झारखण्ड : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड पुलिस के कर्मचारियों के अवकाश क्षतिपूर्ति प्रस्ताव को मंत्रिमंडल में भेजने की स्वीकृति प्रदान कर, न केवल वादा निभाया है, इन्हें अधिकार भी दिया है…
राँची : भाजपा के पूर्व रघुवर सरकार में झारखण्ड पुलिस भी खफा रही थी. अवकाश क्षतिपूर्ति को लेकर पुलिस निरीक्षक से लेकर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों तक में खीज दिखी थी. झारखण्ड पुलिस ने काले बिल्ले के सहारे रघुवर सरकार के नीतियों का विरोध भी किया था. लेकिन तबकी तानाशाह रघुवर सरकार द्वारा इनके जायज मांग को अनसुना कर दिया गया था. लेकिन, 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान बतौर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष, हेमन्त सोरेन द्वारा मामले के सम्बन्ध में कहा गया था कि उनकी सरकार बनने पर झारखण्ड पुलिस की इस समस्या का हाला निकाला जाएगा.
ज्ञात हो, हेमन्त सोरेन के मुख्यमंत्री पद संभालते ही देश समेत राज्य को लगभग डेढ़ वर्षों तक कोरोना संकट से जूझना पड़ा. ऐसे में चुनाव के दौरान किये गए सारे वादे-इरादे को कुछ देर तक थामना पड़ा था. क्योंकि उस वक़्त प्राथमिकता राज्य को संक्रमण से बचाना था, राज्य को भूखों मरने से भी बचाना था. इस सत्य से झारखण्ड मुंह नहीं चुरा सकता कि उस संकट के दौर में झारखण्ड पुलिस ने मानवता का परिचय दिया है. थानों में भोजन पका क्पुर लिसकर्मियों ने ग़रीब राज्यवासियों की पेट भरी थी.
मसलन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने झारखण्ड पुलिस से किये वादा को निभाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. ज्ञात हो, मुख्यमंत्री सह गृहमंत्री के पद संभाल रहे हेमन्त सोरेन द्वारा झारखण्ड पुलिस विभाग में पुलिस निरीक्षक से लेकर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के लिए प्रत्येक वर्ष 20 दिनों की अवकाश क्षतिपूर्ति को बहाल करने वाली प्रस्ताव को मंत्रिमंडल में भेजने की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है. जल्द ही मामले में आगे की कार्रवाई हो सकती है और राज्य के पुलिसकर्मियों को अधिकार मिल सकता है.