संघर्ष यात्रा और झारखंडी युवाओं की भागीदारी

झारखंड संघर्ष यात्रा और झारखंडी युवाओं की भागीदारी

झारखंड का दर्द केवल कोई झारखंडी ही समझ सकता है, जो यहाँ की धरोहर, जल, जंगल, जमीन और वातावरण में रचा-बसा हो। गौरतलब है कि झारखंड की मौजूदा भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण झारखंडी आवाम त्राहिमाम है। खासकर युवा वर्ग जो किसी भी राज्य या राष्ट्र के विकास की रूपरेखा के अहम बुनियाद एवं स्तम्भ की भूमिका में होते हैं। लेकिन झारखण्ड की पृष्ठभूमि पर तो झारखंडी युवा शिक्षा, रोजगार यहाँ तक की रोजमर्रा की जिंदगी की जरूरतों को लेकर भी भाजपा सरकार से पूरी तरह से नाउम्मीद हो चुकी है।

इन विकट परिस्थितियों में दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी की प्रेरणा से युवा प्रतिपक्ष नेता हेमंत सोरेन ने  “ झारखंड संघर्ष यात्रा ”की शुरुआत की।

“ झारखंड संघर्ष यात्रा ” झारखंडियों के लिए न केवल एक प्रभावशाली पहल रही बल्कि झारखंडी युवाओं के आंदोलनकारी उत्साह और जीवंत भागीदारी ने हेमंत सोरेन को और भी प्रबल और दृढ़ आत्मविश्वास दिया। इस यात्रा के दौरान आयोजित चौपालों युवा संवाद कार्यक्रमों में युवाओं को हेमंत जी के साथ प्रत्यक्ष संवाद करने का मौका मिला, जिसमें वे अपनी समस्याओं को खुलकर व्यक्त कर पाए। साथ ही तकनीकी शिक्षा की कमी से लेकर शिक्षित युवा बेरोजगारी, शिक्षा व्वस्था को दुरुस्त, युवाओं का शिक्षा या रोजगार के लिए पलायन जैसी समस्याओं व उसके समाधान पर युवाओं के संग  प्रत्यक्ष रूप से चर्चा हुई।

फलस्वरूप झामुमो की “ झारखंड संघर्ष यात्रा ”ने झारखंडी युवाओं के नाउम्मीद जीवन में एक उम्मीद की किरण जगाई है। अब वे फिर से अपने सपनों, अरमानों एवं अपेक्षाओं को नई पंख दे पा रहे हैं। जैसे जैसे  यात्रा का काफिला आगे बढ़ता गया युवाओं का विशाल समर्थन बढ़ता गया। युवाओं के इसी क्रान्तिकारी भागीदारी और अपने अधिकारों को हासिल करने के जज्बे ने यात्रा को एक नया आयाम दिया है।

 गुरूजी के कथनानुसार, जिस प्रकार अलग झारखंड के लिए उन्हें आन्दोलन करना पड़ा था ठीक उसी प्रकार “झारखंड संघर्ष यात्रा” के रूप में समस्त युवाओं को आन्दोलन करना है , क्योकि झारखंडियो को बिना लड़े आज तक न कुछ मिला है और न ही आगे मिलेगा। इस विचार से प्रेरित हो झारखंडी युवा झामुमो की संघर्ष यात्रा में एक बुलंद आवाज बनकर उभरे हैं, जिसे नये परिवर्तन के प्रति एक ठोस कदम के संकेत भी माने जा  सकते हैं।

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