विश्वास रैली : जे.पी.नड्डा जी बताएं -क्यों ‘धऱती आबा के गांव को विकसित नहीं कर पायी भाजपा? क्यों भाजपा ने बनाया ‘भ्रष्टाचार में रिकॉर्ड? क्यों कई आदिवासी गांव शौचालय विहीन

विश्वास रैली : 36,428 गांवों की विकास से पहले जेपी नड्डा को 17-9-2017, अमित शाह के धऱती आबा के गाँव उलिहातू दौरे की बात नहीं करनी चाहिए थी. नीति आयोग की सूचकांक में क्यों झारखण्ड गरीबी के मामले में दूसरे स्थान पर है. ऐसे में क्यों नहीं जे.पी.नड्डा के आदिवासी गांवों का विकास व भ्रष्टाचार मुक्त झारखण्ड के दावे को बीजेपी आइडियोलॉजी के तहत झूठ का पुलिंदा माना जाए?

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देश के कई गांवों में आज तक शौचालय की सुविधा नहीं पहुंची – यह स्वंय केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने स्वीकारा थी

राँची : झारखण्ड के लाखों आदिवासियों को बड़े सपने दिखाकर ठगने वाली भाजपा, एक बार फिर विश्वास रैली के माध्यम से राज्य को विकास का झूठा सपना दिखाती दिखी. और भाजपा नेता सपने को गिनाते दिखे. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने वैसे तो जो कुछ कहा वह झूठ का पुलिंदा ही है. लेकिन इसमें सबसे प्रमुख चार झूठ झारखण्ड में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. 

पहला झूठ – 36428 आदिवासी गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित करना.

दूसरा झूठ – भ्रष्टाचार मुक्त शासन.

तीसरा झूठ – आदिवासी गांवों तक शौचालय की पहुंच.  

चौथा झूठ – मोदी सरकार के आठ सालों में गरीबी में 12%की कमी.

ऐसे में पहला सवाल है की जेपी नड्डा अपने भाषण में क्यों यह नहीं बता पाये कि 17 सितम्बर 2017 को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह (वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री) उलिहातू गांव पहुंचे थी. जहाँ उन्होंने आदिवासियों को सपने दिखाते हुए बड़े-बड़े वादे किये थे. लेकिन, उन्होंने व उनके पार्टी के प्रिय मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा सभी सपनों को बिसराते हुए वादों को तोड़ दिया गया. 

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा क्यों बहुत कुछ नहीं बता पाए

  • जेपी नड्डा यह भी नहीं बता पाए कि कैसे रघुवर सरकार में तरह-तरह के भ्रष्टाचार के तहत राज्य के सरकारी खजाने की लूट हुई.
  • जेपी नड्डा यह नहीं बताये कि धरती आबा के गांव के कई इलाकें -जैसे गिरीडीह का एक गांव “रोहिनियाटांड़’ के आदिवासी तक विकास की किरण से दूर रही. क्यों उस गाँव में शौचालय तक की सुविधा नहीं पहुंची?
  • जेपी नड्डा यह भी नही बता पाये कि एक अंतरराष्ट्रीय शोध के मुताबिक देश में पिछले आठ सालों में गरीबों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. क्यों 2020 तक 7.60 करोड़ लोग और इस लिस्ट में जुड़ चुके हैं? क्यों देश में बेरोजगारी और महंगाई के आंकड़े में लगातार बढ़ रहे हैं.

‘धरती आबा’ के गांव को ही जब विकसित नहीं कर पायी भाजपा, ऐसे में 36428 का आंकडा केवल दिखावा 

जनजातीय विश्वास रैली में जेपी नड्डा जब कहते हैं कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 36,428 आदिवासी बहुल गांवों को मोदी सरकार आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करेगी. तो ऐसे में उन्हें पहले रघुवर सरकार के पांच साल में भाजपा आदिवासी समाज के पहरुआ, धरती आबा बिरसा मुंडा के गांव को विकसित क्यों नहीं कर पायी? जबकि खूंटी जिले में 7 सितंबर 2017 को स्वयं अमित शाह लाव-लश्कर के साथ उलिहातू पहुंचे थे. बिरसा मुंडा के आंगन में उन्होंने शहीद ग्राम विकास योजना के अंतर्गत भूमि पूजन किया था. कल्याण विभाग द्वारा इस योजना के तहत वहां 136 आवास बनने थे. लेकिन इतना महत्वूर्ण काम पूरा क्यों नहीं हो पाया?

जे.पी.नड्डा की नजरों में क्यों मोमेंटम झारखण्ड, टॉफी वितरण, विधानसभा निर्माण में गड़बड़ी भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आते?

भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करने वाले जेपी नड्डा को क्यों रघुवर दास सरकार में हुए 100 करोड़ का मोमेंटम झारखण्ड घोटाला, सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 14 करोड़ रुपये का कंबल घोटाला, 35 लाख रुपये का टॉफी घोटाला, नवनिर्मित विधानसभा भवन के गुणवत्ता में घोटाला भ्रष्टाचार के रूप में नहीं दिखता है. बता दें कि रघुवर सरकार में हुए कई घोटालों के जांच की अनुमति भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों को दिया गया है. 

जे.पी.नड्डा जी क्यों रघुवर काल में झारखण्ड के कई आदिवासी गांव में शौचालय की सुविधा नहीं पहुंची 

मोदी सरकार में बड़े पैमाने पर आदिवासी गांवों तक शौचालय सुविधा पहुंचाने का दंभ भरने वाले जे.पी.नड्डा कोक्यों झारखण्ड के आदिवासी गांवों की स्थिति का पता नहीं? गिरिडीह जिले के धनवार प्रखंड अंतर्गत रोहिनियाटांड़ आदिवासी बहुल गांव है. इस क्षेत्र के विधायक बाबूलाल मरांडी हैं. महज 40 मकान वाले इस गांव में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. जिसे विधायक निधि से भी दूर किया जा सकता था. गांव के कुछ इलाके को छोड़ कई जगह शौचालयों का अभाव है. ऐसे में क्या इसकी जिम्मेदारी भाजपा को नहीं लेनी चाहिए? क्यों इसे भाजपा आइडियोलॉजी के राजनीति का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए?

ज्ञात हो, देश के कई गांव में  शौचालय की सुविधा अब तक नहीं पहुंचने की बात स्वंय केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी स्वीकारते हैं, बीते साल नवंबर माह में, शीतकालीन सत्र में राज्यसभा सांसद वंदना चव्हाण के पूछे प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 53,496 आंगनबाड़ियों में शौचालय सुविधा का अभाव है. उड़ीसा की 40,444, राजस्थान में 29,098, असम में 22,819, पश्चिम बंगाल में 20,884, तेलंगाना में 18,072, आंध्रप्रदेश में 14,731, कर्नाटक में 13,518, उत्तर प्रदेश में 12,891 और झारखण्ड के 12,883 आंगनबाड़ी केंद्रों में शौचालय उपलब्ध नहीं हैं. 

अंतरराष्ट्रीय शोध को आधार बनाकर गरीबी कम होने की बात करने वाले जे.पी.नड्डा को अन्य शोध भी देखना चाहिए 

जनजातीय विश्वास रैली में जे.पी.नड्डा द्वारा गरीबी को लेकर भी बड़ा झूठ बोला गया. उन्होंने कहा, मोदी सरकार के आठ साल के कार्यकाल में देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले की संख्या में लगभग 12% की कमी आयी है. देश में अत्यधिक गरीबी दर महज 8% है. संभवतः जे.पी. नड्डा द्वारा गरीबी का दिया गया यह आंकड़ा विश्व बैंक पॉलिसी रिसर्च के वर्किंग पेपर (अप्रैल 2022) पर आधारित है. 

लेकिन नड्डा जी को एक अन्य अंतरराष्ट्रीय शोध को भी देखना चाहिए था. जर्मनी के बोन में स्थित आईजेडए इंस्टीट्यूट ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स के फेलो रिसर्च संतोष मेहरोत्रा और उनके साथी जजती केशरी परिदा की रिपोर्ट के अनुसार पिछले आठ वर्षों में गरीबी से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 76 मिलियन (7.60 करोड़) की वृद्धि हुई है. भारत देश में गरीबों की संख्या में इतनी तेज वृद्धि पहली बार देखी जा रही है.

नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक झारखण्ड में गरीबी की खोलती है पोल

नवंबर 2021, नीति आयोग की बहुआयामी गरीबी सूचकांक में खुलासा हुआ कि गरीबी के मामले में झारखण्ड देश भर में दूसरे स्थान पर है. राज्य की करीब 42.16% आबादी गरीबी का जीवन जी रही है. वहीं केवल बिहार इस मामले में झारखण्ड से नीचे है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक के मुताबिक यूपी, बिहार और झारखण्ड देश के टॉप-3 गरीब राज्यों में शामिल है.

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