मानिए हर सीट पर रघुवर सरकार खड़ी है
इस दौर में देश भर के तमाम मीडिया, ब्लोगरों, लेखकों, कॉलम लिखने वालों को यह बताना चाहिए था कि देश से, राज्यों से रोज़गार किस तरीके से ख़त्म किये गए? सरकार का ख़ज़ाना खाली कैसे हो गया? अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार ने जो दो-ढाई कदम चलकर चौसर बिछाई वह केवल खिलवाड़ थी। उन्होंने नहीं बताया, न ही बता रही है। ऐसे में यदि अब भी हम नहीं चेतें तो आगे हम यह बता पाने की स्थिति में हमारे सामने यह सवाल होगा कि आने वाले वक़्त में इसे कौन संभाल पायेगा, खुद में बार-बार सवाल होगा। क्या हमारे हाथों से चीजें निकल चुकी है, यही सवाल होगा।
जब अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है, जो सत्ता की ही देन है, राजनीतिक सत्ता इसे संभालने की काबिल न थी, न है। जिस प्रकार नौकरियां गयी है साफ़ दीखता है :
निर्णय | नौकरियां चली गयी | |
1 | बिना अल्टरनेटिव व्यवस्था विकल्प के प्रदूषण के आड़ में 4 लाख करोड़ की प्लास्टिक इंडस्ट्रीज बंद कर दिये गए | 4.5 लाख नौकरियाँ चली गयीं |
2 | आई टी सेक्टर | 56 हजार नौकरियाँ चली गयी |
3 | माइनिंग सेक्टर | 2.64 लाख नौकरियाँ |
4 | ऑटो सेक्टर | 5 लाख जा नौकरियाँ चुकी है, 2020 तक 10 लाख जायेगी |
5 | बैंकिंग सेक्टर नीचले स्तर की | 36 हजार नौकरियाँ |
6 | रियल एस्टेट | लाख नौकरियाँ |
7 | ऑटो पार्ट्स | 8-10 लाख कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स के काम चली गयी |
पीएलपीएस के सर्वे रिपोर्ट कहती है कि मौजूदा दौर में देश में जोब्लेसों का ग्रोथ हो रहा है। पहले बेरोजगारी बढ़ रही थी और अब लोगों की नौकरियाँ तेजी से जा रही है यह स्थिति किसी देश का तब होती है जब उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी हो। झारखंड में चुनाव है तो जनता को यह नहीं देखना चाहिए कि कौन किस सीट पर खड़ा है, बल्कि यह समझना चाहिए कि हर सीट पर भाजपा की रघुवर सरकार खड़ी है।