बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के राहों में बीजेपी नेता ही बने खतरा – कई नेताओं पर महिला उत्पीड़न और यौन शोषण के आरोप
झारखंड में महिला उत्पीड़न और यौन शौषण के बीजेपी आरोपियों की है लंबी फ़ेहरिस्त। डबल इंजन सरकार में आरोपियों के प्रति पुलिस का व्यवहार रहा सहयोगात्मक। पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्य़क्ष, विधायकों समेत पूर्व डीजीपी पर है संगीन आरोप। ऐसे में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का सच समझा जा सकता है…
रांची : केंद्र की मोदी सत्ता विगत 6 वर्षों से लगातार महिलाओं की सुरक्षा की बात! करती रही है। मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान का उद्देश्य महिला सुरक्षा बताया गया है। लेकिन, प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना के राहों में उनके विधायक-नेता ही खतरा बनते आये हैं।
देश भर में छोड़िए, केवल झारखंड प्रदेश में ऐसे बीजेपी नेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त है, जिन पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न व यौन शौषण के आरोप लगते रहे हैं। इसमें वैसे नेता भी शामिल है, जो उम्र की एक रचनात्मक दहलीज पार कर चूके हैं। कुछ तो ऐसे है जिन पर आरोप लगने बाद भाजपा का दामन थाम पाक-साफ़ हो गए। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष व पूर्व डीजीपी इसके प्रत्यक्ष गवाह हो सकते हैं।
जब इनपर आरोप लगे, तो प्रदेश में भाजपा का शासन था। चूँकि डबल इंजन की सरकार थी इसलिए इनके प्रति पुलिस का रवैया भी सहयोगात्मक रहा। नतीजतन वारंट निर्गत होने के बावजूद किसी एक की भी गिरफ्तारी नहीं हुई। लेकिन, भाजपा सरकार का स्वाहा होने के बाद जेएमएम नेतृत्व ने बनी गठबंधन सरकार में कुछ पर कार्रवाई हुई है।
विपक्ष ने नारा भी दिया था , ‘बेटी पढ़ाओ और बीजेपी के नेता-विधायकों से बचाओ’
करीब 2 साल पहले चले #MeToo कैंपेन के तहत महिला उत्पीड़न और यौन शौषण के जद में केंद्र के कई भाजपा नेता आये। आरोपों के बाद राष्ट्रीय और प्रदेश के विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” अभियान पर तंज कसते हुए नारा दिया था – ‘बेटी पढ़ाओ और बीजेपी के नेता-विधायकों से बेटी बचाओ’।
झारखंड में आरोप लगने वाले नेताओं की है लंबी फ़ेरहिस्त – पांकी के विधायक शशिभूषण पर ऑक्सफ़ोर्ड स्कूल की वार्डन सुचित्रा मिश्रा की हत्या का आरोप लगा था। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले वे बीजेपी में शामिल हुए थे। पांकी सीट से उन्होंने चुनाव तो जीता, लेकिन उनके द्वारा प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पीड़िता सुचित्रा मिश्रा के दोनों बेटे के साथ किए जाने वाले मारपीट की घटना का काफी निंदा हुई।
बाघमारा विधायक पर पार्टी नेत्री से ही अश्लीलता का आरोप – बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो पर तो उनके ही पार्टी महिला कार्यकर्ता ने यौन उत्पीड़न के प्रयास का आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपने आवेदन में कहा था कि उन्हें पार्टी कार्यक्रम का हवाला देकर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, टुंडी के एक गेस्ट हाउस पर बुलाया गया, जहां ढुल्लू महतो ने उसे पकड़ लिया और अश्लील हरकत करने लगे। महिला के बयान पर पुलिस ने केस भी दर्ज किया था। लेकिन, इत्तेफ़ाक़न ढुल्लू रघुवर दास के दुलुरवा थे।
कांके विधायक पर पत्नी और बेटी ने लगाया है मारपीट का आरोप – भाजपा के कांके विधायक समरी लाल पर उनकी ही बेटी ने मारपीट का आरोप लगाया है। बीते शुक्रवार की सुबह विधायक की पुत्री, दामाद, पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने भाजपा के प्रदेश मुख्यालय पहुंच कर पार्टी के पदाधिकारियों से मुलाकात की और विधायक समरी लाल के अत्याचार की दास्तान सुनाई।
अब बारी है बीजेपी के नए नेता सह पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की
झारखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डीके पांडेय, उनकी पत्नी डॉ. पूनम पांडेय व बेटे शुभांकन के खिलाफ महिला थाने में उनके बहु ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज किया। बहू रेखा मिश्रा ने बताया है कि डीके पांडेय दहेज के लिए उन्हें मानसिक प्रताड़ना दते रहे।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पर बाल विवाह का है आरोप – झारखंड बीजेपी इकाई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी पर बाल विवाह अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। आरोप था कि उन्होंने अपने बेटे की शादी 11 साल की बच्ची से करवाई थी। बाद में ताला मरांडी पर बाल विवाह निषेध कानून की धाराओं के तहत याचिका दर्ज हुई।
देश भर के कई बीजेपी नेताओं पर भी है यौन शौषण के आरोप
#MeToo कैंपेन के तहत पूर्व विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर का नाम आने के बाद आखिरकार उन्हें विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। तकरीबन 20 महिला पत्रकारों ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। महिला पत्रकारों का आरोप था कि ‘द एशियन एज’ और अन्य अखबारों में संपादक पद पर रहते हुए अकबर ने उनके साथ यौन उत्पीड़न किया था।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी नेताओं पर महिला उत्पीड़न और यौन शौषण के आरोप लगे हैं। पहले भी बीजेपी के सदाचारी नेताओं पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार के संगीन आरोप लगते रहे हैं। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की दरिंदगी तो अब तक नहीं भूला होगा देश। कठुआ कांड के आरोपियों के समर्थन में खड़ी जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल रहे बीजेपी के मंत्री पर लगे आरोप भी इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है। फेहरिस्त इतनी लम्बी है कि लिखते-लिखते थक गया हूँ…!
लब्बोलुआब यह है कि अगर आप सोच रहे हैं कि अब भी आपकी बेटियाँ सुरक्षित हैं तो इस मुग़ालते में मत रहिये क्योंकि ये सदाचारी कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। जब संसद और विधान सभा की शोभा बढ़ाने वाले इनके नेता संसद में बैठकर पोर्न मूवी देखते हुए पकड़े जा सकते हैं, तब उनसे महिला सुरक्षा की उम्मीद करना ख़ुद को धोखे में रखना हो सकता है।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की असलियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ‘निर्भया फण्ड’ के लिए जो राशि आवण्टित की गई थी उसका एक-तिहाई हिस्सा भी अभी तक सरकार ख़र्च नहीं कर पाया है।