चुनावों में क्यों राष्ट्रीय दलों का क्षेत्रीय दलों के आगे दम फूल रहा है  

विधानसभा चुनावों में मिले जनादेश का अलग मिज़ाज 

देश में पहली बार किसान-मजदूर-बेरोजगारी जैसे मुद्दे सतह पर आये तो विकास का रंग फिका पड़ गया। यह कहना आसान हो गया कि 2014 में उगा सितारा 2019 में डूब जायेगा। साथ में यह भी उभरा कि आकड़ो के लिहाज से विस्तार पाती बीजेपी अपने ही दायरे में इतनी सिमटी की मोदी-शाह-जेटली से आगे देख नहीं पायी। और यह भी कहना आसान हो गया कि कांग्रेस जीत कर भी क्षेत्रीय दलों के आगे दम तोड़ दी। क्योंकि चुनावों के जनादेश ने दोनों ही राष्ट्रीय दलों के आगे साफ़ कर दिया है कि जादू या जुमले से देश नहीं चलता। साथ ही इस बार का सवाल मंदिर नहीं बल्कि पेट होगा। यह भी बताया कि सिस्टम गढ़ा नहीं जाता बल्कि संवैधानिक संस्थाओ के जरीये उन्हें चलाना आना चाहिये। शायद इसीलिये पांच राज्यो के जनादेश ने मोदी को लोकतंत्र के चौराहे पर ला खड़ा कर बताया है कि यह कांग्रेस की जीत नहीं भाजपा की हार है।

यह भी कहना आसान हो गया कि यह राहुल का सफ़र नहीं, बल्कि पीएम मोदी का महज 2014 से अबतक में लोकप्रिय से अलोकप्रिय होने तक के अंतिम सफ़र की घंटी है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर राहुल का जादू क्षेत्रीय दलों के आगे क्यों फीका पड़ गया और जहाँ क्षेत्रीय दल नदारद या कमजोर दिखी वहीं क्यों कांग्रेस ने झंडे गाड़े। झारखंड के कैनवांस पर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने आवाम के नब्ज को भांफते हुए हुंकार भरी है कि अब वे झारखंड राज्य के आम चुनाव में पूर्ण बहुमत की मंशा से मैदान में उतरेंगे। उन्होंने दो टूक कहा कि आम जनता भाजपा द्वारा अपने ऊपर जबरदस्ती थोपी गयी जन-विरोधी नीतियों एव सामाजिक सोहार्द बिगाड़ने का प्रतिशोध ले रही है।

बहरहाल, देश में पहली बार राजनीतिक हालात ही ऐसे बने हैं कि क्षेत्रीय दलों के लिए कोई भी राजनीतिक प्रयोग करना आसान है और राष्ट्रीय दलों के लिये उतना ही मुश्किल। क्योंकि झामुमो जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के कंधे पर पुराना कोई बोझ नहीं है, साथ ही आन्दोलन भरी विरासत ने इन्हें पुरानी जमीन को पकड़ने की राह भी आसान कर दी है। चूंकि पांच राज्यों के चुनावों के जनादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि देश जादू या जुमले से नहीं बल्कि संवैधानिक संस्थाओ के जरीये उन्हें चलाना आना चाहिये। और सत्ता इस दिशा में बढ नहीं सकती क्योंकि इन्होंने खुद के लिये जो जाल तैयार किया उस जाल को अगले कुछ महीनों में तोड़ना इनके लिये संभव नहीं।

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