बुद्धिजीवियों ने साहेब के कृत्य को गैर-ज़िम्मेदाराना करार दिया 

एक तरफ जहाँ चुनाव आयोग को मुँह चिढाते हुए छठ महापर्व के नाम पर एग्रिको मैदान में सुप्रसिद्ध फिल्मी गायिका नेहा कक्कड़ के कार्यक्रम का आयोजन हुआ – जिसके आयोजक सूर्य मंदिर कमेटी सिदगोड़ा है और जिसके संरक्षक माननीय रघुवर दास जी हैं, जो स्वयं सपरिवार कार्यक्रम में उपस्थित थे। सांस्कृतिक संध्या के नाम पर आयोजित ऐसे कार्यक्रम पर प्रश्न नहीं हैं, बल्कि गंभीर प्रश्न तो यह है कि कैसे कोई मुख्यमंत्री इस महान लोकपर्व की महानता को फूहड़ व अश्लील गीतों का प्रदर्शन होते देख, धूमिल कर सकते हैं! वह भी तब जब वो देश के सबसे बड़ी धार्मिक दल के मुख्यमंत्री रह चुके हों। हालांकि, बड़े पैमाने पर झारखंडी बुद्धिजीवियों ने इसकी कड़ी आलोचना करते हुए, गैर-ज़िम्मेदाराना तथा बौद्धिक स्तर का दिवालियापन करार दिया है। सोशल मीडिया पर फोलोवर्स व बुद्धिजीवियों ने साहेब को यहाँ तक कह दिया कि साहेब को संस्कृति का अर्थ तक नहीं पता है? 

वहीं दूसरी तरफ इनके मुख्य विपक्षी माने जाने वाली झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष, हेमंत सोरेन अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं कि धनतंत्र व झूठतंत्र  के अहंकार में भाजपा के नेता इतने सूरदास हो चुके हैं कि इन्हें पता ही नहीं क्या कर रहे हैं। जैसे भाजपा अपने नेताओं को अपने वाशिंग पाउडर का प्रचार करने का दायित्व सौंपा हो, जो मर्जी वह कर रहे हैं।

मसलन, जहाँ साहेब दलबदलू विधायक कुणाल षाडंगी समेत फूहड़ गाने का कार्यक्रमों में सिरकत कर आस्था को ठेस पहुंचाने में व्यस्त हैं वहीं हेमंत सोरेन एक गंभीर राजनीतिज्ञ के भांति कहते हैं कि रघुवर सरकार युवाओं को ठगने में विश्व विख्यात हैं। जिससे कारण युवा आत्महत्या करने को विवश हैं। युवा आज डिप्रेशन के शिकार हैं और तकलीफ़ें अपनी चाह कर भी व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं। रघुबर सरकार के पास न कोई नीति है और ना हीं नियत। मेरा मानना साफ़ है कि पहले पाँच लाख रिक्त पदों को भरना होगा अन्यथा – बेरोज़गारी भत्ता अब भाजपा का सवाल करेंगे कि बेरोज़गारी भत्ता क्यों? तो मेरा कहना है कि इस भत्ते राशि के सहायता से युवा -परीक्षा शुल्क, किताबों का खर्च, परीक्षा देने में लगने वाले जरूरी वाहन खर्च एवं कोचिंग शुल्क दे पायेंगे। इस भत्ते खर्च से सरकार पर दबाव भी रहेगा कि वो अतिशीघ्र परीक्षा आयोजित कर युवाओं को नियमित करे।

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