जरूरतमंदों ने दी है जमीनें, उद्योग लगाने में हो उपयोग’
बोकारो के बालीडीह में डालमिया भारत के सीमेंट संयंत्र की दूसरी इकाई की आधाशिला रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेश आकर्षित कर राज्य में रोजगार पैदा करना उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता है. सीमेंट उद्योग की नींव रखने के साथ उन्होंने कंपनी को इस बात का भी एहसास दिलाया कि प्लांट लगने वाली जमीनें गरीब किसानों, जरूरतमंदों ने दी हैं. सरकार ने उद्योगों को लगाने के लिए यह जमीन दी है. ऐसे में जरूरी है कि औद्योगिक घराना इसका उपयोग उद्योग स्थापित करने के लिए करें. इसे खाली ना छोड़ें या इसके अतिक्रमण की अनुमति नहीं दें.
हेमन्त सोरेन ने कहा, राज्य स्थिर विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है.
इस दौरान सीएम ने सरकार की नई औद्योगिक नीति की भी प्रमुखता से चर्चा की. उन्होंने दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता प्रदेश में अधिकतम पूंजी निवेश लाना है. पर्यावरण, उद्योग, बुनियादी ढांचे, कौशल निर्माण पर विशेष जोर के साथ राज्य स्थिर विकास के नए दौर में प्रवेश कर रहा है.
कामों को देख तय है कि कोल, आयरन, माइंस और पावर क्षेत्र में हुए निवेश पर एमओयू धरातल पर दिखेगा
हेमन्त सरकार ने जिस तेजी से सीमेंट उद्योग लगाने की दिशा में काम किया है, उससे तय है कि अगस्त 2021 में इन्वेस्टर्स मीट सम्मेलन में हुए निवेश को धरातल पर उतारा जाएगा. बता दें कि सम्मेलन में देश की सबसे बड़ी कंपनियां प्रदेश में अगले 3 सालों के दौरान लगभग 10,000 करोड़ रुपए का निवेश करने पर सहमति जतायी थी. इसमें डालमिया सीमेंट के अलावा कोल, आयरन ओर माइंस में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए टाटा स्टील और 540 मेगावाट बिजली उत्पादन करने वाली आधुनिक पावर लिमिटेड ने भी अपने प्लांट के पास ही 300 एकड़ में आधुनिक औद्योगिक पार्क में 1900 करोड़ रुपए निवेश की सहमति शामिल हैं. उम्मीद है कि इससे प्रदेश के 20 हजार युवाओं को सीधे-सीधे रोजगार मिलेगा, जबकि तकरीबन 1.5 लाख से ज्यादा अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रोजगार के मौके पैदा होंगे.