जमशेदपुर लोकसभा सीट भी भारी अंतर से भाजपा गंवाती हुई
झारखंड के जमशेदपुर लोकसभा सीट जो 2014 में मोदी सुनामी की वजह से भाजपा के पोटली में चली गयी थी, वह सीट डबल इंजन की धौंस तले, सीएनटी/एसपीटी जैसे कवच, भूमि अधिग्रहण संशोधन व वन अधिनियम को समाप्त करने के बीच कोलहान, इस बार गठबंधन प्रत्याशी चम्पई सोरेन भाजपा के विदुत वरन महतो को चारों खाने चित कर झामुमो के तरकश में डालते साफ़-साफ़ दिख रहे हैं। मतलब इस सीट पर भाजपा-संघ द्वारा पूरी ताक़त झोकने के बावजूद 12 मई के मतदान में बड़ी मार्जिन से हारने के दहलीज़ पर खड़े है।
2014 तक भाजपा के लिए सुरक्षित गढ़ माने जाने वाला यह क्षेत्र को गठबंधन प्रत्याशी चम्पई सोरेन ने लोहे के चने चबाने सरीखे बना दिया है। स्थिति यह है कि इस चुनाव में भाजपा दल अपनी जीत सुनिश्चित कहने तक से गुरेज कर रही हैं। सी एम रघुवर दास, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा और मंत्री सरयू राय जैसे भाजपा के दिगाज्जों का यह गृह क्षेत्र, जो सूबे की सत्ता का न सिर्फ मिज़ाज बल्कि भाजपा को सत्ता की कमान तक दिलाती थी, इस बार सब बेअसर साबित है। यही वजह है कि इस बार अंडर करेंट वोट भी भाजपा के बजाय झामुमो के पक्ष में मुड़ रही है।
बाहरहाल, स्थिति की असलियत यह है कि मुद्दाविहीन https://oshtimes.com/jh118/भाजपा इस क्षेत्र की ग्रामीण जनता के बीच वोट मांगने से भी कतरा रही है। पीछे कि सच्चाई यह माना जा रहा है कि भाजपा नेता के पास जनता के सवालों के जवाब ही नहीं है, जबकि चम्पई सोरेन भाजपा प्रत्याशी को कॉरपोरेट प्रत्याशी बताते हुए जनता के बीच एक कौतूहल का विषय बना दिया है। जमशेदपुर ग्रामीण इलाकों में सांसद बिद्युत बरन महतो मोदी लहर में जीत तो गए थे लेकिन विकास के नाम पर यहाँ की जनता का केवल उपेक्षा किये। यही नहीं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास की भी यही कर्मभूमि रहने के बावजूद यहाँ की ग्रामीण जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित रही है।