जिनके बलिदान-संषर्ष ने दिलाई झारखण्ड को पहचान, उन्हें सम्मान देने को आगे आई हेमन्त सरकार

झारखण्ड : एक ख़ास आइडियोलॉजी द्वारा देश के गौरवशाली इतिहास को हर काल में छिपाने का हुआ है प्रयास. ऐसे में सीएम द्वारा अलग राज्य के आन्दोलनकारियों की खोज, न केवल उनका सम्मान है, झारखण्ड के गौरवशाली बलिदान-संषर्ष जैसे महान इतिहास का संरक्षण भी है. 

राँची : झारखण्ड की मूल जनता में झारखण्ड अलग राज्य आन्दोलन का दर्जा स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन के बराबर है. ज्ञात हो, झारखण्ड आन्दोलन के आन्दोलनकारियों को अलग राज्य के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा, बलिदान देना पड़ा है. आन्दोलन काल में उन्हें अपने परिवार, बच्चों से दूर जंगलों में शरण ले आन्दोलन को जीवित रखना पड़ा. उनके बच्चे अर्थात झारखण्ड की अगली पीढ़ी को मुफलिसी में भूख से बिलबिलाना पड़ा है, शिक्षा जैसे मूलभूत अधिकार से वंचित होना पड़ा है. लेकिन, राज्य की बिडम्बना रही कि भाजपा आइडियोलॉजी में, उसके पहले शासन काल से रघुवर काल तक में ऐसे आन्दोलनकारियों व उसके परिवारों के बलिदान के लिए सम्मान-अधिकार हेतु कोई स्थान नहीं रहा. 

झामुमो को अपने आदोलान्कारी साथियों के पहचान का अनुभव होने के कारण अब अधिक संख्या में आन्दोलनकारियों की पहचान हुई है संभव   

ज्ञात हो, एक ख़ास आइडियोलॉजी द्वारा देश के गौरवशाली इतिहास को हर काल खंड में छिपाने का प्रयास हुआ है. जाहिर है जो उस दौर भूखा रहा है उसे रोटी की कीमत का पता है. ऐसे में मौजूदा दौर में एक झारखण्ड आदोलनकारी का खून हेमन्त सोरेन झारखण्ड की सत्ता पर बैठा है. तो झारखण्ड के इतिहास में पहली बार गंभीरता पूर्वक झारखण्ड आन्दोलन के सभी आन्दोलकारियों व् उसके परिवारों की खोज आरम्भ हुई है. इस मुहीम का आगाज स्वयं झारखण्ड आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले दिशुम गुरु सह राज्य सभा सांसद शिबू सोरने ने किया है.

इससे पूर्व भी हेमन्त के अल्प पूर्व शासन काल में करीब 2000 आन्दोलनकारियों को चिन्हित किया गया था. लेकिन, बाद के सरकार में आन्दोलनकारियों की पहचान प्रक्रिया को जटिल बनाया दिया गया था. चूँकि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को अपने आदोलान्कारी साथियों को पहचानने का अनुभव है, मसलन वर्तमान की हेमन्त सरकार में आन्दोलनकारियों की पहचान प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है. आवेदन के नये प्रपत्र का लोकापर्ण हुआ है. जिससे अब अधिक संख्या में असली आन्दोलनकारियों की पहचान संभव हुई है. 

झारखण्ड वीर आन्दोलनकारियों के लहू-पसीने से महकने वाला राज्य -हेमन्त सोरेन 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन कहते हैं – झारखण्ड वीर आन्दोलनकारियों के लहू -पसीने से महकने वाला राज्य है. ऐसे में आंदोलन के पहले पंक्ति से लेकर अंतिम पंक्ति तक में शामिल आन्दोलनकारियों को सम्मानित करनान, झारखण्ड का सम्मान है. मसलन, चिन्हित आन्दोलनकारियों को सरकार सिर्फ प्रमाण पत्र ही नहीं बल्कि आन्दोलनकारियों व उनके परिवार के एक सदस्य को थर्ड-फोर्थ ग्रेड में शैक्षणिक योग्यता अनुसार सीधी भर्ती देने का फैसला मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया है. 

लाभुक आंदोलनकारियो व उसके परिवार को सरकारी नौकरियों में 5% तक, आन्दोलन के घायलों को 40% तक का क्षैतिक आरक्षण, दिव्यांग हुए आन्दोलनकारियों को भी इसका लाभ दिया जायेगा. सरकार शहीद परिवार के एक सदस्य को 7000 रूपये तक मासिक पेंशन भी देगी. आन्दोलनकारी या उनके परिवार के किसी एक सदस्य को भी इस योजना के तहत पेंशन दिया जा सकेगा.

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