घोटाले की एसीबी जांच रिपोर्ट आते ही फंस सकते हैं झारखण्ड भाजपा के कई दिग्गज नेता

जानिये, भाजपा शासन के उन घोटाले को, जिसकी जांच रिपोर्ट एसीबी सौंपती है, तो फंस सकते हैं प्रदेश भाजपा के कई बड़बोले नेता  

सीएम हेमन्त सोरेन में पूर्ववर्ती सरकार में हुए घोटाले के कई मामलों में दिये गए हैं एसीबी जांच का निर्देश 

रांची. डबल इंजन सरकार के अक्स में झारखंड के पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार का प्रभाव लगभग हर क्षेत्र में दिखा. भ्रष्टाचार के मद्देनजर कई मंचों से खुले तौर पर तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री रहे सरयू राय के बयानों ने खुलासा भी किया. कई ऐसे मौके भी रहे जहाँ उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर प्रत्यक्ष आरोप लगाया. हालांकि, उस दौर में जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन लगातार उस सरकार पर झारखण्डियों के हक, राजस्व की लूट का सच लगातार लाकर विपक्ष की जिम्मेदारी निभाते रहे. उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से वादा भी किया था कि उनकी सरकार में भ्रष्टाचारियों को नहीं बख्शा जायेगा.

मौजूदा दौर में हेमन्त सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और अपने वादें को बाखूबी निभा भी रहे हैं. कोरोना महामारी से राज्य का बचाव करते हुए भी श्री सोरेन लगातार भ्रष्टाचार के हर उन मामलों पर जांच के निर्देश दिया हैं, जिसमे जनता को छला गया है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) कई मामलों में जांच कर रही है, जल्द ही जांच रिपोर्ट सौप भी सकती है. जिसमे छात्रवृत्ति घोटाले, नए विधानसभा और हाईकोर्ट निर्माण, धनबाद नगर निगम प्राक्कलन घोटाला, मैनहर्ट घोटाला जैसे मामले प्रमुखता से शामिल है. इसके अतिरिक्त रघुवर सरकार में हुए मोमेंटम घोटाले में भी स्पेशल ऑडिट कराने का निर्देश दिया गया है. 

नगर विकास मंत्री रहते ही पूर्व सीएम ने शुरू की थी भ्रष्टाचार की गाथा 

बीते साल 1 अक्टूबर को सीएम ने रांची शहर के सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति घोटाले की जांच एसीबी से कराने का निर्देश दिया था.  घोटाले का आरोप पूर्व नगर विकास मंत्री रघुवर दास व अन्य पर है. मुख्यमंत्री सोरेन ने पूर्वी जमशेदपुर के विधायक सरयू राय की शिकायत और उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में निर्देश दिया था. सरयू राय के मुताबिक मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में कई तरह की अनियमितता, भ्रष्टाचार व षड्यंत्र हुए थे. अब एसीबी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हो गया है कि मैनहर्ट का चयन नियम विरूद्ध था. 

जांच में इसके संकेत मिले हैं कि टेंडर की शर्तों का उल्लंघन कर मैनहर्ट को परामर्शी के लिए चयन किया गया था. साफ है कि पूर्व सीएम ने नगर विकास मंत्री रहने के साथ ही भ्रष्टाचार की गाथा लिखना शुरू कर दिया था. 

केंद्र की अपनी ही सरकार में भाजपा नेताओं ने लूटा स्कॉलरशिप योजना की राशि

दिसम्बर-2020, में पूर्ववर्ती सरकार के समय हुए छात्रवृत्ति घोटाले की खबर सामने आयी. पता चला कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और मेरिट स्कॉलरशिप में एक बड़ी राशि का गबन हुआ है. इससे अनेक छात्र-छात्राएं केंद्रीय योजना के लाभ से वंचित हुए हैं. साफ है कि केंद्र में अपनी सरकार होने का फायदा उठाते हुए भाजपा नेताओं ने स्कॉलरशिप योजनाओं की राशि को लूटा. मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने योजनाओं के क्रियान्वयन में हुई अनियमितता की जांच एसीबी से कराने की अनुमति दी. एसीबी को निर्देश दिया गया कि वह छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच करे. मामला अभी जांच के दायरे में हैं. 

भाजपा मेयर की साजिश के तहत लूटी गयी 200 करोड़ रुपये की राशि

भाजपा नेताओं के शह पर धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग 200 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ. मामले में मुख्य आरोपी भाजपा मेयर चंद्रशेखऱ अग्रवाल है. वह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के करीबी माने जाते है. इस घोटाले की जांच भी एसीबी से कराने का निर्देश मुख्यमंत्री ने दिया. ज्ञात हो, इस राशि से धनबाद नगर निगम में 40 सड़कें स्वीकृत हुई थी. इनमें से कई पीसीसी सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता व गड़बड़ियों से सम्बंधित शिकायत दर्ज हुई है. आरोप यह भी है कि भाजपा नेताओं के निर्देश पर अच्छी स्थिति की पीसीसी सड़कों को तोड़ गया व प्राक्कलित राशि कई गुना बढ़ायी गयी. मामला अभी एसीबी जांच के दायरे में हैं. 

हाईकोर्ट और विधानसभा भवन के निर्माण में जांच पूरी हुई, तो फंस सकते हैं कई भाजपा नेता व प्रशासनिक अधिकारी

पूर्ववर्ती रघुवर सरकार, झारखण्ड विधानसभा व झारखण्ड हाई कोर्ट के नये भवन निर्माण को अपनी उपलब्धि बताती रही है. इस प्रोजेक्ट में करीब 465 और 697 करोड़ की राशि खर्च की गयी. उपलब्धि बताने के जोश में अधूरे विधानसभा भवन का प्रधानमंत्री से उद्घाटन कराया गया. लेकिन निर्माण के निम्न गुणवत्ता की पोल एक शॉट सर्किट ने खोल दी. उस भवन में आग लगने और सीलिंग गिरने की घटना से पता चलता है उस भवन का नीव कितना जर्जर है. मसलन, भवन निर्माण में हुई गड़बड़ी की जांच की जिम्मेदारी बीते दिनों ही मुख्यमंत्री द्वारा एसीबी दी गई है. 

ज्ञात हो, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में ही दोनों भवनों के टेंडर से लेकर निर्माण की प्रक्रिया पूरी हुई. दोनों भवनों की जांच पूरी हुई तो भाजपा नेताओं सहित राज्य सरकार के वरीय प्रशासनिक अधिकारी समेत कुछ सेवानिवृत अफसर भी फंस सकते हैं.

डबल इंजन सरकार में हुए विकास के दावे पर टिप्पणी…

डबल इंजन की सरकार में भले ही विकास के तमाम दावे किये गये हो, लेकिन हकीकत यही है कि सत्ता के घमंड में चूर भाजपा नेताओं ने झारखण्ड जैसे गरीब राज्य को लूटकर इसे और गरीब बनाने का काम किया है. रघुवर सरकार के सत्ता में राज्य का कर्ज 43 हजार करोड़ से बढ़कर 94 हजार करोड़ हो गया है. डबल इंजन की सरकार में घोटालों का सिलसिला इस तरह से चला कि टांड़ (बंजर भूमि) में डोभा (छोटा तालाब) बना कर छोड़ दिया गया. मसलन, तमाम जांच रिपोर्ट आने से भाजपा के कई बडबोले नेता फंस सकते हैं.

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