हेमंत काल में कोल्हान व संताल परगना प्रमंडल विश्व पटल पर छोड़ेगा अपना छाप

कोल्हान इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर हब के तौर पर तो दुमका सिल्क सिटी के रूप में बढेगा आगे

परियोजना अपने में 45,000 रोज़गार को समेटे राज्य में करेगा 500 करोड़ का निवेश

राँची। झारखंड को असल में 14 वर्षों की भाजपा सत्ता में कैसे दोहा गया। कैसे जिन्दगियों की अनदेखी की गई। अपने आप में मिसाल हो सकता है, जब 20 बरस बाद रोज़गार सृजन के मद्देनज़र मुखिया हेमन्त सोरेन की छटपटाहट, कोल्हान और संताल को क्रमशः इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर हब व सिल्क सिटी के रूप में विकसित करने का सच साफ़ तौर उभरे। जहाँ आंसूओ को सरकार से आस हो वहां सरकार की कवायद निश्चित तौर पर बड़ी लकीर खींचे। जो साफ़ तौर पर जनता को एक नयी आस का संदेश दे। तो क्षेत्र विश्व में अपनी छाप छोड़ सकता है।

ज्ञात हो, पूर्वी भारत के सबसे बड़े निवेश गेटवे, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर हब के निर्माणकार्य शुरू हो चुके हैं। परियोजना के मातहत हेमंत की सोच झारखंड में 20,000 तक प्रत्यक्ष व 25,000 तक अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन का मादा रखता है। और 500 करोड़ रुपये का बड़ा निवेश झारखंड की अर्थव्यवस्था में एक मजबूत स्तम्भ की भूमिका के रूप में भी उभरेगा। चूँकि उपरोक्त दोनों प्रमंडल की मूल जनता गरीब जरुर है, लेकिन मेहनती, शान्तिप्रिय, इमानदार के सच से भी जुड़े है। जो परियोजन की सफतला का आभास करा सकती है। और जाहिर तौर पर दोनों प्रमंडल झारखंड का नेतृत्व करते हुए विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ेगा।

कोल्हान के आदित्यपुर में निर्माणाधीन है इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर 

29 दिसम्बर 2020, कोल्हन में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने स्वयं इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर हब में निर्मित आधारभूत संरचनाओं का उद्घाटन किया था। मुख्यमंत्री के प्रयास जल्द यथार्थ का रूप लेने वाली है। झारखंड की नयी पहचान के मद्देनज़र हेमंत सरकार का रोज़गार सृजन का उद्देश्य, सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में उक्त हब के बनने से पूरा हो सकेगा। यह मिट्टी की ताकत का ही वेग है। जहाँ हेमंत जैसा झारखंडी विचार खनिज के क्षेत्र में पहचान स्थापित कर चुके क्षेत्र को इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब जैसे नयी सोच के साथ जीने का अवसर दे रहा है। 

186 करोड़ का कोल्हान इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर होगा अत्याधुनिक सुविधाएँ से लैस   

इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर एक विशेष औद्योगिक पार्क की व्याख्याय :  

  • परियोजना की कुल लागत 186 करोड़।
  • 41.48 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान, 50 करोड़ का जियाडा अनुदान और 60 करोड़ राज्य सरकार विशेष अनुदान। 
  • आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में 82 एकड़ भूमि पर हो रहा है क्लस्टर का निर्माण। 
  • 51 इकाइयों के लिए कराई जाएगी भूमि उपलब्ध। 
  • क्लस्टर  लोगों को मुहैया करेगी अत्याधुनिक सुविधाएँ। 
  • इसमें फ्लैटेड फस्ट्रोर, टेस्टिंग सेंटर, ट्रेड पवेलियन, ट्रक पार्किंग, वेयर हाउस, स्कूल, शॉपिंग मॉल, हेल्थ सेंटर, होस्टल, रेस्टोरेंट, रोड, नाली, स्ट्रीट लाइट व अन्य मूलभूत सुविधाएँ हैं। 

कोरोना त्रासदी में हेमंत के ही प्रयास थे जहाँ दुमका की 500 महिलाएं रेशम कार्यों से बनी स्वावलंबी 

झारखंड में पूर्व की सरकारों का एक अनूठा सच यह भी हो सकता है, जहाँ झारखंड रेशम उद्योग के अनदेखी के मद्देनजर, अपनी ऐतिहासिक पहचान खोने के मुहाने पर आ खड़ा था। मुख्यमंत्री के प्रयास को उस पहचान को दोबारा पाने की दिशा महत्वपूर्ण कदम है। जहाँ संताल परगना के दुमका को सिल्क सिटी के रूप में उभारना, एक सरहानीय कदम माना जा सकता है। जहाँ मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरूआती दौर में, जिला प्रशासन द्वारा 400 महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। 

मुख्यमंत्री के प्रयास का सच सामने आया है। जहाँ मौजूदा दौर में 500 महिलायें विभिन्न माध्यमों से धागाकरण, बुनाई, हस्तकला आदि का प्रशिक्षण ले चुकी है। जबकि झारखण्ड में सीधे तौर पर 1.65 लाख परिवार रेशम उत्पादन से जुड़ गये हैं। नतीजतन दुमका इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान गढ़ने में सफल हुआ।  नियमित आय से खुद को जोड़ते हुए गरीब महिलाओं स्वावलंबी बन रही हैं। ज्ञात हो कि इसमें एसटी वर्ग की महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा हैं। 

संताल परगना रेशम क्षेत्र में पिछड़ते देख मुख्यमंत्री ने बनायी थी विशेष रणनीति 

यह झारखंड के लिए विडंबना ही हो सकता है कि तसर कोकुन का बहुयात उत्पादन के बावजूद संताल परगना नहीं, बल्कि बिहार के भागलपुर जिला को सिल्क सिटी के नाम से जाना जाए। दुमका में कच्चे माल की उपलब्धता के कारण ही भागलपुर को ख्याति प्राप्त है। पूर्व सरकार ने साजिशन यहाँ के लोगों को केवल तसर कोकुन उत्पादन से जोड़े रखा। इस क्षेत्र में धागाकरण, वस्त्र बुनाई और डाईंग प्रिंटिंग जैसे रोजगार के अवसरों से लोगों को अछूता रखा। जाहिर है पूर्व सरकार ऐसा नहीं चाहती थी क्योंकि इससे लोगों की आय बढ़ सकती थी। जो उनके वोट के उगाही में बाधक होता।  मसलन, हेमंत सोरेन की विशेष रणनीति इस क्षेत्र में क्रान्ति ला सकती है।

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