बदलाव महारैली फासीवादियों के दुर्ग पर आखरी किल ठोकेगी

अगामी 19 अक्टूबर 2019 के दिन झारखंड की राजधानी राँची में लाखों की तादाद में आँगनवाड़ी कर्मियों से लेकर औद्योगिक मज़दूरों लेकर छात्रों-युवाओं से लेकर घरेलू कामगारों से लेकर पाराशिक्षक-शिक्षक से लेकर न्यायपसन्द नागरिकों से लेकर तमाम लूटी-पीटी जनता तक झामुमो के पुकार पर बदलाव महारैली में शिरकत कर नयी झारखंड की नीव रखने को बेकरार हैं। साथ ही इस महारैली के माध्यम से झारखंडी जनता अपनी तमाम हक अधिकारों को लेकर सत्ता के सामने अपनी जांघ पर थापी भी ठोकेगी। इसके साथ सत्ता को यह भी संदेश देगी कि अब राज्य की जनता नक़ली मुद्दों के भ्रम जाल में पड़ने के बजाय अपने असली मुद्दों पर एकजुट हो राज्य के फेकू सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रण लेगी। यह संदेश अब सोशल मीडिया के गलियारों में वायरल हो आम हो गयी है। 

इधर झामुमो भी बदलाव महारैली को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, झारखंड के तमाम जिला समितियों के संग झामुमो का विशेष बैठको का दौर युद्ध स्तर पर जारी है बैठकों में निर्णय लिया जा रहा है कि 19 अक्टूबर को होने वाले बदलाव महारैली में हर जिले से बड़ी तादाद में झामुमो कार्यकर्ता और समर्थक अपने पारंपरिक हथियारों व सांस्कृतिक नृत्य शैली के साथ राँची पहुंचेगे। इसके लिए जिला समिति की ओर से पार्टी के सभी विधायक, पूर्व विधायक एवं पार्टी पदाधिकारियों की ज़िम्मेदारी तय कर दी गयी है साथ ही जिले में सभी आनुषंगिक वर्ग संगठनों का भी भागीदारी हेतु लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है।

इस विषय पर झामुमो का कहना है कि उनके केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में संपन्न हुए बदलाव यात्रा कार्यक्रम को राज्य की जनता का अपार समर्थन मिला है। झारखंड के लोगों ने हेमंत सोरेन पर पूर्ण विश्वास दिखाया है और उन्हें राज्य के भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य की जनता रघुवर सरकार के कुशासन एवं तानाशाही चरित्र से मुक्ति पाने को कमर कस चुकी है और राज्य में अपने बदहाली और अधिकारों को लेकर हर मुमकिन बदलाव चाहती है।

मसलन, 19 अक्टूबर को राँची में होने वाली बदलाव महारैली निश्चित रूप से राज्य की दशा-दिशा तय करेगी। क्योंकि झारखंड की जनता यह मानती हैं कि उनके मसलों का हल अब टेबल-कुर्सी की बातचीत से नहीं निकल सकती।

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