राज्य बजट में गरीब जनता को सर्वोच्च प्राथमिकता

पहली राज्य बजट गरीब जनता समर्पित

बजट किसी भी शासन के अनुमानित आय-व्यय के लेखे को कहा जाता है और यह लोक प्रशासन का महत्वपूर्ण तत्व है, वित्तीय व्यवस्था। शासन द्वारा लोक कल्याण में किये जाने वाले सभी कार्यों के लिए धन की आवश्यकता होती है। इसी सुविचारित तथा सुव्यवस्थित व्यवस्था को बजट की संज्ञा से परिभाषित किया जाता है। शायद झारखण्ड के इतिहास में यह पहली बार है – जहाँ बजट राज्य के गऱीबी को परिभाषित करती है। जिसके केंद्र में गरीब, किसान व बेरोज़गार युवा को रखने का प्रयास है।

“कोई ग़रीब भूखा न रहे। कोई लाईलाज़ न मरे। किसी गरीब का बच्चा अब बकरी ना चराये, वह स्कूल जाए। हर इंसान को रहने के लिए छत मिले, पहनने को वस्त्र मिले। किसान खुशहाल हो। उनके सपनों को पंख मिले। यही सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।”

सरकार का मानना है कि जिस राज्य में बेरोजगार की बड़ी फ़ौज हो वहां 400 करोड़ का विधानसभा, 600 करोड़ का हाई कोर्ट भवन, 1700  करोड़ का सचिवालय बने – संविधान के मूल भावनाओं को परिभाषित नहीं करती। सरकार का कहना है कि उनहोंने इस बजट के माध्यम से सरकारी तंत्र को जनता  के प्रति ज़िम्मेदार बनाने का प्रयास किया है।

राज्य बजट के प्रमुख अंश: 

  • सरकार अपने नागरिकों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा की सुविधा उपलब्ध कराएगी और गंभीर बीमारियों का पूरा खर्च उठाएगी।
  • ग़रीबों को अब आवास निर्माण में 50 हज़ार रूपए अधिक देगी।
  • साल में दो बार मात्र 10 रूपए में गरीबों को धोती, साड़ी व लुंगी देगी।
  • 50 वर्ष के सभी लोगों को विधवा समेत राशन उपलब्ध कराएगी। 
  • जाति धर्म से परे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले तमाम विद्यार्थियों को छात्रवृति देगी।
  • राज्य की जनता को 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त उपलब्ध कराएगी।
  • भूख से पीड़ित जनता को 377 दाल-भात केंद्र खोल पेट भरने का प्रबंध करेगी।
  • सरकार बेरोज़गार बीए डिग्रीधारियों को 5000 रुपए व एमए डिग्रीधारियों को 7000 रूपए सहयोग राशि देगी।
  • किसानों के ऋण चरणबद्ध तरीके से मांफ होंगे -पहले चरण में 50हज़ार तक ऋणियों को यह सुविधा प्राप्त होगी।
  • दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजना चलायी जाएगी।
  • जिला स्कूलों को उच्चस्तरीय विद्यालय के रूप में विकसित करेगी।
  • हर पंचायत में 5 चापाकल या 5 कुंए निर्माण का लक्ष है।

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