बीजेपी की सोच के विपरीत हेमंत चाहते हैं कि लाइट हाउस परियोजना के तहत गरीब लाभुकों को कम आर्थिक बोझ के मिले आवास, केंद्र की बढ़े हिस्सेदारी
लाइट हाउस परियोजना के तहत गरीबों के लिए रांची में बनना हैं 1008 आवास
श्रेय लेने में तो बीजेपी नेता आगे, लेकिन लाभुकों को राहत मिले इसकी नहीं हैं चिंता
रांची। साल 2021 का पहला दिन रांची के गरीबों, मजदूरों व बेघरों के लिए खुशख़बरी वाला रहा। आज रांची समेत देश के छह शहरों में लाइट हाउस परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया। योजना के अंतर्गत कुल 1008 आवास बनाएं जाने हैं। जाहिर है कि केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना का श्रेय लेने से भी बीजेपी नेता कैसे पीछे हटते। शिलान्यास कार्यक्रम के बाद प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में गांव, गरीब और किसान हैं। पिछले छः वर्षों से ये तीनो विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। लाइट हाउस प्रोजेक्ट का शिलान्यास इसी कड़ी का हिस्सा है।
हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कार्यशैली में साफ़ तौर पर झलकता है कि गरीबों-बेघरों को आवास मिले। लेकिन उनकी सोच बीजेपी नेताओं से काफी विपरीत है। वे केवल बीजेपी की तरह आवास देने पर भरोसा नहीं करते हैं, बल्कि चाहते हैं कि आवास देने में लाभुकों पर कम आर्थिक बोझ पड़े। और योजना के अंतर्गत केंद्र का हिस्सा ज्यादा से ज्यादा हो।
हिस्सेदारी को देना झारखंड के गरीबों व मजदूरों के लिए नहीं है आसान
हेमंत ने कहा कि लाइट हाउस परियोजना में केंद्र व राज्य सरकार के साथ लाभुकों की भी हिस्सेदारी देनी है। हकीकत यह भी है कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है। यहां गरीबों और मजदूरों की बड़ी आबादी है और इनकी आय़ कम है। योजना में गरीबों-मजदूरों के लिए जो हिस्सेदारी तय की गई है, उसे देना उनके लिए आसान नहीं है। ऐसे में गरीबों और मजदूरों की आर्थिक हालात को देखते हुए केंद्र से उनकी अपील है कि योजना में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ाया जाए, ताकि उनपर ज्यादा आर्थिक बोझ न पड़े।
आवास देने में गांवों से शहर आने वाले मजदूरों पर भी हेमंत का विशेष ध्यान
इतना ही नहीं, हेमंत यह भी चाहते है कि शहरों में आने वाले मजदूरों व गरीबों को आवास देने के पहले केंद्र एक कार्ययोजना भी बनाएं। हेमंत का मानना हैं कि झारखंड में ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में मजदूर और गरीब काम करने के लिए शहर जाते है। इनमें कई मजदूर गांव से शहर हर दिन आना-जाना करते हैं, तो कई शहरों में ही रहते हैं। इनके पास आवास नहीं होता है। ऐसे मजदूरों व गरीबों को आवास की मदद देने के लिए कार्ययोजना बनाना जरूरी है।
भक्तों को इसकी चिंता नहीं हैं कि गरीबों को कितना भुगतान करना पड़ेगा
प्रदेश बीजेपी के नेता केंद्र की हर योजना में खुद को मोदी भक्त की तरह ही आचरण करते नजर आते हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार राज्य के गरीबों को आवास उपलब्ध करा रही है। हालांकि आवास लेने के एवज में गरीबों को कितना भुगतान करना होगा, उसकी चिंता बीजेपी नेताओं को नहीं हैं। जाहिर है कि उनकी ऐसी ही सोच हेमंत को उनसे अलग करती है।