11 लाख किसानों को मुख्यमंत्री द्वारा 452 करोड़ देना केवल चुनावी स्टंट भर है 

किसानों और खेत मज़दूरों दोनों के लिए पहले ही मुख्य सवाल वैकल्पिक रोज़गार और जीवन निर्वाह योग्य मज़दूरी है। उनके लिए असली सवाल समर्थन मूल्य के साथ-साथ जीवन निर्वाह योग्य रोज़गार प्राप्त करना है। लाभकारी समर्थन मूल्य व अन्य तात्कालिक माँगें की सारी लड़ाइयों का गला झारखंड की रघुवर सरकार चुनाव के मद्देनज़र चंद सिक्के 11 लाख किसानों को खैरात के तौर पर बाँट कर घोंट देना चाहती है। साथ ही झारखंड में आत्महत्या करने वाले किसान के सवालों को भी सफ़ेद चादर ओढ़ा देना भर है।

झारखंड के कोल्हान प्रमंडल से 11 लाख किसानों को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 452 करोड़ रुपये की खैरात आशीर्वाद कह दी है मुख्यमंत्री ने कहते हैं कि अन्नदाता किसान इस राज्य की संस्कृति की धुरी हैं और राज्य के लोगों की आजीविका कृषि पर आधारित है इसलिए किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं, इसलिए वे कर्ज़दार बनने को मजबूर हैं, लेकिन, हमारी सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल कर रही है

लेकिन सवाल उठता है कि यदि मुख्यमंत्री जी सच कह रहे हैं तो उनके शासन काल में 20 दिनों में तीन किसानों ने आत्महत्या क्यों कर लिया? क्यों राज्य के कुल 30 प्रतिशत हिस्सों में खेती शुरू नहीं हो पाई है। इस विषय पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद प्लांडू (राँची) शाखा के रिटायर्ड वैज्ञानिक कहते हैं कि सिंचाई और बिजली की उचित सुविधा न होने के बावजूद भी किसानों में आत्महत्या जैसी बात कभी नहीं रही यहां के किसान पहले छोटा-मोटा कर्ज लिया करते थे जिसे चुका पाने में समर्थ थे, लेकिन इस बढ़ती महँगाई में उनके फसल के उचित्त दाम न मिलने के कारण वे अपनी कर्जे को चुका पाने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, इसी हताशे में वे आत्महत्या करने को विवश हैं

बहरहाल, मुख्यमंत्री जी का झारखंड के 11 लाख किसानों आशीर्वाद के रूप में चंद सिक्के बाँटना चुनावी स्टंट हो सकता है, लेकिन निराकरण कभी नहीं। 

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