झारखण्ड : हेमन्त सरकार में 11 नवंबर 2022 को कुल 77% SC, ST, OBC आरक्षण का विधेयक विधानसभा से पारित हुआ. पत्रकार दिलीप मण्डल ने स्वयं शुक्रिया कहा और ओबीसी समाज से सीएम हेमन्त सोरेन को धन्यवाद कहने हेतु निवेदन किया है.
रांची : मोदी शासन में EWS कोटे को उच्चतम नयायालय से मुहर लगने के बाद जनरल कोटा की 51% अवधारण के समाप्ति के कयास बुद्धिजीवियों द्वारा लगाया जा रहा था. जो देश में सच साबित होता दिख रहा हैं. ज्ञात हो, झारखण्ड की हेमन्त सरकार में 11 नवंबर 2022 को एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर 77% आरक्षण का विधेयक विधानसभा से पारित कर 9 वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र भेजा जा रहा है.
यह EWS कोटा की पहली साइड इफ़ेक्ट की तस्वीर झारखण्ड प्रदेश में दिखी है. कर्नाटक, राजस्थान जैसे राज्यों में भी बहुत जल्द दिख सकता है. ज्ञात हो, झारखण्ड विधानसभा में OBC आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% , एससी आरक्षण 12% और एसटी आरक्षण 28% का विधेयक पारित हो चुका है. ज्ञात हो, बीजेपी शासन में, झारखण्ड में 49% आरक्षण के लिमिट कोटा के आड़ में ओबीसी आरक्षण में कटौती कर महज 14% पर समेट दिया गया था.
ज्ञात हो, सीएम हेमन्त सोरेन ने बीजेपी राजनीति के अक्स में, अन्य जातियों को एसटी में शामिल कियू जाने के प्रायस व ओबीसी आरक्षण के संबंध में आरक्षण कोटा बढ़ाने की बात कही गई थी. साथ ही ओबीसी समाज से किए वादा को निभा दिया है. मसलन, बीजेपी के मौकाप्रस्त राजनीति के जवाब में पत्रकार दलीप मण्डल ने सीएम हेमन्त सोरेन को जोहार व शुक्रिया कहा है. साथ ही उनके द्वारा ओबीसी समाज से निवेदन किया गया कि वह हेमन्त सोरेन को धन्यवाद कहें.
EWS कोटा के अम्लीकरण में बीजेपी आइडिऑलॉजी की मौकापरस्ती का छापा
ज्ञात हो, बीजेपी आइडीआलजी की राजनीति को सत्ता तक पहुँचने के लिए जैसा समीकरण सटीक बैठा वैसा खिलवाड़ उसने संविधान के साथ किया. इस मंशा की स्पष्ट उदाहरण EWS कोटा के अम्लीकरण में दिखता है. अल्पमत का फ़ैसला लिखते हुए जस्टिस भट्ट और जस्टिस ललित ने चेतावनी दी थी कि EWS को 10% देने के लिए अगर 50% की लिमिट तोड़ी गई तो फिर देश में बाढ़ आ जाएगी. इसकी स्पष्ट तस्वीर 11 नवंबर से ही देखने को मिलने लगी है.