झारखण्ड में कालाबाजारी करने वाले पीडीएस डीलरों बक्सने के मूड में नहीं है राज्य सरकार
देश पहले से ही केंद्र की नीतियों के वजह से बेरोज़गारी बेरोज़गारी जैसे राग से ग्रसित था। बेरोज़गारी में करोड़ युवा सड़कों की धूल फाँक धूल फांकने को मजबूर थे। एनएसएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक़ बेरोज़गारी दर पिछले 45 वर्षों के उच्चतम शिखर पर पहुँच चुकी थी। ऐसी परिस्थिति में अचानक कोरोना जैसे महामारी ने पूरा देश आज अपने चपेट में ले लिया है। साथ ही केंद्र द्वारा आनन-फानन में देशव्यापी लॉकडाउन किये जाने के कारण ग़रीब को समक्ष भुखमरी जैसी भयावह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है।
इसलिये केंद्र और राज्य सरकारें इस भुखमरी जैसी स्थिति से निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर उचित कदम उठा रही हैं। इस बाबत केंद्र सरकार द्वारा राशन कार्डधारियों को 3 महीने तक दोगुना राशन देने का आदेश झारखंड जैसे ग़रीब राज्य, जहाँ 57 लाख गरीब राशन कार्डधारियों को लॉकडाउन जैसी स्थिति से उबारने के लिए बेहद ज़रुरी कदम माना जा सकता है। साथ झारखंड सरकार द्वारा 7 लाख राशनकार्डरहित लोगों को राशन मुहैया कराने का आदेश देना झारखण्ड की गरीब जनता के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
जहाँ एक तरफ केंद्र और राज्य सरकार प्रयास कर रही है कि लोग भूखे न रहे, वहीँ राज्य राज्य का दुर्भाग्य है कि कुछ पीडीएस डीलर लोभ वश कालाबाजारी करते उन ग़रीबों कम राशन दे रहे हैं। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सख्त रवैया अपनाते हुए जांच का निर्देश दिया है। खाद्य आपूर्ति विभाग ने राशन वितरण में हो रही धांधली की जाँच हेतु जाँच समितियों का गठन किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बोकारो, गढ़वा, गुमला समेत अन्य जिलों में जाँच समिति के औचक निरीक्षण में अभी तक कुल 159 पीडीएस डीलर दोषी पाये गये हैं। जिन पर मुख्यमंत्री के आदेशानुसार सख्त कार्यवाही होना तय माना जा रहा है।
मसलन, कोरोना महामारी जैसे भीषण परिस्थिति में राशन कार्डधारियों की स्थिति को समझते हुए राज्य सरकार द्वारा पीडीएस डीलरों के खिलाफ उठाया गया कदम उचित है। पीडीएस डीलरों को भी चाहिए कि ऐसी परिस्थिति में वे आगे आकर लोगों की मदद करते हुए मानवता का उदाहरण प्रस्तुत करे बजाय इसके कि लोभ वश काला बाजारी कर मुनाफ़े कमाने के लिए इसे मौका समझे।