सीएम हेमन्त के नेतृत्व में झारखण्ड को मिली रोजगारोन्मुखी योजना – कोरोना में भी प्रति व्यक्ति आय में 30% बढ़ोतरी
झारखण्ड : 2011 -12 में प्रति व्यक्ति आय था 41254 रुपये, जो सीएम हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड को जगारोन्मुखी ठोस योजनाएं मिलने से 2020 -21 में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर हुआ 53,489 रुपये…
“झारखण्ड ए स्टैटिस्टिकल प्रोफाइल – 2020” का हुआ विमोचन, आंकड़ों से हेमन्त सरकार के कामों का किया गया आकलन
रांची : झारखण्ड की सत्ता में, दिसम्बर 2019 में हेमन्त गठबंधन सरकार द्वारा राज-काज संभालने के बाद से ही, जन हित में रोजगारोन्मुखी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है. ज्ञात हो कोरोना त्रासदी काल में जब देश भर में रोज़गार छिन रहे थे, तब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा आने वाली आर्थिक संकट को भाफते हुए झारखण्ड राज्य में रोजगारोन्मुखी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया. ग्रामीण विकास से लेकर नगर विकास जैसे विभागों तक में रोजगारोन्मुखी योजनाओं की शुरूआत हुई.
नतीजतन, इस दूरगामी सोच का सीधा फायदा राज्य के ग़रीब जनता को मिला. और ऐसे भयावह स्थिति में भी राज्य की जनता को बेरोजगारी का दंश नहीं झेलना पड़ा. आज उन्हीं सराहनीय पहलों का नतीजा है कि झारखण्ड वैश्विक कोरोना संकट के दौर में भी प्रति व्यक्ति आय में 30% तक की ऐतिहासिक बढ़ोतरी करने में सफल हुआ है. शुक्रवार को जारी “झारखण्ड ए स्टैटिस्टिकल प्रोफाइल – 2020” में यह आंकड़े सामने आए हैं. जारी आंकड़ो को देखने से साफ होता है कि राज्य में बीते दो सालों में, हेमन्त सरकार में बेहतर प्रबंधन के साथ संचालित रोजगारोन्मुखी योजनायें राज्य की गरीबी पर भारी पड़ी है.
प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी में हुई ऐतिहासिक बढ़ोतरी, मुख्यमंत्री की पहल पर प्रवासी मजदूरों के लिए भी शुरू हुई थी योजनाएं
स्टैटिस्टिकल प्रोफाइल के मुताबिक झारखण्ड में प्रति व्यक्ति आय वित्तीय वर्ष 2011-12 में 41,254 रुपये आकलित की गयी थी. ज्ञात हो, 29 दिसम्बर 2019 को बतौर मुख्यमंत्री शपथ लेने के 2 माह बाद ही कोरोना संकट का दौर शुरू हुआ. अन्य राज्यों फंसे लाखों प्रवासी झारखंडी घर वापसी को मजबूर हुए. पूर्व सरकार की नीतियों के अक्स में राज्य के अंदर भी लाखों बेरोजगार हो चुके थे. ऐसे नाजुक परिस्थिति में, सीएम की हिम्मती फ़ैसलों के अक्स में एक तरफ राज्य को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की गयी तो दूसरी तरफ राज्य में कई रोजगारोन्मुखी योजनाओं की शुरुआत हुई.
नतीजतन, कोरोना संक्रमण काल के घातक प्रभाव में भी तमाम रोजगारोन्मुखी योजनाओं ने राज्य की गरीबी से दो-दो हाथ किया. और अन्तः वर्ष 2020-21 में झारखण्ड की प्रति व्यक्ति आय ने 30% ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज करते हुए 53,489 रुपये का आंकड़ा प्राप्त किया. साथ ही, राज्य का सकल घरेलू उत्पाद में टेरीटरी सेक्टर में सेक्टोरल ग्रोथ भी 39.76 प्रतिशत आंकी गयी है.
ग्रामीण विकास की 6 और नगर विकास विभाग की 1 योजनाओं ने दिखाया सकारात्मक प्रभाव
ज्ञात हो, वर्ष 2020 के मध्य से हेमन्त सरकार द्वारा कई रोजगारोन्मुखी योजनाएं शुरू की गयी. इसमें ग्रामीण विकास विभाग में बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना और पोटो हो खेल विकास योजना प्रमुखता सेशामिल है. तीनों योजनाओं को लेकर सरकार ने दावा किया कि इससे राज्य के ग्रामीण, किसान व खेल के प्रति समर्पित युवाओं को लाभ मिलेगा. तीनों योजना के माध्यम से 2 करोड़ लोगों के लिए रोज़गार सृजन होने की संभावना जतायी गयी थी. सरकार के बेहतर प्रबंधन के कारण नतीजा भी कमोवेश दावों के अनुरूप ही निकला.
इन तीनों योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के प्रवासी समेत तमाम मज़दूरों को गांव में ही रोज़गार उपलब्ध हुए. इसी तरह मनरेगा की तर्ज पर शहरी श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री शहरी श्रमिक योजना लागू की गयी थी. ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत ही फूलो झानो आशीर्वाद योजना, आजीविका संवर्धन हुनर अभियान यानी आशा और पलाश ब्रांड को लांच किया गया था. इन स्कीमों के मध्यम से झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा गया. तमाम फैसलों ने ग्रामीण महिलाओं, युवकों व बाहर से लौटे श्रमिकों के लिए रोज़गार के नए अवसर सृजित किये
सही आंकड़ों पर आधारित योजना बनाने से क्रियान्वयन मिलती है मदद -मुख्यमंत्री
भाजपा विचारधारा विकलांगता ही हो सकती है कि उपरोक्त उपलब्धियों के बाद भी प्रदेश बीजेपी के नेताओं ने हेमन्त सरकार की पीठ थपथपाने के बजाय भ्रामिक अंदाज में सरकार पर रोजगार छिनने का झूठा आरोप लगा, राज्य की जनता को भरमाने का निर्थक प्रयास किया. उसे कौन समझाए कि सरकारी रिपोर्ट के आंकड़े कभी झूठे नहीं होते हैं. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भले ही अर्थशास्त्री न हो, पर आकड़ों ने उनके अर्थशास्त्र ज्ञान को जरूर देश के सामने रखा है.
मुख्यमंत्री का मानना है कि सही आंकड़ों पर आधारित जन कल्याण योजनाएं अपना असर जरुर दिखाती है. सही आंकड़ों पर आधारित कल्याणकारी योजनाओं को क्रियान्वित करना आसान होता है और समाज के लक्षित लोगों को लाभान्वित किया जा सकता है. और ऐसी योजनायें गरीबी से लड़ने में महत्वपूर्ण कड़ी साबित होते हैं. आंकड़ों से अर्थव्यवस्था की गति और गतिविधि का स्पष्ट तस्वीर मिलती है.