पार्क हो रहे हैं दुरुस्त -डॉ जाकिर हुसैन पार्क के जीर्णोद्धार से बच्चों की चेहरे पर लौटी हंसी 

  • अस्तित्व खो चुका डॉ जाकिर हुसैन पार्क का 75 घंटे में हुआ जीर्णोद्धार
  • आम जन के लिए फिर से खुला पार्क
  • अभिभावकों को मिली तनाव से मुक्ति, बच्चों के होठों पर लौटी मुस्कान 

रांची : झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने देश के समक्ष उदाहरण पेश किया है, छोटे बजट में भी राज्य को संवारा जा सकता है. अल्प संसाधन के बीच मुख्यमंत्री ने केंद्र के समक्ष हथियार नहीं डाला बल्कि छोटे-छोटे बजट की योजनाओं के माध्यम से नए सिरे से प्रदेश में विकास कार्य  प्रारंभ किया. जिसके नतीजे अब सामने आने लगे हैं. राजधानी रांची के बीचो-बीच स्थित डॉ. जाकिर हुसैन पार्क, जो पशुओं की चारागाह में तब्दील होती जा रही थी. वहां अब फिर से बच्चों की हंसी, खिलखिलाहट के रूप में गूंजने लगी है. 

पार्क में विभिन्न प्रकार के फूलों के सुगंध के बीच बचों को रंग बिरंगे झूले में झूलने का मौका मिल रहा है. पार्क में बच्चों के साथ पहुंचनेवाले अभिभावकों के चेहरों पर भी मुस्कान है. बच्चों व अभिभावकों के चेहरे पर आये इस मुस्कान के लिए रांची जिला प्रशासन व नगर निगम की टीम ने दिन-रात मेहनत की. महज 75 घंटे में ही डॉ. जाकिर हुसैन पार्क का जीर्णोद्धार के काम को मूर्त रूप दिया. और अब पार्क को शहरवासियों के लिए खोल दिया गया है. सच ही कहते हैं नीयत ठीक हो नियति भी साथ देती है.

मुख्यमंत्री द्वारा पार्क के सौंदर्यीकरण को लेकर दिए गए थे आदेश

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा हाल ही में अधिकारियों को राजधानी शहर के सौंदर्यीकरण और पार्कों के उचित देखभाल के कड़े निर्देश दिए गए हैं. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद नगर प्राधिकरण निदेशालय, झारखंड के तहत रांची नगर निगम ने शहर के लोगों के लिए स्वच्छ वातावरण बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गयी है. इस योजनाओं के तहत ‘रमणीक रांची’ नामक समर्पित योजना भी शुरुआत हुई है. जिसके तहत मृत पड़े पार्कों का जीर्णोद्धार होगा.

 डॉ. जाकिर हुसैन पार्क की स्थिति अति दयनीय हो चली थी  

मालूम हो, डॉ. जाकिर हुसैन पार्क की स्थिति काफी खराब थी. विगत आठ वर्ष से यह पार्क बंद पड़ा था. देखभाल के अभाव में जहां-तहां घनी झाड़ियां उग आई थीं. पार्क में लगे झूले खराब हो चुके थे. गेट में भी जंग लगा हुआ था और हर जगह गंदगी का अंबार था. पशुओं का ठिकाना बन चुका था. स्थिति यह हो चली थी कि लोग भूल भी चुके थे कि वहां पार्क भी था. लेकिन, मुख्यमंत्री के आदेश के आलोक में नगर निगम की टीम द्वारा पार्क को साफ किया गया. पार्क में लगे झूलों जैसे तमाम उपकरणों को दुरुस्त किया गया. नये झूले भी लगाये गये हैं. 

रोशनी की व्यवस्था की गई है ताकि रात में भी पार्क जगमगा सके. रंग-रोगन के साथ नये स्वरूप में पार्क जनता को समर्पित किया जा चुका है. यह पार्क अब जनता के लिए है और जनसहयोग से आगे उपयोग में लाया जायेगा. गौरतलब है कि कोरोना की पौने दो साल की त्रासदी ने लोगों की जिंदगी को शिथिल कर दिया था. पाबंदियों के कारण वह तनाव भरी जिंदगी जी रहे थें. पर, अब डॉ.जाकिर हुसैन पार्क व अन्य पार्कों का फिर से खुलना लोगों की उदास जिन्दगी को प्रकृति से जोड़ न केवल खुशहाल बल्कि स्वस्थ भी बनायेगी. 

“पार्क को फिर से अस्तित्व लाना एक कठिन लक्ष्य था, लेकिन हमने समय सीमा के भीतर इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक मिशन मोड पर काम किया. यह हमारे सहयोगी, सफाई कर्मचारियों एवं अन्य लोगों के संयुक्त प्रयास से संभव हो पाया. गर्व होता है कि अगर हम प्रतिबद्धता के साथ काम करें, तो सुखद परिणाम हमारे सामने होगा.” 

नगर आयुक्त

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