झारखण्ड : क्या मूलवासियों की बढ़ते वर्चस्व से घबरा रहे है बाहरी व बाबूलाल?

झारखण्ड : हेमन्त शासन में राज्य में बढ़ रहा है मूलवासियों का बर्चस्व. नतीजतन बाहरी व उसके सरपरस्त में घबराहट है. क्या बाबूलाल के पोष्ट में एनआरसी जैसे शब्द इसकी पुष्टि नहीं करते?  

रांची : झारखण्ड में जन मुद्दों के आभाव में बीजेपी का जनाधार खिसक चुका है. नतीजतन आकाओं के खौफ़ में बाबूलाल सरीखे बीजेपी नेताओं के पोष्ट में ‘गौ तस्कर’, ‘एनआरसी’, ‘हिन्दू-मुसलमान’ जैसे शब्दों जगह ले ली है. लेकिन झारखण्ड में बांग्लादेशी घुसपैठ पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांग पूरी बीजेपी राजनीति को कठघरे में खड़ा कर दिया है. मसलन, बाबूलाल सरीखे बीजेपी नेता पोष्ट के आसरे केन्द्रीय निकम्मेपन को ढकने-तोपने का प्रयास कर रहा है.

क्या झारखण्ड में मूलवासियों की बढ़ते वर्चस्व से घबरा रहे है बाहरी व बाबूलाल?

जेवीएम के बाबूलाल का वक्तव्य : सबका साथ सबका विकास के नारा के साथ सत्ता में आने वाली पूर्व की बीजेपी सरकार अलग-अलग धारणाओं के तले समाज का विभाजन कर रही है. इसलिए उन तमाम धारणाओं के अक्स में वह बीजेपी में नहीं रह सकते थे. क्योंकि यादि वह बीजेपी में रहते तो उन्हें वहां मन को दबा कर रहना होता. -ऐसे में सवाल है कि क्या मौजूदा दौर में बाबूलाल सीएम बनने की आस में क्या उसी जीवन को बीजेपी में जी रहे हैं? उनके पोस्ट से कुच्छ ऐसा ही प्रतीत होता है.

ज्ञात हो, झारखण्ड में बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में हेमन्त सरकार के द्वारा स्पष्ट कहा गया है कि यदि झारखण्ड के संथाल के छोर में ऐसा हुआ है तो जवाबदेही केन्द्रीय गृह मंत्रालय का है. जिससे बीजेपी की पूरी राजनीति सकते में है. नतीजतन, बाबूलाल सरीखे बीजेपी नेता अपने पोष्ट में गौ तस्कर, NRC, हिन्दू-मुसलमान जैसे शब्दों का प्रयोग कर एक तरफ केंद्र सरकार का बचाव कर रही है, तो दूसरी ओर राज्य में मूलवासियों के बढ़ते बर्चस्व के अक्स में अपने बाहरी साथियों का बचाव.

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