अब समय है गैर कांग्रेसी गैर भाजपा सरकार का-क्योंकि दोनों दलों ने है झारखंड को लूटा

कांग्रेसी-भाजपा दलों की सरकार ने अबतक केवल झारखंड को लूटने का काम किया है 

झारखंड आन्दोलन, अलग झारखंड से लेकर अबतक के इतिहास को खंगाला जाए तो मंद बुद्धि भी बता सकता है केन्द्रीय दल कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ने झारखंडी अस्मिता को तार-तार किया है। इन दोनों दलों ने अबतक केवल झारखंडी आवाम के अधिकारों को छीन कर गिद्ध पूंजीपतियों को लूटाने का काम किया है। लेकिन पिछले कुछ महीनों के दौरान ये पूंजीवाद पोषक दलों की व्यवस्था जिस कदर नंगी हुई है, उसे बताने के लिए अब रंग-छन्द की ज़रूरत नहीं रह गयी है।

आज इन दोनों आदमख़ोर मुनाफाख़ोर व्यवस्था की क्रूर और अमानवीय सच्चाई निर्लज्जता के साथ हमारे सामने एकदम निपट नंगी खड़ी है। अबतक के घटनाओं पर नज़र डालते ही साफ हो जाता है कि अब ये अपनी सड़ी-गली व्यवस्था की घिनौनी सच्चाइयों पर पर्दा डालने की भी ज़रूरत नहीं महसूस करते हैं। वे जान चुके हैं कि इनके समूची व्यवस्था रूपी सभ्यता की घृणित सच्चाई अब जनता के सामने एकदम साफ है। इसे छिपाने की कोशिश करना बेकार है। ऐसे में इनकी उम्मीदें केवल इस बात पर टिकी हैं कि जनता पस्तहिम्मती, पराजयबोध और हताशा में जीते हुए इस अफसोसनाक हालत को ही नियति समझ इसे विधि के विधान तौर पर स्वीकार कर लेगी। कहने की ज़रूरत नहीं है कि यह इनकी ग़लतफहमी है।

जनता को बुनियादी सुविधाएँ मुहैया कराने का सवाल उठता है तो केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें तक धन की कमी का विधवा विलाप शुरू कर देती हैं, लेकिन जनता से उगाहे गये टैक्स के दम पर पलने वाले यह दल और इनके नौकरशाही अपनी ऐयाशी में कोई कमी नहीं आने देते। इससे होता यह है कि इन राजनितिक व्यवथाप्कों के पास योजनाओं के लिए पैसा खत्म हो जाता है और सभी प्रोजेक्ट अपनी आखिरी साँसें गिनने लगता है। फिर शुरू करते है जनता के बीच भ्रम फैलाने का खेल।

ऐसे में इस राज्य के आवाम के सामने यह सवाल है – क्या इस बर्बर ग़ुलामी को स्वीकार करते रहेंगे? क्या पूरी तरह नग्न हो चुके इन दलों को अपने आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बर्बाद करने देंगे? क्या हम अपनी ही बर्बादी के तमाशबीन बने रहेंगे? या फिर हम उठ खड़े होंगे और मुनाफे की अन्धी हवस पर टिकी इस मानवद्रोही, आदमख़ोर कांग्रेसी और भाजपा के व्यवस्था को तबाहो-बर्बाद कर फिर से या झारखंड का निर्माण करेंगे?

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