सरकार की दमनकारी नीतियों कर खिलाफ झारखंडियों का हल्ला बोल

आदिवासी-दलितों, अल्‍पसंख्‍यकों, वामपंथी कार्यकर्ताओं पर सत्‍ता द्वारा दमन की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। एक ओर जो कोई भी रघुवर सरकार और भाजपा के ख़तरनाक एजेण्‍डे के विरोध में आवाज़ बुलंद करने का प्रयास करते हैं  उसे फ़र्ज़ी मुक़दमे के अंतर्गत जेल में डालना, उस पर भीड़ को उकसाकर हमले करवाना, उसके विरुद्ध झूठा दुष्‍प्रचार करवाना ही इस सरकार का लोकतंत्र बन गया है! वहीँ दूसरी ओर राज्य सरकार का भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन कर अपने चहेते आकाओं को गरीब-आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन कौड़ियों के भाव लूटाना, गरीबों का राशन, स्कूल विलय के नाम पर स्कूल बंदी,  ठेका मजदूर अधिनियम में संशोधन कर मजदूरों का दोहन आदि जैसे भद्दा मजाक जनता के साथ लगातार जारी है। जबकि झारखण्डी जनता संगठित हो मौजूदा सरकार के इन जन विरोधी नीतियों का पुरज़ोर विरोध करती रही है। अतः यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि निर्लज्जता और नंगई के लिए किसी भी भाषा में जितने भी मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ हैं वह रघुवर सरकार और भाजपा के लिए नाकाफ़ी साबित हो चुके हैं।

दरअसल, यह सभी प्रतिक्रियाएं रघुवर सरकार की बढ़ती बदहवासी को दर्शा रहा है। अर्थव्‍यवस्‍था में छायी मन्दी और बढ़ती बेरोज़गारी के काले बादल दिन-ब-दिन घने होते जा रहे हैं और इनके दरबारी अर्थशास्‍त्री को भी अब एक साल के भीतर उत्पन्न प्रस्थिति से उबरने की कोई उम्‍मीदी-किरण नहीं दिख रही है। शायद यही कारण है कि इनके आरती गाने वाले भक्तों के सुर बदलते जा रहे है। इनके अच्छे दिनों के वादों और विकास की कलई ज्यों-ज्यों खुलती जा रही है त्यों-त्यों यह सरकार एवं इनके अनुषांगिक दलों द्वारा  जनता का ध्यान भटकाने के लिए साम्‍प्रदायिक विद्वेष व अन्धराष्‍ट्रवाद का उन्‍मादी शोर राज्यभर में फैलान शुरू कर दिया गया है।

संगठित भीड़ द्वारा आधे दर्जन घटनाओं में पन्द्रह निहत्थे मुसलमानों, आदिवासियों की गो तस्करी/गोहत्या की आड़ में क्रूरतापूर्ण हत्या कर दी गई। खनिज सम्पदा से सम्पन्न राज्य होने के बावजूद यहाँ के गरीब दलित-आदिवासी एवं मूलवासी आर्थिक तंगी में पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। सरकार द्वारा राशन वितरण प्रणाली में अव्यावहारिक बदलाव किए गए, जिसके वजह से लाचार गरीबों को राशन के लिए दर-दर भटकना पड़ा एवं दर्जनों भूखों की मौतें हो गयी। 14 अगस्त 2017 को एक प्रायोजित सेमिनार के भरी सभा में सरकार के एक मंत्री द्वारा अर्थशास्त्री ज्याँद्रेज को बेइज्जत किया गया, धमकाया गया। 26 जून की खूँटी की घटना से संबंधित फेसबुक पोस्ट को आधार बना कर फादर स्टेन स्वामी, विनोद कुमार सहित बीस बुद्धिजीवी, लेखकों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। 17 जुलाई 2018 को पाकुर में पहाड़ीया समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आये बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी वृद्ध स्वामी अग्निवेश जी को अपने अभिव्यक्ति प्रकट करने पर जानलेवा हमला किया गया और इस घटना के अंतर्गत पुलिस द्वारा अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गयी है।

इन मुख्य घटनाओं के विरोध में एवं संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाए रखने के लिए साथ ही भूख, अन्याय, हिंसा, धार्मिक-उत्पीड़न के विरूद्ध संघर्ष करने वाले साथियों के समर्थन के लिए, लोकतंत्र बचाओ मंच, झारखण्ड की आम जनता, सामाजिक संगठन, राजनैतिक दल, बुद्धिजीवी ने पत्रकारों का आह्वान करते हुए 25 अगस्त 2018 दिन शनिवार को जिला स्कूल मैदान से राजभवन तक सामूहिक पदयात्रा करते हुए एक विशाल जन-प्रदर्शन करने का एलान किया है। कार्यक्रम में स्वामी अग्निवेश, प्रशांत भूषण, मेधा पाटकर, प्रफुल्ल सामंतरे भी शामिल होंगे तथा अनेक जनसंगठन, प्रताड़ित परिवारों के सदस्य एवं राजनीतिक पार्टियाँ भी सहयोग करेंगी।

इनकी मांगे :

  • लोकतंत्र है – हम सोचने, बोलने को आजाद हैं।
  • सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह के मुक़दमे वापस लो।
  • अल्पसंख्यकों पर जुल्म करना बंद करो।
  • लिंचिंग के दोषियों को जल्द सजा दो, हिंसा प्रभावित परिवारों को मुआवजा दो।
  • दंगाइयों को सम्मानित करना बंद करो।
  • मॉब-लिंचिंग सम्बंधित सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन लागू करो।
  • स्वामी अग्निवेश के हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार करो।

 

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