बलात्कारियों के साथी आज यकायक बेटी सुरक्षा की बात करने लगे – ताज्जुब !

जो बीजेपी देश की दलित बेटी की लाश को आधी रात में जबरन जलाती है, उसका यकायक बेटी सुरक्षा की बात करना, ताज्जुब नहीं राज्य के लिए चिंता की बात

मनुवाद विचारधारा की पार्टी भाजपा के पास जब जनता के वाजिब सवालों का जवाब नहीं होता,  तो वह जवाब देने के लिए किसी विभीषण को लालच देकर अपने दल में इम्पोर्ट कर लेती है। फिर बंदूक उसके कंधे पर रख अपने फायदे अनुसार चलाती है। बात दिलचस्प तो है जब भाजपा, जिस दल में सबसे अधिक बलात्कार के आरोपी हों और जिसके शासन में सबसे जयादा बलात्कार हुए हों, वह यकायक बेटी सुरक्षा की बात करने लगते हैं।

बलात्कारियों के साथी के नाम से प्रख्यात बीजेपी के नेता, जब हाथरस मामले में निंदा तक करना जरुरी नहीं समझती। बल्कि ऊँची जातियों को संरक्षण देने के लिए पूरी तंत्र लगा देती है, वह यकायक बेटी सुरक्षा की बात करे तो ताज्जुब जरुर करना चाहिए। क्योंकि यह विश्व की वही सबसे बड़ी व इकलौती ऐसी पार्टी है जो बलात्कारियों को संरक्षण देती है और चिन्मयानंद जैसे बलात्कारियों के केस तक वापस लेती है। 

देश में सबसे ज्यादा बलात्कार भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में होते हैं

आंकड़े बताते हैं कि देश में सबसे ज्यादा बलात्कार भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में होते हैं। जैसे देश भर में उत्तर प्रदेश नंबर वन और मध्य प्रदेश का नंबर चौथा है। पत्नी ने जॉइन की तृणमूल कांग्रेस तो भाजपा सांसद अपनी पत्नी को डिवोर्स का नोटिस भेज देते है। स्त्री जाती का अपमान और महिलाओं को ढ़ाल बनाकर राजनीति करने वाली भाजपा जब महिला उत्पीडन पर बात करे तो ताज्जुब नहीं बहुजनों व गरीबों को चिंता करनी चाहिए। 

क्योंकि जब भाजपा सत्ता में होती है तो सुरक्षा चेक के नाम पर बेटियों के मास्क उतार लेती है, बहन बेटियों पर लाठी चलाने से नहीं चूकती और बेटी के बलात्कार पर न्याय मांगने वाले बाप को महिलाओं के ही महफ़िल में अपमानित कर बहार निकाल दिया जाता है। दरअसल, मनुवादी विचारधारा से ओत-प्रोत भाजपा व उसके नेताओं को जब सत्ता से दूरी सताती है तो वह छल-बल, भ्रम, गुंडागर्दी जैसे तमाम हथकंडों के साथ मैदान में उतर जाती है।

इस दफा झारखंड में ऐसा ही देखा जा रहा है। जहाँ भाजपा के नेता अपने कार्यकर्ताओं व कारिस्तानियों का लिपा-पोती करने के झारखंड के लिए विभीषण आदिवासी नेताओं के कंधे पर बंधूक रख कर चला रही है। जहाँ हाफ-पैंट पहने वाले आदिवासी नेता दिन भर यह कहते नहीं थक रहे कि देश में किसी आदिवासी-दलित पर अत्याचार नहीं होता। मजेदार बात यह है कि जिस दल की सत्ता ने अभी तक देश के असली मालिक किसान को दिल्ली घुसने नहीं दिया है, वह झारखंड को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने में व्यस्त हैं … 

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