रघुवर जी! सच है हेमन्त काल में न राज्य का गरीमाहरण हो रहा और न ही नक्सल बता राज्यवासियों की हत्या

बकोरिया कांड, भाजयुमो नेता द्वारा पुलिस कर्मियों से मारपीट व त्रीपक्षीय समझौता रघुवर काल के कंलक

राँची। महज चंद दिनों पहले, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का हेमंत सरकार के कार्यकाल पर विकास व उग्रवादियों के मद्देनज़र लगाया गया आरोप न केवल हास्यप्रद, तथ्यहीन प्रतीत होता है। भ्रम की राजनीति एजेंडे परोसने के हड़बड़ी में साहेब डबल इंजन सरकार में हुए झारखंड की त्रासदी का सच बताना भूल गए। साहेब यह सच डकार गए कि राज्य में नक्सल के आड़ में भाजपा के गुंडई में साजिशन इज़ाफा हुआ। जबकि, नक्सली गतिविधियों को लेकर हेमंत सरकार में किसी भी सरकार के तुलना में अधिक कठोर कदम उठाये गए हैं। हां, यदि साहेब का मतलब बकोरिया कांड जैसे कटु सच से है तो, सत्य है इस सरकार में किसी निर्दोष की हत्या नक्सल के आड़ में नहीं हुई। 

क्यों, एक बेटी के पिता को न्याय के बदले रघुवर काल में दुत्कार मिली  

रघुवर दास यह भी बताना भूल गये कि उनके पांच के कार्यकाल में झारखंड की एक पूरी पीढ़ी नौकरी व शिक्षा को लेकर त्राहिमाम दिखी। बेटी के एक पिता को अपनि ही चुनी हुई सरकार से न्याय मांगने पर भरी सभा में दुत्कार मिली। क्यों अपनी बेबसी पर वह बिलख कर रोया? क्यों उनके विकास के दावे की पोल भ्रष्टाचार व घोटाले ने खोली? क्योँ उनकी पार्टी नेता से लेकर, युवा विंग के नेताओं तक ने पुलिसकर्मियों पर हाथ उठा कर लोकतंत्र की आत्मा को तार-तार किया? 

क्यों झारखंडी बेटियों के अस्मिता के साथ खिलवाड़ हुए ? क्यों राज्य की आंगनबाड़ी माँ-बहने-बेटियों पर एक नपुंसक की भांति लाठी चला अपनी मानसिकता का परिचय दिया? क्यों साजिशन राज्यवासियों की गरीबी का फायदा उठा ज़मीन-लूट की पटकथा रची गयी? क्यों राज्यवासी यह समझने पर मजबूर हुए कि लोटा-पानी लेकर आये प्रवासी मुख्यमंत्री की राज्य की सम्पदा लूट के मातहत बजने वाली बंसी की धून झारखंड के पारंपरिक संगीत से मेल नहीं खाती? 

क्या साहेब इस तथ्य से अभिज्ञ हैं कि धीमी विकास का कारण कोरोना महामारी व विभीषणों की मदद से भाजपा का केन्द्रीय ताकत का दरुपयोग का दुरूपयोग कर सरकार को अस्थिर करने की साजिश है 

भाजपा आरोप लगाती है कि हेमंत सरकार के कार्यकाल में राज्य का विकास धीमी रही। विकृत मानसिक के प्रतीक रघुवर दास 13 माह में धीमी विकास के प्रमुख कारण मोदी सत्ता द्वारा कोरोना महामारी में थोपे गए अनप्लांड लोकडाउन व झारखंड के विभीषणों की मदद से केंद्र की भाजपा सता के राज्य के प्रति द्वेषपूर्ण व्यवहार है। केंद्र की भाजपा सत्ता कोराना काल में चरमराई आर्थिक व्यवस्था का ठीकरा तो भगवान पर फोडती है, लेकिन झारखंड में हेमन्त सरकार पर। भाजपा मानसिकता के इस मापदंड को क्या नाम दिया जा सकता है। यह तय करना तो जनता के हिस्से है।  

लेकिन, कोरोना काल जैसे संकट के दौर में मोदी सरकार द्वारा झारखंडियों से बरता गया सौतेला व्यवहार न केवल संघी ढांचा पर चोट पहुंचाती है, करोड़ों झारखंडियों के स्मृति में पेंठ करने वाली गहरे सवाल भी छोडती है। जिस धुर्तपने के साथ 2500 करोड़ रुपए जीएसटी बकाया हडप गया व लोटा-पानी लेकर आये व विभीषणों की मदद से त्रिपक्षीय समझौता के तहत, राज्य की गरिमा हरण  के आड़ में डीवीसी बकाये के मातहत केंद्र द्वारा करोड़ों की सीधी कटौती किया जाना। क्या कभी रघुवर सरकार के गरिमामयी कार्यकाल का हिस्सा हो सकता है।

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