झालसा – झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

झारखंड न्यायालय के झालसा ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

नया चेहरा जब हर चेहरे को अपना लगने लगे तो सदन लेकर न्यायालय तक के सुर एक हो ही जाते हैं। हक के सवाल, न्याय की गुहार पर जब मकसद नेक हो तो फिर रास्ता निकालने के लिए व्यवस्था स्वतः 180 डिग्री में घूमने को बेचैन दिखती ही है। नतीजतन बेमकसद भविष्य के आईने में भी देश को दिखता है नयी राह। जी पहली बार झारखंड जैसे राज्य ने देश को त्रासदीय हालात से बाहर निकलने का रास्ता सुझाया है। झारखंड के स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) ने पहली बार एक दिन में 9650 मामले निष्पादित कर न ही केवल विश्व रिकॉर्ड बना, देश को दिखाया कि ठान लो तो लक्ष्य दूर नहीं। 

झारखंड हाइकोर्ट के चीफ़ जस्टिस डॉ रवि रंजन, झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष व हाइकोर्ट के सीनियर जस्टिस एचसी मिश्र ने इससे संबंधित सभी न्यायाधीशों की उपस्थिति में झालसा के विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र व मेडल जारी किया। साथ ही इसे झारखंड सहित पूरे भारत के लिए गाैरव का क्षण बताया। एक दिन में 10,000 मामलों में से 9650 मामले निष्पादित कर 9711 लोग का लाभान्वित करना, वाकई गौरव की बात होनी चाहिए। क्योंकि इसमें कहीं दो राय नहीं है कि क़ानून हमेशा जनता के सहूलियत के लिए होता है। इसके लिए झालसा की पूरी टीम निस्संदेह बधाई की पात्र है।  

मसलन, हम इतने मुश्किल दौर में हैं जहाँ स्थापित मूल्यों की जड़ें हिल चुकी हैं, जहाँ विकल्प व्यवस्था का हिस्सा बनने को बेताब है। एक साथ चारों पाए डगमगाये हुए हैं। गूथे हुये परिवार में सत्ता से टकराने का जुनून सवार है। राजनीतिक व्यवस्था पर अंगुली उठाकर उसे बदलने का माद्दा, आधुनिक भारत के उस परिवेश पर सवालिया निशान लगाती है, जो सरोकार और संबंधों को दरकिनार कर संवेदनाओं का तकनीकीकरण करने पर अडिग है। वहाँ यह कीर्तिमान बताता है कि सिस्टम हर स्तर के टूटे सपने को खुद एकजुट कर कैसे इस शून्यता से उबरने की नयी राह दिखा सकती है।

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