मजबूत विपक्ष की भूमिका में केवल हेमंत सोरेन 

अन्य राज्यों में जहाँ विपक्षों ने हथियार डाल दिए वहीं झारखंड में मजबूत विपक्ष की भूमिका में दिखते हेमंत सोरेन  

झारखंड में आपके बच्चों की किसी को परवाह नहीं है, ऐसा नहीं है। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो आपके बच्चों की ज़िंदगी के लिए लगातार लड़ रहे हैं। उनमें से एक हैं झामुमो के कार्यकारी सह नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन। एक तरफ जहाँ देश भर में अन्य राज्य लगभग विपक्षरहित हो चुका है, वहीं निस्संदेह झारखंड में दिशोम गुरु शिबू सोरेन की विरासत संभाल रहे हेमंत सोरेन, भाजपा के समक्ष हथियार न डालते हुए विपक्ष के रूप में राज्य भर में मजबूत उपस्थिति दर्ज की है। उन्होंने पूरे राज्य के अंतिम छोर तक घूम-घूम कर जनता के दुःख-दर्द को जानने का न केवल प्रयास किया बल्कि पुरजोर तरीके से उनकी आवाज़ बनकर सरकार को माकूल जवाब देते भी देखे जा रहे हैं।

इनके रणनीतियों से सत्ता पक्ष काफी परेशान है, जो उनके तिलमिलाहट साफ़ तौर पर दिखती है। इसका जीता जागता सबूत है यह भी हो सकता है कि सत्ता पक्ष कांग्रेस व जेवीएम को छोड़ पूरी ताकत से इनके पीछे पड़ा है, वार भी कर रहा है। हालिया दौर में सत्ता पक्ष के विभागों ने राँची, जमशेदपुर और बोकारो जिले के उपायुक्तों को आदेश दिया है कि भाजपा के शिकायत के आधार पर जमीनों की जांच रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपी जाए। जबकि हेमंत सोरेन इन आरोपों पर लगातार कहते रहे हैैं कि सरकार विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट सार्वजनिक करें, लेकिन सरकार ने अब तक ऐसा नहीं करती दिखी है।

मसलन, अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रघुवर दास को विशेष संज्ञा व सर्वनाम से पुकारने वाले हेमंत सोरेन बेवाकी से केन्द्रीय मुद्दों पर भी अपनी राय रखते हैैं। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद उन्होंने झारखंडी जनता का उत्साह बढ़ाया। वे इन दिनों अपने परम्परागत वोट बैैंक को केंद्र में रख राजनीति कर रहे हैं। जिसके कारण तमाम अटकलों के बावजूद इनके विधायक झामुमो के साथ छोड़ने जैसे फैसले से पीछे हटना पड़ा रहा है। रणनीति के बदौलत ही ये आजसू के तमाड़ विधायक विकास सिंह मुंडा को अपने खेमे में लाने में सफल रहे और झारखंड राज्य के राजनीतिक ज़मीन पर मची उथल-पुथल के बीच यह भी खबर आम है कि कई भाजपा विधायक भी उनके ओर देख रहे हैैं।

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