‘अग्निपथ योजना’ : सरकार के लिए 5 वर्ष, लेकिन सरकारी नौकरी में युवा की उम्र सिर्फ 4 वर्ष क्यों?

देश मे संविधानिक लकीरों के अंतर्गत जब सरकार 5 वर्ष के लिए चुनी जाती है तो सरकारी नौकरियों में जाने वाले युवाओं की सेवा सिर्फ 4 वर्ष क्यों? अग्निपथ योजना में उम्र ख़त्म होने पर देश के युवाओं के भविष्य का क्या होगा -गंभीर सवाल 

 राँची : केंद्र की भाजपा सरकार की आइडियोलॉजी देश में सैनिकों की भर्ती के तौर-तरीका बदलने जा रही है. अमृत काल के अंतर्गत मोदी सरकार में देश पहली बार टेम्परेर सेना के बार सुनेगा. केंद्र सरकार इस  भर्ती हेतु ‘अग्निपथ प्रवेश योजना’ लाने जा रही है. बताय जा रहा है कि इसके तहत भारतीय सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. योजना अब निर्माण के अंतिम पड़ाव पर है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अग्निपथ योजना भारतीय सेना के ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ प्रस्ताव का नया नाम है. जिसके तहत तय उम्र सीमा में बड़ा उलट-फेर होने वाला है. इसके तहत केवल चार वर्षों के लिए युवाओं को सेना में भर्ती किया जाएगा.

इस भर्ती से भारत के बहसंख्यक गरीब बेरोजगार के भविष्य पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव

ज्ञात हो, कोरोना महामारी के दौर से सशस्त्र बलों की भर्ती पर प्रभाव पड़ा है. वर्तमान में तीनों सेनाओं तहत 1.25 लाख से ज्यादा पद खाली हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह योजना दो साल पहले ‘टूर ऑफ ड्यूटी योजना’ के चर्चा साथ  साथ शुरू हुआ था. सेना के संबंधित विभागों से बैठकों के बाद योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. आरंभिक योजना के मुताबिक रक्षा सेवा के 4 साल का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद, अग्निवीर निजी क्षेत्र की सेवा में खुद को झोंकने के लिए प्रस्तुत रहेंगे. मसलन, देश के खर्च निजी कम्पनियों के लिए सस्ते ट्रेंड दास तैयार किये जाने की योजन पर भाजपा आइडियोलॉजी ने कदम बढ़ा दिया है. और सरकार पेंशन जैसे अधिकार से साफ़ पल्ला झाडते दिख रही है.

ऐसे में बुद्धिजीवियों द्वारा सवाल उठाया जा रहा हैं कि जब साढ़े 17 से 21 वर्ष के युवा सेना में 4 साल के लिए भर्ती हो सकते हैं. तो विधायक, सांसद को भी केवल 2 वर्षों के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए और उसके बाद उसे रिटायर कर देना चाहिए. उसके पेशन भी बंद कर देना चाहिए. और मंत्रियों को सदनवीर कहा जाना चाहिए.

लेकिन, महत्वपूर्ण सवाल यह है कि साढ़े 17 से 21 वर्ष के युवा सेना में 4 साल के लिए भर्ती होने के बाद ओवर एज हो जाने पर वह क्या करेंगे? उनका भविष्य क्या होगा ..? और जब झारखण्ड जैसे गरीब प्रदेश में SC-ST-OBC को लोन तक नहीं उदाहरण सामने हो तो in अग्निवीरों को निजी क्षेत्र क्यों नौकरी देंगे? मसलन, मनुस्मृति के सिद्धांत में जैसे धर्म के अंतर्गत शासक वर्ग सर्वोपरि है ठीक उसी प्रकार भाजपा सत्ता में भी शासक वर्ग सर्वोपरी हैं. और यह स्वयम को धर्म रक्षक ही बताते हैं.

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